ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News बिहार भागलपुरडा. प्रभात रंजन को मिला सीएसआईआर युवा वैज्ञानिक पुरस्कार

डा. प्रभात रंजन को मिला सीएसआईआर युवा वैज्ञानिक पुरस्कार

अभियांत्रिकी विज्ञान में वर्ष 2019 का सीएसआईआर (वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद) युवा वैज्ञानिक पुरस्कार भागलपुर के डॉ. प्रभात रंजन प्रेम को दिया गया है। वह सीएसआईआर सरंचनात्मक अभियांत्रिकी...

डा. प्रभात रंजन को मिला सीएसआईआर युवा वैज्ञानिक पुरस्कार
हिन्दुस्तान टीम,भागलपुरWed, 16 Oct 2019 12:48 AM
ऐप पर पढ़ें

अभियांत्रिकी विज्ञान में वर्ष 2019 का सीएसआईआर (वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद) युवा वैज्ञानिक पुरस्कार भागलपुर के डॉ. प्रभात रंजन प्रेम को दिया गया है। वह सीएसआईआर सरंचनात्मक अभियांत्रिकी अनुसंधान केन्द्र चेन्नई में सीनियर साइंटिस्ट के रूप में कार्यरत हैं। यह पुरस्कार उन्हें अल्ट्रा हाई परफॉर्मेंस कंक्रीट पर प्रायोगिक एवं सैद्धांतिक अनुसंधान में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सीएसआईआर द्वारा प्रदान किया गया है।

यह पुरस्कार इंजीनियरिंग साइंस सहित अन्य विषयों में मिलता है। कुल नौ लोगों को यह पुरस्कार मिला है। इसमें से दो इंजीनियरिंग क्षेत्र से हैं। पुरस्कार 26 सितंबर को दिल्ली के विज्ञान भवन में दिया गया जिसमें मुख्य अतिथि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद थे। पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन ने दिया। कार्यक्रम में सीएसआईआर के महानिदेशक शेखर सी मांडे सहित कई अन्य लोग शामिल हुए थे।

शहर के सराय चौक निवासी डॉ. प्रभात 2012 में सीएसआईआर ज्वाइन किए थे तब से इसी पर काम कर रहे थे। उन्हें इंडियन कंक्रीट इंस्टीट्यूट द्वारा बेस्ट पीएचडी थिसिस 2019 के लिए पुरस्कृत किया गया। इन्होंने आईआईटी मद्रास, कार्डिफ विवि यूके के साथ भी मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम किया है। वह भागलपुर संत जोसफ से 2002 में 10वीं और टीएनबी कॉलेज से 2004 में 12वीं की परीक्षा पास की। इसके बाद पश्चिम बंगाल के हल्दिया से 2010 में सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक, 2012 में इंजीनियरिंग ऑफ स्ट्रक्चर्स में एमटेक और 2017 में एसीएसआईआर से पीएचडी की है।

भूकंपरोधी और मजबूत भवन बनाने पर किया काम

डॉ. प्रभात ने अल्ट्रा हाई परफार्मेंस कंक्रीट पर काम किया है। उन्होंने बताया कि सामान्य भवनों के कंक्रीट की क्षमता करीब 30 एमपीए (मेगा पास्कल यूनिट) होती है लेकिन इस नए मैटेरियल से 140 से 220 एमपीए क्षमता वाले भवन का निर्माण हो सकता है। इससे बने भवन, पुल, डैम या इस तरह के आधारभूत संरचना वाले बड़े भवनों आदि का निर्माण किया जा सकता है। खास बात यह है कि यह काफी मजबूत होने के कारण यह भूकंप रोधी होगा। 100 साल तक इसके मेंटेनेंस की जरूरत नहीं होगी। इस तरीके से भवन निर्माण में छड़ देने की आवश्यकता नहीं। इसमें सीमेंट, बालू, सीलिका फ्यूम, क्वार्स पाउडर और छोटे-छोटे स्टील फाइबर से इसे बनाया जा सकता है। इसे बनने भवन जंगरोधी होंगे। डॉ. प्रभात इसपर सात साल से काम कर रहे थे। डा. प्रभात के पिता स्व. शैलेन्द्र मंडल बिहार पुलिस में कार्यरत थे।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें