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'लक्ष्मी घर, दरिद्र बाहर'... आज भी कायम है यहां हुक्का पाती की प्राचीन परंपरा

लक्ष्मी घर, दरिद्र बाहर... दिवाली पर हुक्का पांती की इस परंपरा का अंग प्रदेश, मिथिलांचल और कोसी क्षेत्र में खास मायने हैं। यह परंपरा घर में लक्ष्मी के आह्वान का द्योतक है। ऐसी मान्यता है कि अंग के...

'लक्ष्मी घर, दरिद्र बाहर'... आज भी कायम है यहां हुक्का पाती की प्राचीन परंपरा
भागलपुर। वरीय संवाददाताTue, 06 Nov 2018 04:46 PM
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लक्ष्मी घर, दरिद्र बाहर... दिवाली पर हुक्का पांती की इस परंपरा का अंग प्रदेश, मिथिलांचल और कोसी क्षेत्र में खास मायने हैं। यह परंपरा घर में लक्ष्मी के आह्वान का द्योतक है। ऐसी मान्यता है कि अंग के राजा कर्ण भी दिवाली में हुक्का पांती की परंपरा निभाते थे। शायद यही वजह है कि हर पारंपरिक चीजों पर ड्रेगन (चाइनिज) का रंग चढ़ने के बावजूद सनसनाठी के बने हुक्का पांती से परंपरा की लौह अब भी जल रही है।
 
दिवाली के दिन दोपहर बाद घर के प्रमुख व्यक्ति सनाठी और पाट (सन) की रस्सी से हुक्का-पांती बनाते हैं और घर और देव स्थान में घी के दिए के साथ एक-एक हुक्का-पांती रखते हैं।

इशाकचक मोहल्ले के ब्रजकिशोर मिश्रा कहते हैं कि शाम में घर के सभी सदस्य नहा धोकर लक्ष्मी-गणेश की पूजा करने के बाद पूजा घर के दीये से हुक्का-पांती में आग सुलगाते हैं और घर के सभी दरवाजों पर रखे गए दीये में लगाते हुए लक्ष्मी घर, दरिद्र बाहर, लक्ष्मी घर, दरिद्र बाहर...कहते हुए मुख्य द्वार से बाहर निकलते हैं। बाहर निकलकर सभी सदस्य एक जगह पर हुक्का-पांती रखते हैं और पांच बार उसका तरपन करते हैं। गीता देवी कहती हैं कि अपनी-अपनी पांती घर की वरिष्ठ महिला सदस्य के हाथ में देते हैं। उसी पांती से दूसरे दिन अहले सुबह वरिष्ठ महिला सदस्य सूप को बजाते हुए बाहर जाकर जल में समाहित करती हैं।  

पंडितों की नजर में यह परंपरा
मानिकपुर के पंडित अभिनव राजहंस कहते हैं हुक्का पांती घर से दरिद्र नारायण के बास को खत्म करने की परंपरा सनातन काल से चल रही है। हुक्का पांती घर के सभी पुरुष सदस्य मिलकर खेलते हैं। वरिष्ठ महिला सदस्य घर की लक्ष्मी मानी जाती हैं। इसलिए वह पांती उन्हें सौंपी जाती है।

देवी और देव स्थानों  में भी रखे जाते हैं हुक्का पांती 
पंडित सुनील झा के अनुसार हुक्का पांती सनातन काल से चली आ रही परंपरा है। इसलिए आज भी लोग न सिर्फ घर में हुक्का पांती खेलते हैं बल्कि देवी देवताओं के मंदिरों में भी जाकर रखते हैं। हुक्का पांती खेलने से पहले सभी घरों से पास के मंदिरों में एक दीया और हुक्का पांती रखा जाता है। 

वैज्ञानिक कारण: सनाठी की आग से बैक्टीरिया मरते हैं 
हुक्का पांती सन सनाठी यानि पटसन का बनता है। सनाठी ऐसी लकड़ी है जिसके जलने से कार्बन डायऑक्साईड की बहुत कम मात्रा निकलती है। ऐसी मान्यता है कि जली सनाठी को लेकर घर में घूमने से कीट फतिंगे और हानिकारक बैक्टीरिया आदि जल जाते हैं। ठीक उसी तरह जिस तरह दीये के जलने से होता है।

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