मुकदमेबाजी से परिवार का विकास होता है बाधित : जिला जज
मुकदमे में समझौता से सम्मान बढ़ता है। लंबे समय तक मुकदमेबाजी से लोगों की प्रतष्ठिा गिरती है। आगे इसका प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ता है। कोर्ट में एक पक्ष की जीत होती है, लेकिन लोक अदालत में समझौते से...
मुकदमे में समझौता से सम्मान बढ़ता है। लंबे समय तक मुकदमेबाजी से लोगों की प्रतष्ठिा गिरती है। आगे इसका प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ता है। कोर्ट में एक पक्ष की जीत होती है, लेकिन लोक अदालत में समझौते से दोनों पक्षों की जीत होती है। इससे समाज व परिवार की तरक्की का मार्ग प्रशस्त होता है। राष्ट्रीय लोक अदालत के उद्घाटन के मौके पर शनिवार को जिला व सत्र न्यायाधीश अरविंद कुमार पांडे ने यह बात कही।
जिला जज ने कहा कि लोक अदालत में कोई फीस नहीं लगती है। वकील रखने की भी जरूरत नहीं है। आपसी समझौते से दोनों पक्ष यहां से खुश होकर जाते हैं। दुर्घटना के मामले में देरी से मुआवजा मिलने का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन लोक अदालत में समझौता से पीड़ित परिवार को तुरंत आर्थिक मदद मिलती है। इससे परिवार आर्थिक तंगी से निपटते हैं।
जिला विधिक सेवा प्राधिकार के उपाध्यक्ष व जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने कहा कि हर तीन महीने पर मुकदमों में आपसी सुलह के लिए राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाता है। पक्षकारों को इससे लाभ उठाना चाहिए। डीएम ने पंच परमेश्वर की कहानी को लोक अदालत से जोड़कर पक्षकारों को सुलह के लिए आगे आने को कहा। न्याय अगर विलंब से मिले तो उसे न्याय नहीं कहा जाता है। पिछली बार मुकदमों के निपटारे में भागलपुर बिहार में दूसरे नंबर पर रहा था। एसएसपी आशीष भारती ने कहा कि लोक अदालत से लोगों को त्वरित न्याय मिलता है। एडीजे कुमुद रंजन सिंह, विनोद कुमार तिवारी, डीबीए के अध्यक्ष अभयकांत झा और डॉ. हेमशंकर शर्मा ने भी लोगों को संबोधित किया। मौके पर एडीजे महेश प्रसाद सिंह, संजय कुमार, सीजेएम आनंद कुमार सिंह, एसीजेएम अतुल वीर सिंह और रूपा कुमारी समेत अन्य न्यायिक पदाधिकारी व कोर्टकर्मी उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव प्रवाल दत्ता ने की और मंच संचालन कोर्टकर्मी रमण कर्ण कर रहे थे।