विश्वविद्यालय में विकसित करें एक क्रिटिकल साइंटिफिक समूह
भागलपुर, वरीय संवाददाता। बिहार का चौथा रोडमैप बनाने की जरूरत के अनुसार डीपीआर के...

भागलपुर, वरीय संवाददाता। बिहार का चौथा रोडमैप बनाने की जरूरत के अनुसार डीपीआर के लिए बैठक आयोजित की गयी। बैठक में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबीर बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पटना व डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के कुलपति सहित तीनों विश्वविद्यालयों के विशेष वैज्ञानिकों ने भाग लिया। बैठक की अध्यक्षता भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक डॉ. मंगला राय ने की। बैठक में बीएयू के कुलपति डॉ. डीआर सिंह भी ऑनलाइन उपस्थित थे।
बैठक में डॉ. राय ने डीपीआर बनाने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि डीपीआर में शॉर्ट टर्म एनालाइसिस व लांग टर्म पर्सपेक्टिव को निश्चित रूप से शामिल किया जाये जिससे डीपीआर के कार्यान्वयन में कोई कमी न रह पाये। उन्होंने विश्वविद्यालय में एक क्रिटिकल साइंटिफिक समूह को विकसित करने पर बल दिया और डीपीआर व एमएससी के छात्रों के लिए क्रमशः 10 हजार रुपए व पांच हजार रुपए का टॉप-अप का लाभ देने की व्यवस्था को प्रत्येक फसल के लिए डीपीआर में समाहित करने की सलाह दी। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि डीपीआर में दिये गये कार्यों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिये अलग-अलग समिति बनेगी। जिसमें विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष स्वयं डॉ. राय रहेंगे और सभी कुलपति उनके सदस्य रहेंगे। जो छह-छह माह पर कार्यों की समीक्षा करेंगे। दूसरी समिति के अध्यक्ष कुलपति रहेंगे जो नोडल पदाधिकारी की भूमिका अदा करेंगे और शेष कुलपति अधिष्ठाता एवं विशेषज्ञ वैज्ञानिक सदस्य के रूप में कार्य करेंगे। यह समिति फसल का चुनाव कर सभी के लिए जवाबदेही तय करेंगे। हर फसल से जुड़े अलग-अलग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक मिल-जुलकर कार्य करेंगे और डीपीआर भी तैयार करेंगे। बैठक में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के प्रसार निदेशालय, सबौर द्वारा ही पीआर का प्रजेन्टेशन भी दिया गया। बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति ने डीपीआर तैयार के लिए निदेशक अनुसंधान, सबौर को बैठक कर अलग-अलग फसलों के समन्वयक एवं समूह को सशक्त करने का सुझाव दिया।
