सावन माह में एक बार फिर खतरों से खेलते हुए खतरनाक पुलों पर से गुजरेंगे कांवरिये
खगड़िया के चौथम के दियारा इलाके में एक बार फिर सावन में लाखों कांवरिये यहां के खतरनाक पुलों से होकर गुजरेंगे। दरअसल यहां कोई सीधी सड़क नहीं होने की वजह से आज भी लाखों की आबादी रेलवे के रिटायर लाइन और...
खगड़िया के चौथम के दियारा इलाके में एक बार फिर सावन में लाखों कांवरिये यहां के खतरनाक पुलों से होकर गुजरेंगे। दरअसल यहां कोई सीधी सड़क नहीं होने की वजह से आज भी लाखों की आबादी रेलवे के रिटायर लाइन और रिटायर पुल होकर आवागमन करने को मजबूर है। और रेलवे के ये रिटायर पुल पर आवागमन करना खतरे से खाली नहीं है। बावजूद गुजरना मजबूरी है।
जाहिर सी बात है कि ऐसे में हादसे से इंकार भी नहीं किया जा सकता है। हालांकि डीएम अनिरुद्घ कुमार कहते हैं कि कांवरियों के लिए विशेष सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। कांवरियों को सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात किए जाएंगे।
जानकारी के मुताबिक सावन महीने में लाखों की संख्या में डाक व बोलबम कांवरिया मुंगेर जिला अंतर्गत छर्रापट्टी घाट से गंगा जल भरकर सहरसा जिला के कांठो स्थित श्री श्री 108 बाबा मटेश्वर धाम में जलाभिषेक करने जाते हैं। वैसे तो प्रत्येक दिन जलाभिषेक करने कांवरिया जाते हैं लेकिन सोमवार को जल चढ़ाने को लेकर रविवार की रात में लाखों की संख्या में कांवरिया इस दुर्गम रास्ते से गुजरते हैं। बताया जाता है कि कांवरिया 80 किलोमीटर पैदल चलकर जल चढ़ाने मटेश्वर धाम जाते हैं।
बहुत कठिन डगर है बाबाधाम की
बता दें कि बाबा मटेश्वर धाम की डगर बड़ी कठिन है। कारण की यहां पत्थर गिट्टी के रास्ते होकर गुजरना पड़ता है। वैसे तो कई किलोमीटर तक खगड़िया जिला में कांवरिया पैदल यात्रा करते हैं। लेकिन हरदिया गांव से कठिन डगर की शुरुआत हो जाती है। यहां कभी चालू रेलवे लाइन तो कभी रिटायर लाइन होकर पत्थर के रास्ते गुजरना पड़ता है। जहां पैरों में गिट्टी से छाले पड़ जाते हैं।
चार खतरनाक पुलों से गुजरते हैं कांवरिये
कांवरिया चार खतरनाक पुलों से होकर गुजरते हैं। सबसे पहले कांवरिया बागमती नदी पर बने रेलवे के रिटायर पुल नंबर 51 को पार करते हैं।
इसके बाद कात्यायनी स्थान से सटे रेलिंग विहीन रिटायर पुल पर आवागमन करते हैं। ये खतरे से खाली नहीं है। वहीं धमारा घाट स्टेशन से उत्तर एक चालू रेलवे पुल पर आवागमन करने में कभी भी कोई हादसा हो सकता है। जबकि कोसी नदी पर बने 47 नंबर पुल भी काफी जर्जर अवस्था में है। बता दें के इस दुर्गम रास्ते के अलावा दूसरा वैकल्पिक साधन एनएच 107 है। लेकिन इस रास्ते से गुजरने पर बाबा मटेश्वर धाम की दूरी काफी बढ़ जाती है। इससे कांवरियों की और परेशानी बढ़ जाती है।