गठबंधन की सहयोगी पार्टियां खाता खोलने की ढूंढ़ रहीं चाबी
सात सीट में सिर्फ भाजपा, जदयू, कांग्रेस और राजद का ही है दबदबा महागठबंधन से

भागलपुर, मुख्य संवाददाता। बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही तमाम पार्टियां प्रत्याशियों के चयन में जुट गई हैं। जिले की राजनीति करने वाले तमाम नेता कार्यकर्ताओं समेत नदारद हैं। ये लोग पटना में कैंप कर रहे हैं। एक-एक सीट से एक ही पार्टी के दर्जन भर चेहरे टिकट पाने के लिए आलाकमान के आसपास मंडरा रहे हैं। प्रत्याशियों के चयन से पहले गठबंधन की सहयोगी पार्टियां भी अग्निपरीक्षा से गुजर रही हैं। यही कारण है कि सीट शेयरिंग में फंसी पार्टियां इच्छुक प्रत्याशियों को टिकट मिलने की हरी झंडी नहीं दे रही हैं, जिससे प्रतिघंटे समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं।
पार्टियों के कद्दावर नेता यह कह पाने की स्थिति में नहीं हैं कि उनके संभावित चेहरे कौन हैं? सिर्फ इतना कि सीटिंग को फिर मौका मिल सकता है। भागलपुर में स्थिति यह है कि दोनों गठबंधन की सहयोगी पार्टियां यहां खाता खोलने के लिए चाबी ढूंढ़ रही हैं। भागलपुर की सभी सात सीट में सिर्फ भाजपा, जदयू, कांग्रेस और राजद का ही दबदबा है। अभी एनडीए के पास पांच सीट है। तीन भाजपा और दो जदयू से विधायक हैं। महागठबंधन के पास दो। एक राजद, एक कांग्रेस। ऐसे में अन्य सहयोगी पार्टियां यहां शून्य पर आउट हैं। अभी एनडीए में भाजपा, जदयू, हम, लोजपा-आर और रालोसपा साथ-साथ हैं। ऐसे में हम, लोजपा-आर और रालोसपा भागलपुर से सीटविहीन है। यही हाल महागठबंधन में भी है। महागठबंधन में राजद, कांग्रेस, वीआईपी, रालोजपा (पारस), झामुमो, सीपीआई, सीपीआई-एमएल और सीपीएम भी है। भागलपुर में वीआईपी, झामुमो, सीपीआई, सीपीआई-एमएल और सीपीएम टिकट से वंचित रही है। रोचक यह कि वीआईपी पिछली बार एनडीए में शामिल थी। 2020 चुनाव में लोजपा-आर का परफॉर्मेंस बेहतर था विभिन्न पार्टी कार्यालयों में हो रही चर्चा के मुताबिक, पिछले चुनाव 2020 में लोजपा का परफॉर्मेंस बेहतर था। एनडीए के खाते में भागलपुर सदर और नाथनगर सीट नहीं आने की वजह लोजपा उम्मीदवारों का वोट काट लेना रहा। अमूमन दोनों जगहों से एनडीए उम्मीदवारों की हार के अंतर से अधिक लोजपा आर प्रत्याशियों को वोट मिल गए। इसलिए लोजपा आर इस बार सात में किसी एक सीट छीनने की फिराक में है। लोजपा आर की मांग वाली लिस्ट में भागलपुर सदर सीट भी है, क्योंकि लोजपा ने यहां उत्कृष्ट प्रदर्शन किया था। वामपंथियों का गढ़ रहे जिले में अभी शून्य पर पार्टियां भागलपुर वामपंथियों का गढ़ रहा है। गोपालपुर, बिहपुर, पीरपैंती और सुल्तानगंज में वामदलों की साख मजबूत रही है। ऐसे में वामदल भी एक-दो सीट की चाह रख रही है। सीपीआई ने कहलगांव, भागलपुर और पीरपैंती के लिए दावेदारी भी की है। वीआईपी की नजर सुल्तानगंज पर है। उसने भाजपा से एक कद्दावर चेहरे को पिछले माह ही पार्टी में शामिल किया था। रालोसपा, हम, झामुमो और रालोजपा किसी भी विस क्षेत्र में मजबूती से सामने नहीं आई है। फिर भी चौंकाने वाली बात यह कि ‘हम भी सुरक्षित सीट होने पर पीरपैंती पर दबी जुबान दावेदारी में लगी है।
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