गुड न्यूज! सीमांचल और कोसी क्षेत्र के एक लाख हेक्टेयर वेटलैंड पर होगा मखाना की खेती और मछली पालन
कोसी और सीमांचल के सात जिले में वेटलैंड एक लाख चार हजार 433 हेक्टेयर जमीन बेकार पड़ी रहती है। ऐसे जमीन को बिहार सरकार चौर विकास योजना के तहत मखाना की खेती और मछली पालन के लिए तैयार करेगी। इसके लिए...
कोसी और सीमांचल के सात जिले में वेटलैंड एक लाख चार हजार 433 हेक्टेयर जमीन बेकार पड़ी रहती है। ऐसे जमीन को बिहार सरकार चौर विकास योजना के तहत मखाना की खेती और मछली पालन के लिए तैयार करेगी। इसके लिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा। वर्षा के पानी को इस्तेमाल कर भूगर्भ जल को रीचार्ज करने के अलावा इसमें मखाना की खेती होगी और मछली पालन होगा। उम्मीद है कि करीब छह लाख किसानों को इससे फायदा होगा।
मखाना के साथ मछली का उत्पादन किसानों की आमदनी का एक बेहतर विकल्प है। नई तकनीक का इस्तेमाल कर अब किसान कम पानी में मखाना और मछली की खेती एक साथ कर रह हैं। किसानों की आर्थिक दशा को सुधारने के नजरिये से बिहार सरकार यह पहल कर रही है कि कोसी और सीमांचल के सातों जिले में बेकार पड़ी जमीन के इस्तेमाल की योजना बनी है। चौर विकास योजना के तहत छह लाख से ज्यादा किसानों को फायदा होगा। कोसी और सीमांचल के अलावा और कहीं भी मखाना की खेती नहीं होती है। इस इलाके की इस खासियत का बिहार सरकार किसानों के हक में भरपूर इस्तेमाल करना चाहती है। इतना ही इस योजना के तहत बनने वाले रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर से और भी कई तरह के फायदे होंगे।
किस जिले में कितनी जमीन है बेकार :
अकेले पूर्णिया में 14 हजार 401 हेक्टेयर जमीन वेटलैंड के रूप में बेकार पड़ी रहती है। जो जिले के कुल जमीन का 3.87 प्रतिशत हिस्सा है। सबसे ज्यादा कटिहार में 31 हजार 11 हेक्टेयर जमीन बेकार है जो जिले के क्षेत्रफल का 10.30 प्रतिशत है। इसके अलावा किशनगंज में 10 हजार 954 हेक्टेयर, अररिया में 13 हजार 157 हेक्टेयर, सहरसा में 12 हजार 86 हेक्टेयर, मधेपुरा में तीन हजार 539 हेक्टेयर और सुपौल में 19 हजार 285 हेक्टेयर जमीन बेकार पड़ी है। सातों जिले में इन बेकार जमीन पर बारिश का पानी कुछ दिनों तक रुकता है उसके बाद खत्म हो जाता है। इस तरह जमीन भी बेकार और बारिश का पानी भी बेकार चला जाता है।
पानी को रोककर करेंगे इस्तेमाल :
बारिश का पानी जो अभी तक बेकार चला जाता है उसे रोकने की योजना है। इसके लिए बिहार सरकार की तरफ से जरूरत के मुताबिक रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर बनाया जाएगा। जहां पर बारिश के पानी को रोका जाएगा। इतना रोका जाएगा जिससे बाढ़ की स्थिति न बने और लोगों को किसी तरह का नुकसान नहीं हो। बारिश के जमा पानी से एक फायदा ये भी होगा कि भूगर्भ जल रीचार्ज होगा और किसानों को सिंचाई की सुविधा भी मिलेगी। धान और गेहूं की जो फसल सिंचाई के बिना बर्बाद हो जाती है उसे बचाया जा सकेगा।
मखाना किसानों की बनेगी सोसाइटी
मखाना वैज्ञानिक डॉ. अनिल कुमार कहते हैं कि चौर विकास योजना के करीब छह लाख किसानों को सीधे लाभ पहुंचेगा। उन्होंने बताया कि किसानों की एक सोसाइटी बनाई जाएगी और मखाना और मछली से होने वाले लाभ का जमीन के साइज के हिसाब से किसानों को शेयर दिया जाएगा।
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