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गजब के डॉक्टर्स! सरकारी नौकरी कर रहे दूसरे राज्यों और शहर में और यहां चला रहे निजी अस्पताल

भागलपुर के डॉक्टर भी रॉकेट की सवारी कर रहे हैं। एक ही वक्त में रांची, पटना, बेतिया में नौकरी कर रहे हैं तो भागलपुर में क्लीनिक या अस्पताल चला रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े में आधा दर्जन ऐसी...

गजब के डॉक्टर्स! सरकारी नौकरी कर रहे दूसरे राज्यों और शहर में और यहां चला रहे निजी अस्पताल
भागलपुर, विपिन नागवंशीTue, 21 Jan 2020 06:46 PM
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भागलपुर के डॉक्टर भी रॉकेट की सवारी कर रहे हैं। एक ही वक्त में रांची, पटना, बेतिया में नौकरी कर रहे हैं तो भागलपुर में क्लीनिक या अस्पताल चला रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े में आधा दर्जन ऐसी महिला डॉक्टर हैं जो ढाई से तीन सौ किमी दूर स्थित मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में नौकरी कर रही हैं और भागलपुर में क्लीनिक-अस्पताल खोल मरीजों का इलाज कर रही हैं। 

अवर सचिव बिहार को भेजी गयी सूची से हुआ खुलासा
14 जनवरी को सिविल सर्जन भागलपुर द्वारा स्वास्थ्य विभाग, बिहार के अवर सचिव को भेजी गयी सूची से मालूम हुआ कि जिले में निजी क्लीनिक या अस्पताल चला रहीं आठ महिला डॉक्टर ऐसी हैं, जो दूसरे जिलों के निजी या फिर सरकारी अस्पतालों में तैनात हैं। सूची के अनुसार, पीएमसीएच पटना में तैनात डॉ. अर्चना भारती अलीगंज बौंसी रोड में निजी प्रैक्टिस करती हैं। हयात हॉस्पिटल रांची में तैनात डॉ. सारा खान आबिद का नवाब कॉलोनी तिलकामांझी में क्लीनिक है। मेडिकल कॉलेज सहरसा में बतौर सीनियर रेजीडेंट कार्यरत डॉ. रूपम उपाध्याय का बड़ी खंजरपुर में नर्सिंग होम है। जबकि मेडिकल कॉलेज बेतिया में सहायक प्रोफेसर की नौकरी कर रहीं डॉ. रोली भारती का नया टोला भीखनपुर में नर्सिंग होम है। 

इसके अलावा अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य पंजवारा बाराहाट, जिला बांका में तैनात डॉ. संगीता मेहता का एमजी रोड पर क्लीनिक है। बांका जिले के बाराहाट पीएचसी में तैनात डॉ. रश्मि कुमारी का एमसी रोड स्थित सेंट्रल बैंक के सामने व बांका जिले के रेफरल अस्पताल अमरपुर बांका में बतौर चिकित्सा पदाधिकारी तैनात डॉ. दीप्ति सिन्हा का एसबीआई मुख्य ब्रांच खंजरपुर, सदर अस्पताल बांका की चिकित्सा पदाधिकारी रूबी हेंब्रम का नसरतखानी रोड पर क्लीनिक व अस्पताल है। पीरपैंती रेफरल अस्पताल में पदस्थापित एक डाक्टर झारखंड के साहिबगंज जिले में अपना अस्पताल चलाते हैं।

कुछ दिन पहले जेएलएनएमसीएच के कई डॉक्टरों का ट्रांसफर बेतिया, गया आदि मेडिकल कॉलेज सह अस्पतालों में हुआ। लेकिन वे वहां ज्वाइन करने के बावजूद यहां पर क्लीनिक सह अस्पताल चला रहे हैं। इनमें जेएलएनएमसीएच के हड्डी रोग विभाग के तीन डॉक्टर व ईएनटी के एक डॉक्टर हैं। 

जेएलएनएमसीएच में भी कई डॉक्टर 
ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ दूसरे मेडिकल कॉलेजों में ही होता है। जेएलएनएमसीएच में भी ऐसे डॉक्टर हैं जो जेएलएनएमसीएच में नौकरी तो कर रहे हैं लेकिन उनकी क्लीनिक पटना-पूर्णिया में सजती है। इनमें स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की दो महिला चिकित्सक, मेडिसिन विभाग, नेत्र रोग विभाग व पैथोलॉजी विभाग के एक-एक डॉक्टर हैं। 

मरीजों से लेकर पढ़ाई तक का नुकसान
दूसरे जिलों में तैनात डॉक्टर भागलपुर में क्लीनिक चलाकर एक तरफ जहां अपने तैनाती वाले मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे छात्रों के कॅरियर से खिलवाड़ कर रहे हैं तो वहां के अस्पतालों में इलाज के लिए भर्ती या फिर आने वाले मरीज भी इनकी सेवा से वंचित हो रहे हैं। जेएलएनएमसीएच में तैनात कई डॉक्टर ऐसे हैं, वे यहां पर नौकरी तो करते हैं लेकिन पटना-पूर्णिया में अपना क्लीनिक या जांच घर चला रहे हैं। इनके इस कदम से मायागंज अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को इनके द्वारा किये जाने वाले इलाज से जहां वंचित होना पड़ता है, वहीं अस्पताल में काम कर रहे डॉक्टरों-शिक्षकों पर काम का अतिरिक्त भार पड़ता है। 

जो लोग मेडिकल कॉलेज या फिर सरकारी अस्पतालों में तैनात हैं उन्हें मुख्यालय बिना सूचना के नहीं छोड़ना चाहिए। अगर ऐसा है तो संबंधित मेडिकल कॉलेज या सरकारी अस्पताल के प्राचार्य या सिविल सर्जन को कार्रवाई करनी चाहिए। - डॉ. विजय कुमार सिंह, सिविल सर्जन, भागलपुर

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