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मिलिए अमरीना से, मुस्लिम समाज की बेटियों को सेना भर्ती के लिए दे रहीं ट्रेनिंग

किसी के पिता मजदूर हैं तो किसी के कपड़े का रफ्फू करते हैं, लेकिन इनकी बेटियों में सैनिक बनने का जुनून सवार है। मुस्लिम समाज की इन बेटियों को एक शिक्षिका अपनी निगरानी में उनके सपनों को पूरा करने में...

मिलिए अमरीना से, मुस्लिम समाज की बेटियों को सेना भर्ती के लिए दे रहीं ट्रेनिंग
भागलपुर, परिमल सिंहWed, 19 Feb 2020 12:11 PM
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किसी के पिता मजदूर हैं तो किसी के कपड़े का रफ्फू करते हैं, लेकिन इनकी बेटियों में सैनिक बनने का जुनून सवार है। मुस्लिम समाज की इन बेटियों को एक शिक्षिका अपनी निगरानी में उनके सपनों को पूरा करने में घंटों मेहनत कर रही हैं। लड़कियों को स्कूल के साथ घर में सुबह व शाम ट्रेनिंग व पढ़ाने का काम कर रही हैं।
 
उर्दू गर्ल्स हाई स्कूल, असानंदपुर की विज्ञान की शिक्षिका अमरीना सिराज खुद गाइडर भी हैं और गाइड को ट्रेनिंग दे रही हैं। शिक्षिका लड़कियों को ट्रेनिंग दिलाने के लिए मसाकचक स्थित भारत स्काउट गाइड कार्यालय तक ले जाती हैं। उनका मानना है कि शारीरिक और मानसिक रूप से लड़की मजबूत होकर वह अपना सपना पूरा कर सकती हैं। फिलहाल 40 लड़कियों की टीम है, जिन्हें सैनिक के लिए वह तैयार कर रही हैं। 

गरीबी के कारण पढ़ने में आ रही थी बाधा
मोअज्जमचक की रहने वाली अमरीना ने बताया कि गरीबी के कारण सभी बच्चियों को पढ़ाने में बाधा पहुंच रही थी। कई बच्चियां ऐसी हैं जिनके अभिभावक मुश्किल से दो-तीन सौ रुपये कमाते हैं। सभी बच्चियों को स्कूल में नाम लिखाने के साथ उन्हें गाइड की ट्रेनिंग दी जा रही थी। गाइड की ट्रेनिंग में सेना और पुलिस की नौकरी में छूट मिलती है। बताया कि मुस्लिम समाज की बेटियां अभी भी पढ़ाई में पीछे हैं, उन्हें आगे आना होगा। शिक्षा से ही समाज में भी बदलाव होगा। तैयारी में जुटी आतिया फिरोज, यासमीन, शबाना, सायरा, नाजिया आदि ने बताया कि मैडम उनके सपनों के पीछे दिन-रात एक कर दी हैं। खुद ट्रेनिंग के साथ पढ़ाती हैं।
 
अब तो यातायात ड्यूटी भी निभा रहीं गाइड
इंटर परीक्षा के दौरान गाडइ की ड्रेस में यातायात नियंत्रण का काम करने से बच्चियां खुश हैं। अमरून निशा, शबाना व नाजिया ने बताया कि गाइड का ड्रेस पहन यातायात ड्यूटी निभाने के बाद उनमें आत्मविश्वास बढ़ा है। 

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