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गंगा मैया से पुरानी दुश्मनी है शायद, तभी तीन पीढ़ी उजड़ गई

ग्राउंड रिपोर्ट 50 साल पहले गंगा ने खेत छीनी तो तटबंध पर आ बसे

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरWed, 21 Aug 2024 07:58 PM
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भागलपुर, वरीय संवाददाता। समय - सुबह 11 बजे। स्थान-बिंदटोली। इसी जगह स्पर संख्या 8 है। कॉर्नर पर बरगद के पेड़ के नीचे कुछ लोग बैठे मिले। सभी के चेहरे पर उदासी। यहां बैठे मनोहर मंडल के साथ भोला सिंह, बाबूटोला कमलाकुंड के पूर्व मुखिया किशोर कुमार सिंह, इंद्रदेव पासवान आदि गंगा को कोस रहे हैं। घर की महिलाएं व बच्चे बची निशानी समेट रहे हैं। झोपड़ी से लेकर जलावन के लिए मकई की बलरी बोरे में बंद कर ट्रैक्टर से पलायन कर रहे हैं। तटबंध पर बिजली के खंभे पर चढ़कर कई युवक कनेक्शन भी खुद काट रहे हैं। चूंकि यहां बिजली सप्लाई बंद है। मौके पर पहुंची ‘हिन्दुस्तान टीम ने यहां बैठे लोगों की टीस जानी। 65 वर्षीय मनोहर मंडल फफक पड़े। बोले, 50-60 साल पहले दादा की कई बीघा जमीन गंगा ने निगल ली तो खेती से हाथ गंवाया। दूसरों की जमीन बटाईदारी पर ली तो आजीविका चलने लगी। लेकिन गंगा ने मेरे बाबू (पिता) को यहां से भी भगाया। वहां से भागकर हमलोग तटबंध पर शरण लिए। अब गंगा ने यहां से भी भगा दिया। गंगा मैया से पुरानी दुश्मनी है शायद। अपने होशोहवास में तीन बार अपना घर, खेत, परिवार उजड़ते हुए देखा है।

2008 में कमलाकुंड गांव गंगा में विलीन हो गई

मनोहर की बात खत्म नहीं हुई कि भोला बताने लगे। कहा, यहां पहले मरगंग था। कहलगांव में जब पानी अधिक आता था तब सावन-भादो में एक धारा इस ओर बहने लगती थी। 15-20 दिन बाद पानी लौट जाता था। तब सघन बस्ती थी। पूर्व मुखिया किशोर बताते हैं, पहले पूरब-पश्चिम गंगा बहती थी। 2008 में कटाव बढ़ने पर नदी की दिशा उत्तर-दक्षिण हो गई और करीब 4500 आबादी वाला पंचायत बाबूटोला कमलाकुंड नदी के गर्भ में समा गई।

जिसके दरस को तरसते रहे, वह काल बनकर आई सामने

वे कहते हैं, काफी साल पहले मन्नी राम सिंह एमएलए ने श्रमदान कर बिंदटोली, बाबूटोला, कमलाकुंड, अभिया तक बांध बनाया तो राहत मिली थी। लेकिन 2008 के बाद अब तटबंध खाली करना पड़ रहा है। तटबंध पर बनी झोपड़ी में 72 वर्षीय सावित्री देवी उदास बैठी हैं। कटाव से बदहवास सावित्री बताती हैं, 60 साल पहले गंगा की दरस को तरसते थे। अब वही गंगा काल बनकर सामने खड़ी है, लेकिन कटाव के चलते घर-बार छोड़कर जाना पड़ रहा है।

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