बच्चों ने चित्रकारी के माध्यम से ‘जल है तो कल है का दिया संदेश
चित्र उकेरना ही नहीं बल्कि लोगों को जागरूक करना था मकसद सफल प्रतिभागियों को 30

भागलपुर, वरीय संवाददाता। भागलपुर के बच्चे चित्रकारी में भी होनहार हैं। सिर्फ चित्र उकेरना ही नहीं बल्कि लोगों को जागरूक करना उसका मकसद है। पूर्ववर्ती छात्र संघ कला केंद्र द्वारा आयोजित कला केंद्र में तीन दिवसीय रंगकथा की शुरुआत शनिवार को चित्रकला व मंजूषा प्रतियोगिता से हुई। जूनियर वर्ग जिसका विषय प्राकृतिक दृश्य, पृथ्वी बचाओ जल है तो कल है था। वहीं सीनियर वर्ग के छात्र-छात्राओं ने पर्यावरण और हम, मेरे सपनों का भारत व अमृत काल विषय पर चित्रकारी के माध्यम से अपना विजन साफ रखा और लोगों को बड़े संदेश दिये। बच्चों ने चित्रकारी के माध्यम से प्रकृति का मनोरम दृश्य उगते हुए सूर्य को दिखाया। इसके साथ पृथ्वी, कल को पाना है तो पर्यावरण को बचाओ आदि का संदेश चित्र उकेर कर दिया। जूनियर वर्ग ‘ए में कक्षा 2 व 3 के बच्चों ने भाग लिया। जिसमें हनी, अमृतम राजलक्ष्मी सिंह, कृर्षिका राज, गर्वित मणी व वेदांत ने पुरस्कार जीते। जबकि कक्षा चार से छह में पीयूष राज, अराध्या झा, कुमार अर्नव सिंह व कक्षा सातवी से नौवीं तक में कृतिका मंजरी, प्रज्ञा प्रभात, चाहत प्रिया, रौनक सिंह को पुरस्कार जीते। मंजूषा में अमन सागर, देवांश कुमार, तेजस प्रताप व अनुकृति कुमारी अव्वल रहे। बच्चों ने कहा कि चित्रकारी करना ही उनका मकसद नहीं था बल्कि समाज को अच्छा देने की सोच के साथ प्रतियोगिता में भाग लिया। सचिव शशि शंकर ने बताया कि सभी सफल प्रतिभागियों को 30 दिसंबर को सम्मानित किया जायेगा।
450 मीटर लंबी पेंटिंग में दिखी अंग क्षेत्र की धरोहर
चंपानगर के चर्चित चित्रकार अनिल कुमार की एक लंबी पेंटिंग कला केंद्र में लगायी गयी है। पेंटिंग के माध्यम से अंग क्षेत्र की धरोधर दिखायी गयी है। यहां के रवींद्र भवन, घंटाघर, कहलगांव विक्रमशिला विश्वविद्यालय, बटेश्वर स्थान, गंगा नदी, विक्रमशिला पुल, मुंगेर योगाश्रम, चंडी स्थान आदि की खासियत को दर्शाया गया। साथ ही देवघर के श्रावणी मेला का दृश्य भी पेंटिंग में है। पेंटिंग के माध्यम से ग्रामीण परिवेश को दिखाया गया। वहीं पौधरोपण का संदेश दिया गया। उनकी चित्रकारी की सराहना हर लोग कर रहे थे। पेंटिंग में एक साथ बैलगाड़ी, गाय, नाद, बगल में पानी, किसान हल लेकर खेती करने जाते हुए दिखाया गया है। गांव में काफी हरे-भरे पेड़-पौधे दिख रहे हैं। यह पेंटिंग 450 मीटर लंबी थी। हालांकि अनिल ने बताया कि कला केंद्र में उतनी लंबी पेंटिंग नहीं लग पायी। कुछ साल पहले सैंडिस कंपाउंड में इस पेंटिंग की प्रदर्शनी की गयी थी तो उसका कुछ भाग फट गया था।
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