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आध्यात्मिक भाव की सिद्धि के लिए बनें निर्मल: बाल व्यास

आध्यात्मिक भाव की सिद्धि के लिए मनुष्य को अपना व्यक्तित्व निर्मल और निर्दोष बनाना चाहिए। उक्त बातें बूढ़ानाथ मंदिर में चल रहे रामकथा के तीसरे दिन मंगलवार को पंडित बाल व्यास जी ने...

आध्यात्मिक भाव की सिद्धि के लिए बनें निर्मल: बाल व्यास
हिन्दुस्तान टीम,भागलपुरWed, 31 Oct 2018 01:36 AM
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आध्यात्मिक भाव की सिद्धि के लिए मनुष्य को अपना व्यक्तित्व निर्मल और निर्दोष बनाना चाहिए। उक्त बातें बूढ़ानाथ मंदिर में चल रहे रामकथा के तीसरे दिन मंगलवार को पंडित बाल व्यास जी ने कहीं। उन्होंने कहा कि ईर्ष्या, क्रोध, लोभ, मोह आदि चीजों को जल्द ही अपने से दूर करना चाहिए ताकि मन साफ हो सके।

स्वच्छ मन से किया हुआ कार्य हमेशा फलदायी होता है। जबलपुर से आयीं शिरोमणि दुबे ने कहा कि भागदौड़ की जिंदगी में लोगों को धार्मिक आयोजन के लिए समय निकालना चाहिए। भगवान की आस्था व पूजा से कई काम खुद बन जाते हैं। आसपास में जहां भी प्रवचन हो लोगों को थोड़ा समय निकालकर जरूर सुनना चाहिए। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म कभी नष्ट नहीं होता।

ब्राह्मण भोजन, गो सेवा, भगवान का अभिषेक, भागवत कथा इत्यादि ही सनातन धर्म का पोषण हैं। इस मौके पर काशी से पधारे पंडित ओम प्रकाश ने भगवान राम पर भजन सुनाए। इससे पूर्व सुबह के सत्र में नवाह परायण पाठ के दौरान काशी से पधारे 54 ब्राह्मणों ने रामायण पाठ एवं हवन किया। कार्यक्रम का आयोजन श्री रामकथा ज्ञानयज्ञ समिति के द्वारा किया जा रहा है। मौके पर समिति के अभय घोष सोनू, अभ्युदय दत्ता, श्यामा प्रसाद घोष, निर्मल झा, प्रणव दास, चंदन कर्ण, अमरनाथ मिश्रा, अवध बिहारी, मनोज सिन्हा, वंदना सिन्हा, चंदा चौधरी, भारती दत्ता, विनय सिन्हा आदि मौजूद थे।

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