बल हो या बुद्धि कभी अहंकार नहीं करें: नीलम शास्त्री
मनुष्य को स्वाभिमान होना चाहिए लेकिन अभिमानी कभी नहीं बूढ़ानाथ में चल रहा नौ

भागलपुर, वरीय संवाददाता। वाराणसी की कथावाचिका नीलम शास्त्री ने कहा कि व्यक्ति को कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए। चाहे व्यक्ति के पास बल हो या बुद्धि हो। ये बातें उन्होंने मानस सत्संग सद्भावना समिति भागलपुर की ओर से बूढ़ानाथ परिसर में चल रहे नौ दिवसीय सद्भावना सम्मेलन के छठे दिन शनिवार को प्रवचन के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि विद्या, बल, रूप, यश, धन आदि आने पर कुछ लोगों में अहंकार आ जाता है। इससे उन्हें बचने की जरूरत हैं। मनुष्य को स्वाभिमान होना चाहिए लेकिन अभिमानी कभी नहीं बनना चाहिए।
मध्यप्रदेश से पधारे रामेश्वर उपाध्याय ने कहा कि मानस के सात कांड जीवन सात सोपान के समान है। बालकांड से जीवन प्रारंभ होता है और संघर्ष पूर्ण सभी कांडों को पूरा करते हुए उत्तरकांड तक पहुंचता है।
इस मौके पर कथावाचक रघुनंदन ठाकुर ने कहा कि अगर कैकई समझदार हो तो मंथरा कुछ भी नहीं कर सकती है। आसपास के मंथरा जो परिवार को तोड़ती है उससे सावधान रहें। मंच संचालन का कार्य सचिव प्रमोद मिश्रा ने किया। मौके पर चित्रकूट धाम के पीठाधीश्वर रामस्वरूपाचार्य जी, डॉ. आशा ओझा आदि ने भी रामकथा कही। अध्यक्ष मृत्युंजय प्रसाद सिंह, महेश राय, सचिव सुनील चटर्जी, प्रमोद मिश्रा, हरि किशोर सिंह कर्ण, अमरेन्द्र कुमार सिन्हा, पंडित रत्नाकर झा आदि मौजूद थे।
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