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डॉल्फिन को देखने जुलॉजी विभाग से छात्रों का दल पहुंचा

राष्ट्रीय जलीय जीव गांगेय डॉल्फिन को देखने के लिए टीएमबीयू पीजी जूलॉजी के छात्रों का एक दल मंगलवार को डॉ. डीएन चौधरी के नेतृत्व में शंकर टॉकीज घाट पहुंचा। घंटे भर छात्रों के दल ने डॉल्फिनों के...

डॉल्फिन को देखने जुलॉजी विभाग से छात्रों का दल पहुंचा
हिन्दुस्तान टीम,भागलपुरTue, 01 Sep 2020 07:36 PM
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घंटे भर छात्रों के दल ने डॉल्फिन के क्रियाकलापों का अध्ययन कियाभागलपुर। कार्यालय संवाददाताराष्ट्रीय जलीय जीव गांगेय डॉल्फिन को देखने के लिए टीएमबीयू पीजी जूलॉजी के छात्रों का एक दल मंगलवार को डॉ. डीएन चौधरी के नेतृत्व में शंकर टॉकीज घाट पहुंचा। घंटे भर छात्रों के दल ने डॉल्फिनों के क्रियाकलापों का अध्ययन किया। डॉ. चौधरी ने छात्रों को इस डॉल्फिन आश्रयणी के बारे में जानकारी दी। साथ ही कहा कि भागलपुर में इको-टूरिज्म की प्रबल संभावना है। उन्होंने बताया कि 1990 में बिहार सरकार ने सुल्तानगंज से कहलगांव तक गंगा नदी के 60 किलोमीटर के क्षेत्र को विक्रमशिला गांगेय डॉल्फिन सेंचुरी के रूप में घोषित कर दिया था। गांगेय डॉल्फिन को भारत सरकार द्वारा अक्टूबर 2009 को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया। फिलहाल इस आश्रयणी में 200-250 डॉल्फिन हैं। यह सेंचुरी पूरे एशिया में नदी के डॉल्फिनों के लिए एकमात्र आश्रयणी है। फिर भी पर्यटन के क्षेत्र में विकास नहीं हो पाया है। जैव विविधता के क्षेत्र में भी भागलपुर अग्रणी है। दुर्लभ गांगेय डॉल्फिन तथा बड़ा गरूढ़ की प्रजनन स्थली कदवा दियारा भागलपुर में होने के कारण इको टूरिज्म की प्रबल संभावना है।

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