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बीस साल बाद दुष्कर्मी मो. आजम को मिली उम्रकैद की सजा

शादी का झांसा देकर नाबालिग लड़की से किया था यौन शोषण

बीस साल बाद दुष्कर्मी मो. आजम को मिली उम्रकैद की सजा
हिन्दुस्तान टीम,भागलपुरThu, 26 Apr 2018 01:44 AM
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20 साल पहले हुए दुष्कर्म के मामले में एडीजे दीपांकर पांडे के कोर्ट ने बुधवार को दोषी मो. आजम को उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। जुर्माना राशि नहीं देने पर दोषी को एक साल की अतिरिक्त सजा काटनी पड़ेगी। मोजाहिदपुर थाना क्षेत्र की रहने वाली एक नाबालिग लड़की को आजम ने शादी का झांसा देकर प्रेम जाल में फंसा लिया था। आजम उसका शारीरिक शोषण करने लगा, जब लड़की गर्भवती हो गई तो उसने शादी से इंकार कर दिया। घटना को लेकर लड़की के भाई ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। घटना के मुताबिक 24 अगस्त, 1997 को आजम शादी की नीयत से लड़की को भगाने के लिए बुलाया था। सुबह पांच बजे लड़की घर से निकल गई और आजम को ढूंढने लगी, लेकिन आजम नहीं मिला तो वह अपनी बड़ी बहन के घर चली गई। इधर, परिवार के लोग लड़की को खोजने लगे। शाम को वह बहन के घर पर मिली। पूछने पर उसने घटना की जानकारी परिवारवालों को दी।परिवार के लोग आजम के घर बातचीत करने के लिए गए तो लोग भड़क गए। आजम तलवार निकालकर लड़की के भाई पर हमला बोल दिया। बचाने आई लड़की की मां के साथ भी मारपीट की। पीड़ित परिवार ने घटना की जानकारी मोजाहिदपुर थाने को दी। थाने में रिपोर्ट दर्ज करने के बाद आरोपी आजम को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। 28 अक्टूबर 1997 को जांचकर्ता ने आरोपी के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दिया। कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आरोपी को दुष्कर्म का दोषी पाया। बुधवार को कोर्ट ने दुष्कर्म मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही धारा 323 में एक साल की सजा और एक हजार रुपए जुर्माना लगाया। दोनों सजाएं आरोपी को जेल में साथ-साथ काटनी पड़ेगी।जेल से निकलने के बाद मुर्गी बेचता था आरोपीकरीब साल भर तक जेल में रहने के बाद आरोपी जमानत पर बाहर आया था। हुसैनाबाद में वह मुर्गी का कारोबार करने लगा था, लेकिन कारोबार छोड़कर इधर-उधर कुछ काम करने लगा था। स्थानीय लोगों ने कहा कि मोहल्ले से अलग-थलग रहता था। पीड़ित ने दी थी लड़की को जन्म दुष्कर्म पीड़िता ने बाद में अस्पताल में लड़की को जन्म दिया था। मायके में बच्ची का पालन पोषण किया जा रहा है। पीड़िता न्याय के लिए कोर्ट में आजम के खिलाफ गवाही देकर पूरे घटनाक्रम को कलमबद्ध करवाई थी। समय पर गवाही नहीं होने से देर से आया फैसलालोक अभियोजक सत्यनारायण प्रसाद ने कहा कि जांचकर्ता की गवाही नहीं होने के कारण आठ साल से सुनवाई के लिए मामला अटका हुआ था। जांचकर्ता की गवाही के लिए एसपी से लेकर डीजीपी तक को लिखा गया था, लेकिन जांचकर्ता का कुछ पता नहीं चला। डॉक्टर की गवाही में भी देरी हुई, लेकिन कोर्ट में अन्य गवाहों ने घटना का समर्थन किया और केस डायरी में आरोपियों के खिलाफ पुख्ता साक्ष्य मौजूद था।

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