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पितृपक्ष में मांस-मदिरा से परहेज कर पितरों को करें खुश

पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृपक्ष में किया जाता है तर्पण, पितृपक्ष में पितरों को पुत्र से रहती है पिंडदान कर संतुष्ट करने की...

पितृपक्ष में मांस-मदिरा से परहेज कर पितरों को करें खुश
हिन्दुस्तान टीम,भभुआThu, 03 Sep 2020 08:22 PM
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पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृपक्ष में किया जाता है तर्पण

पितृपक्ष में पितरों को पुत्र से रहती है पिंडदान कर संतुष्ट करने की आस

भभुआ। कार्यालय संवाददाता

पितृपक्ष शुरू हो गया है। इस पक्ष में लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा से परहेज करना चाहिए। पितरों को खुश रखने के लिए उन्हें तिथि तक जलअर्पण करना चाहिए। तिथि के दिन विधिवत पूजा करनी चाहिए। पितरों को मुक्ति और उन्हें ऊर्जा देने के लिए श्राद्धकर्म होता है। आत्मा और मनुष्य के बीच संबंध को जोड़ने वाला समय पितृपक्ष इस वर्ष दो सितंबर से आरंभ हुआ है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि भाद्र शुक्ल पूर्णिमा तिथि को प्रपोष्ठी श्राद्ध के दिन ऋषि मुनियों का तर्पण किया जाता है। उक्त बातों की जानकारी ज्योतिषाचार्य वागीश्वरी प्रसाद द्विवेदी ने दी।

डॉ. विवेकानंद तिवारी ने बताया कि ऐसे व्यक्ति जो धरती पर जन्म लेने के बाद अब जीवित नहीं है, उन्हें पितर कहते हैं। फिर वह चाहे विवाहित हों, अविवाहित हों, बुजुर्ग हों, स्त्री हो या पुरुष। अगर उनकी मृत्यु हो चुकी है, तो उन्हें पितर कहा जाता है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए भाद्रपद महीने के पितृपक्ष में उनको तर्पण दिया जाता है। घर के लोग उनको याद करते हैं। पितरों की कृपा से सब प्रकार की समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पितृपक्ष में पितरों को आस रहती है कि हमारे पुत्र पौत्र पिंड दान करके हमें संतुष्ट कर देंगे। इसी आस से पितृलोक से पितर पृथ्वी पर आते हैं। मृत्युतिथि के दिन किए श्राद्ध को पार्वण श्राद्ध कहा जाता है।

पंडित ज्ञानेश्वर त्रिवेदी बताते हैं कि पितृ पक्ष में श्राद्ध करने का खास महत्व है। हर महीने की अमावस्या की तिथि पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाता है। पितृ पक्ष में श्राद्धकर्म, पिंडदान, तर्पण का अधिक महत्व है। पितृपक्ष में पितर धरती पर किसी न किसी रूप में अपने परिजनों के बीच में रहने आते हैं। इस बार पितृपक्ष 17 सितंबर तक है। हिंदू धर्म में मान्यता है जिन प्राणियों की मृत्यु के बाद उनका विधिनुसार तर्पण नहीं किया जाता है, उनकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है। धर्मग्रंथों के मुताबिक पितरों को तर्पण नहीं करने वाले को पितृदोष लगता है।

पशु-पक्षियों को दें अन्न-जल

मान्यता है कि पितृ पक्ष में 15 दिनों तक पशु-पक्षियों को अन्न-जल देना चाहिए। इससे पितृ गण खुश होते हैं।

हर किसी का आदर करें

पितृपक्ष में पितर किसी भी रूप में आपके घर या दरवाजे पर दस्तक दे सकते हैं। इसलिए हर किसी का आदर जरूर करें।

ब्रह्मचर्य का पालन जरूरी

पितृ पक्ष में शुद्ध शाकाहारी भोजन करना चाहिए। इसके अलावा इन दिनों ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी होता है।

तर्पण और श्राद्ध अनिवार्य

पितृ पक्ष में पितरों को खुश करने और तृप्त करने के लिए हर दिन तर्पण व मुख्य तिथि पर श्राद्ध करना चाहिए।

ब्राह्मणों को भोजन कराएं

माना जाता है कि पितरों को प्रसन्न करने के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध वाले दिन ब्राह्ममणों को भोजन कराना अनिवार्य है।

खरीदें पर न पहनें

मान्यता है कि जो लोग 15 दिन तक पितर मानते हैं उन्हें इस दौरान नए वस्त्र आदि नहीं पहनने चाहिए।

बाल-नाखून काटना निषेध

पितृ पक्ष में नया काम नहीं शुरू करना चाहिए। इसके अलावा बाल, नाखून काटने से पितर नाराज होते हैं।

ये सब्जयिां न अर्पित करें

मान्यता है कि पितृ पक्ष में जमीन के नीचे पैदा होने वाली सब्जियां पितरों को नहीं अर्पित की जाती हैं।

श्राद्धकर्ता करें ये सब

श्राद्धकर्ता पितर पक्ष में लड़ाई, झगड़े से बचें। किसी का अपमान न करें। झूठ बोलने से परहेज करें।

फोटो-03 सितम्बर भभुआ- 2

कैप्शन- शहर के चौक बाजार जानेवाले पथ में स्थित एक दुकान से पितृपक्ष के लिए पूजा सामग्री की खरीदारी करते लोग।

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