अधौरा में पेट्रोल पंप नहीं, फुटपॉथ से वाहनों में भरवाते हैं इंधन (पेज तीन की लीड खबर)
नक्सल प्रभावित अधौरा प्रखंड में पेट्रोल पंप नहीं होने से वाहन चालकों को 45 किमी दूर जाकर इंधन भरवाना पड़ता है। सड़क किनारे अवैध रूप से बेचे जाने वाले महंगे और मिलावटी डीजल-पेट्रोल से वाहन नोजल और पंप...
गड़के, ओखरगाड़ा, अधौरा, ताला, सिकरी, करर, खलियारी, लोहरा, गम्हरियां में सड़क किनारे बेचे जा रहे हैं डीजल-पेट्रोल अवैध कारोबारी महंगा भी देते हैं और डीजल-पेट्रोल की मात्रा भी कम होती है सरकारी व निजी वाहनों में इंधन भरवाने के लिए जाना पड़ता है 45 किमी. दूर अधौरा, कार्यालय संवाददाता। नक्सल प्रभावित अधौरा प्रखंड में कहीं भी पेट्रोल पंप नहीं है। इसके अभाव में वाहन ऑपरेटर व चालकों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। निजी व सरकारी वाहनों में इंधन भरवाने के लिए चालकों को 45 किमी. की यात्रा तय कर उत्तर प्रदेश के रामगढ़ या फिर कैमूर के भगवानपुर में जाना पड़ता है। सिर्फ इंधन भरवाने के लिए अप-डाउन 90 किमी. दूरी वाहन परिचालन करने पर भी डीजल-पेट्रोल खर्च करना पड़ता है। इससे वाहन ऑपरेटरों को आर्थिक क्षति हो रही है। सबसे ज्यादा परेशानी एंबुलेंस चालकों को झेलनी पड़ती है। अस्पताल में इसका परिचालन एजेंसी के माध्यम से कराया जाता है। जब वाहन का इंधन खत्म हो जाता है या खत्म होनेवाला होता है तब एजेंसी वाले एंबुलेंस में डीजल भरवाने की अनुमति देते हैं। अगर जब कभी एंबुलेंस में इंधन नहीं होता और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से रेफर किए गंभीर मरीज को सदर अस्पताल या हायर सेंटर ले जाना होता है, तब परेशानी और बढ़ जाती है। विभिन्न विभागों के वाहनों में भी डीजल भरवाने के लिए चालकों को उक्त स्थानों के पंप पर जाना पड़ता है। सबसे ज्यादा परेशानी उन चालकों को होती है, जो इस क्षेत्र की स्थिति से अनजान हैं और उनके वाहन का इंधन खत्म हो जाता है। तब राहगीरों से पूछकर सड़क किनारे महंगे दाम पर पेट्रोल-डीजल बेचने वालों से इंधन भरवाकर काम चलाते हैं। लेकिन, चालकों का कहना है कि इनके द्वारा वाहनों में भरे गए डीजल-पेट्रोल से गाड़ियों के नोजल व पंप बहुत जल्द खराब हो जाते हैं। ऐसे में उन्हें नया बदलवाना पड़ता है। हालांकि ऐसी समस्या उन चालकों के समक्ष ज्यादा होती है, जो अक्सर अवैध कारोबारियों से अपने वाहनों में डीजल-पेट्रोल भरवाते हैं। खेती के मौसम में किसानों को होती है परेशानी अधौरा प्रखंड के भूईंफोर के लालकेश सिंह, डुमरावां के नेतलाल सिंह, एकडिहवा टोला के जगदीश उरांव आदि किसानों ने बताया कि जब खेती का सीजन होता है और खेतों की सिंचाई डीजल पंप से करनी होती है, तब उनकी परेशानी बढ़ जाती है। सिर्फ डीजल लाने के लिए उन्हें यूपी के रामगढ़ व कैमूर के भगवानपुर जाना पड़ता है, जिसकी दूरी एक तरफ से 45 किमी. है। इतनी दूर से इंधन खरीदकर लाने में ट्रैक्टर का भी तेल खर्च हो जाता है। वाहन का नोजल व पंप खराब होने की आशंका अधौरा प्रखंड के बड़गांव खुर्द रंगबहादुर सिंह, अधौरा दिनेश लाल यादव, ओखरगाड़ा के गुलाबचंद खरवार आदि बाइक चालकों ने बताया कि सड़क किनारे तेल बेचनेवालों से वाहन में पेट्रोल भरवाने से नोजल व पंप खराब हो जाता है। उसे बिना बदले काम नहीं चल पाता है। ऐसे कारोबारी मापी में भी इंधन कम देते हैं और पैसा भी ज्यादा लेते हैं। पूछवने पर उक्त लोगों ने बताया कि दुकानदार मिलावटी पेट्रोल-डीजल बेचते हैं। इसलिए नोजल व पंप खराब होता है। इन जगहों पर बेचते हैं इंधन ग्रामीणों ने बताया कि अधौरा प्रखंड के गड़के, ओखरगाड़ा, अधौरा, ताला, सिकरी, करर, खलियारी, लोहरा, गम्हरियां में सड़क किनारे डीजल-पेट्रोल अवैध रूप से बेचे जा रहे हैं। वह डीजल गैलन में व पेट्रोल बोतल में रखकर बेचते हैं। 106 रुपए लीटर बिकने वाला पेट्रोल 120 रुपए लीटर खरीदना है। इसी तरह 98 रुपए की जगह 110 रुपए प्रति लीटर डीजल बेचते हैं। अब चालकों की मजबूरी होती है कि वह उनसे डीजल-पेट्रोल अपने वाहन में डलवाए। हालांकि इमरजेंसी में यह सुविधा काफी काम आती है। लेकिन, इनके मापक यंत्र बोतल व डब्बा में मात्रा काम होती है। फोटो- 24 अगस्त भभुआ- 1 कैप्शन- अधौरा की एक दुकान के पास शनिवार स्कूटी में पेट्रोल डालता दुकानदार।
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