ऑनलाइन दस्तावेज डाउनलोड करने पर मिल रहीं त्रुटियां
किसानों के लिए परेशानी का सबब बनने लगा है जिले में चल रहा विशेष भूमि सर्वेक्षण पंचायत के राजस्व कर्मचारी के पास उपलब्ध दस्तावेज कटे-फटे अवस्था में है

किसानों के लिए परेशानी का सबब बनने लगा है जिले में चल रहा विशेष भूमि सर्वेक्षण जमीन सर्वे के लिए काम-धंधा छोड़ गांव में डेरा डाले हुए हैं नौकरी-पेशा वाले लोग पंचायत के राजस्व कर्मचारी के पास उपलब्ध दस्तावेज कटे-फटे अवस्था में है (पटना का टास्क लीड खबर) भभुआ, हिन्दुस्तान संवाददाता। विशेष भूमि सर्वेक्षण किसानों के लिए परेशानी का सबब बनने लगा है। अपनी जमीन के कागजात जुटाने के लिए किसानों को नाको चना चबाना पड़ रहा है। जमीन का सर्वे कराने के लिए बाहर में रहकर नौकरी-पेशा करने वाले लोग अपना काम धंधा छोड़कर गांव में डेरा डाले हुए हैं।
सूत्रों की माने तो भूमि के ऑनलाइन दस्तावेज डाउनलोड करने पर उसमें रकबा, खाता व प्लॉट नंबर में त्रुटियां मिल रही हैं। राजस्व कर्मचारी के पास जो कागजात उपलब्ध हैं वह कटे फटे अवस्था में है। जबकि नई पीढ़ी को अपने पूर्वजों की जमीन का खाता-खेसरा याद नहीं है। ऐसे में सर्वे के लिए समय से जमीन के कागजात दुरूस्त नहीं हो पा रहे हैं। इससे किसानों की नींद हराम हो गयी है। भूमि का लगान निर्धारण, दाखिल खारिज, जमाबंदी में खाता-खेसरा का सुधार, पुराने केवाला का सत्यापन, पुराने केवाला पर दर्ज पुराना खाता-खेसरा का नया-खाता खेसरा चिन्हित कराने, अंचल कार्यालय में चालू खतियान व नए खतियान के अनुकूल पंजी टू उपलब्ध नहीं रहने से किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इससे किसानों के समक्ष कई तरह की दिक्कतें खड़ी हो रही हैं। किसानों को आवश्यक कागजात जुटाने के लिए राजस्व कर्मचारी के कार्यालय से लेकर अंचल कार्यालय व अनुमंडल में भूमि सुधार उप समाहर्ता से लेकर जिला अभिलेखागार कार्यालय तक का चक्कर लगाना पड़ रहा हैं। किसान विजय तिवारी, नरेश सिंह, उमेश यादव व सतेन्द्र सिंह ने बताया कि सरकार की ओर से रिविजनल सर्वे में जारी किए गए खतियान को भूमि का स्वामित्व प्रमाण का मान्यता देकर भूमि संबंधित कार्य में आरएस खतियान का उपयोग करने का आदेश दे दिया गया है। लेकिन, जारी आरएस खतियान का अंचल कार्यालय में चालू खतियान नहीं बनाया गया। आरएस खतियान के आधार पर पंजी टू का संधारण नहीं किया गया। इस कारण पंजी टू में भूमि का खाता-खेसरा अंकित नहीं किया गया। किसानों का कहना है कि इससे पूर्व वर्ष 1898 में शुरू हुए केडस्टल सर्वे के दौरान वर्ष 1902 में खतियान जारी किया गया था। उसी के आधार पर बनी पंजी टू से लगान वसूली का काम किया जा रहा है। इस बीच बढ़ते भूमि विवाद को कम करने के लिए सरकार की ओर से 2017 में आरएस खतियान एवं पंजी टू को आनन-फानन में ऑनलाइन किया गया। लेकिन, इसमें कई त्रुटियां रह गई। इस संबंध में पूछे जाने पर ओम प्रकाश मंडल से पूछे जाने पर कहा कि अभी कोर्ट कर रहे हैं। बाद में बात करेंगे। रैयतों के नाम व खाता-प्लॉट गलत दर्ज भभुआ। ऑनलाइन निकाले गए भूमि से संबंधित दस्तावेज में कई रैयतों का नाम गलत दिख रहा है। कुछ के दस्तावेज में खाता, खेसरा व रकबा गलत अंकित हो गया है। सूत्रों की माने तो लगभग 50 फीसदी से अधिक जमाबंदी में खाता-खेसरा व रकबा अंकित नहीं है। किसानों का कहना है कि परिमार्जन कराने के नाम पर उनका दोहन किया जा रहा है। शुरू में सरकार की ओर से परिमार्जन के माध्यम से छूटे हुए जमाबंदी को सीओ जांच के बाद ऑनलाइन सुधार कर देते थे। इस बीच सरकार के नए आदेश पर उसे भी बंद कर दिया गया है। सीओ की ओर से किये गए परिमार्जन को लॉककर भूमि सुधार उप समाहर्ता को जांच करने की जिम्मवारी दे दी गई। समय से जांच नहीं होने के कारण किसानों की राजस्व रसीद नहीं कट रही है। इसके लिए किसान कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं। केवाला में दर्ज हैं पुराना खाता-खेसरा भभुआ। किसान बता रहे हैं कि अधिकतर केवाला में पुराना खाता-खेसरा दर्ज है। जबकि नए नियमों के अनुसार पुराना खाता-खेसरा के साथ नया खाता-खेसरा दर्ज रहने पर दाखिल-खारिज करने के साथ विक्रेता का जमाबंदी कायम रहना अनिवार्य है। इधर विशेष भूमि सर्वेक्षण के नियमानुसार सभी कागजात के साथ प्रपत्र टू के माध्यम से रैयत की ओर से समर्पित घोषणा पत्र की जांच चालू खतियान, खेसरा पंजी, सीएस व आरएस खतियान व दखल कब्जा को सत्यापित कर सत्यापन प्रमाणपत्र अंचल को देना है। जबकि किसी अंचल में खेसरा, पंजी तथा चालू खतियान का संधारण नहीं किया गया है। इससे किसानों को सर्वे कार्य कराने में परेशानी हो रही है। फोटो-19 अगस्त भभुआ- 7 कैप्शन- अधौरा अंचल कार्यालय में मंगलवार को जमीन से संबंधित दस्तावेज के लिए आए किसान।
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