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शहर में आफत बनते जा रहे हैं अवारा मवेशी

सड़क पर विचरण कर रहे अवारा मवेशियों से राहगीर भयभीत, आपस में जब लड़ते हैं मवेशी सड़कों पर मच जाती है...

शहर में आफत बनते जा रहे हैं अवारा मवेशी
हिन्दुस्तान टीम,भभुआWed, 31 Jul 2019 08:10 PM
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सड़क पर विचरण कर रहे अवारा मवेशियों से राहगीर भयभीत

आपस में जब लड़ते हैं मवेशी सड़कों पर मच जाती है भगदड़

ग्राफिक्स

60 की संख्या होगी शहर में अवारा मवेशियों की

04 चौक के आसपास अक्सर दिखता है इनका झुंड

इंट्रो

गांव से शहर में आनेवाले लोगों और शहरवासियों के लिए अवारा मवेशी आफत बनते जा रहे हैं। आपस में जब वह सड़कों पर लड़ते हैं तब बाजार में भगदड़ मच जाती है। इस दौरान मवेशी खाद्य सामग्री व सब्जी के ठेले तक उलाट देते हैं। इनसे सबसे ज्यादा भयभीत स्कूल आने-जाने वक्त छोटे-छोटे बच्चे रहते हैं। वह इन मवेशियों के झुंड को दूर से देखते ही राह बदल लेते हैं। ठेला वाले उन्हें भगाने लगते हैं। राहगीर किनारा पकड़ लेते हैं। महिलाएं तो सड़क व फुटपॉथ को छोड़ दुकानों के चबूतरों से होकर राह तय करने के लिए मजबूर हो जाती हैं। मतलब इनसे हर तबका त्रस्त है।

भभुआ। कार्यालय संवाददाता

बुधवार की सुबह के आठ बज रहे हैं। शहर के एकता चौक, जेपी चौक, पटेल चौक, सीवों चौक के पास अवारा मवेशियों का जगह-जगह झुड खड़ा हैं। इसी तरह का दृश्य समाहरणालय पथ व कचहरी पथ में भी दिखा। हालांकि दिन में 10 बजे के बाद मवेशी किसी गली तो किसी पेड़ की छाया में आराम फरमाते दिखते हैं। यह सड़क पर डिवाइडर से सटे स्थल पर जगह-जगह खड़े भी देखे गए। इनके सड़कों पर बैठने व खड़ा रहने से आवागमन बाधित हो रहा था। जब इनका झुंड बाजारों में निकला तब हर कोई सतर्क हो गया। चाहे वह दुकानदार हों या फिर राहगीर अथवा बाजार करने पहुंचे लोग।

एकता चौक के पास सब्जी मंडी में दो सांड़ घुसे। सब्जी विक्रेता उन्हें भगाने लगे। लेकिन, वह भी कहां मानने वाले थे। ठेले पर रखी सब्जी को मुंह लगा ही लिए। लेकिन, बाद में उन्हें मीट मंडी की ओर भगाया गया। समाहरणालय पथ में मुंडेश्वरी सिनेमा हॉल के पास चार सांड़ आपस में लड़ते मिले। उसमें से एक एकता चौक की ओर भागा तो दूसरा डायमंड होटल की ओर। टेम्पो पर बैठे यात्री अविनाश ने बताया कि अवारा मवेशी रोज उत्पात मचाते हैं। भय से कोई व्यक्ति इनके आसपास से नहीं गुजरता है। यहां सिर्फ सांड़ और बछड़े ही नहीं गाय भी सड़कों पर विचरण करती हैं। पशुपालक उनका दूध निकालने के बाद सड़कों पर उन्हें छोड़ देते हैं।

क्या कहते हैं दुकानदार

दुकानदार उमाशंकर बताते हैं कि सांड़ सब्जियों को रोजाना नुकसान पहुंचा रहे हैं, जबकि समोसा विक्रेता रामाशीष ने बताया कि मवेशी उन्हें अक्सर क्षति पहुंचाते हैं। दस बजे से तीन बजे तक यह झुंड में नहीं दिखते हैं। लेकिन, सुबह में 10 बजे तक सड़कों पर विचरण करते हैं। शाम ढलने के बाद पुन: आ जाते हैं। पूरी रात सड़क पर ही रहते हैं। कई बार तो भारी वाहन से वह चोटिल भी हो जाते हैं। शहरवासी नरेंद्र सिंह बताते हैं कि पूरे शहर में पांच दर्जन से अधिक अवारा मवेशी भ्रमण कर रहे है। लेकिन, नगरपालिका या पशुपालन विभाग के अधिकारी कुछ नहीं कर पा रहे हैं।

वाहनों को पहुंचाते हैं क्षति

पटेल चौक पर मिले अरविंद कुमार ने बताया कि शहर में यत्र-तत्र बाइक या चार चक्का का वाहन खड़े रहते हैं। अवारा मवेशी इन वाहनों में अपना सिंग रगड़ते हैं। कभी-कभी तो बाइक को पलट देते हैं। ठेला में भी इतना जोरदार टक्कर मारते हैं कि संभालने के बाद भी नहीं रूकता और उसपर रखा सारा समान नष्ट हो जाता है। इन मवेशियों के कारण अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं। रोड जाम हो जाता है।

क्या कहते हैं किसान

सब्जी लेकर मंडी में आए किसान लक्ष्मण सिंह का कहना था कि रात में मवेशी कभी-कभी खेतों की ओर भी चले जाते हैं। खेतों में लगी फसल को रौंदकर व खाकर बर्बाद कर देते हैं। इससे किसानों को नुकसान होता है। नीलगाय व सांभर जैसे जंगली जानवर भी शहर के आसपास के खेतों में लगी फसल को चट कर जा रहे हैं। इससे उन्हें आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ता है।

नहीं पाल रहे हैं बछड़े

शहर के हरिचरण प्रसाद कहते हैं कि आज बछड़े पालना भी घाटे का सौदा बन गया है। क्योंकि मात्र एक ट्रैक्टर 20 बैलों को अनुपयोगी बना देता है। चूंकि ट्रैक्टर डीजल पीता है इसलिए किसान चारा-भूसा-पुआल खेतों में ही छोड़ आते हैं। कैमूर के अधिकांश किसान सिंचाई, जुताई, गोड़ाई, बुआई, कटाई, मड़ाई, ढुलाई, पेराई आदि का काम मशीनों से कर रहे हैं। चारागाह नहीं होने की वजह से ये मूक पशु सड़कों पर दिन रात भटकते हैं, जो वाहनों के लिए परेशानी का कारण बनते हैं।

क्या कहते हैं डीएचओ

जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ. अरविंद कुमार सिन्हा भी स्वीकारते हैं कि शहर में अवारा मवेशियों की संख्या लगातार बढ़ रही है और अगर इसे रोका नहीं गया तो आनेवाले पांच साल में भारी परेशानी पैदा कर देंगे। पशुपालक भी बाछी को पालते हैं और बछड़े को सड़क पर छोड़ दे रहे हैं। इनके लिए भूमि को अधिग्रहण कर उसकी चहारदीवारी कराने के लिए जिलाधिकारी को प्रस्ताव भेजा जाएगा। गोशाला बनाने के लिए विभाग को प्रस्ताव भेजा गया था। लेकिन, अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है। शहर में नगर परिषद व गांवों में पंचायत की जिम्मेदारी है कि वह अवारा मवेशियों को पकड़े।

कोट

अवारा मवेशियों के लिए अभियान चलाया जाता है। लेकिन, उन्हें पकड़कर रखा कहां जाए यह समस्या उत्पन्न होती है। गाय को पकड़ने पर पशुपालक आते हैं। उनसे जुर्माना लेकर गायों को छोड़ा जाता है। इस मुद्दे पर पशुपालन विभाग से मदद ली जाएगी। चूंकि मवेशियों के भरण-पोषण का भी सवाल है। नगर परिषद के पास इसके लिए कोई योजना नहीं है।

अनुभूति श्रीवास्तव, ईओ, नप

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