बरसात में लाइनिंग कार्य किए जाने पर उठाया सवाल
नहर को मिट्टी से भरकर पाटे जाने से खेत डूबने की है आशंका, समस्या के समाधान के लिए बीडीओ को किसानों ने दिया...
नहर को मिट्टी से भरकर पाटे जाने से खेत डूबने की है आशंका
समस्या के समाधान के लिए बीडीओ को किसानों ने दिया आवेदन
44 करोड़ रुपए से चल रहा लाइनिंग कार्य
16 किलोमीटर लंबी है कर्मनाश मुख्य नहर
चांद। एक संवाददाता
बरसात में नहर का लाइनिंग कार्य किए जाने पर चांद के किसानों ने सवाल खड़ा किया है। उनका कहना है कि बरसात में बाढ़ का पानी कर्मनाशा मुख्य नहर से निकलता है। लेकिन, लाइनिंग का कार्य नहर को मिट्टी से पाटकर किए जाने से पानी की निकासी बंद हो जाएगी, जिससे क्षेत्र के करीब तीन हजार हेक्टेयर खेत में लगनेवाली फसल डूब जाएगी। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान होगा। इसी चिंता में गल रहे सैकड़ों किसानों ने हस्ताक्षरयुक्त आवेदन बीडीओ को देकर लाइनिंग का कार्य बरसात बाद कराने व जलनिकासी का प्रबंध कराने की गुहार लगाई।
किसानों के आवेदन पर बीडीओ व सीओ ने कार्य स्थल का जायजा लिया। उन्होंने माना कि अगर नहर के रास्ते जलनिकासी का प्रबंध नहीं किया गया तो खेत डूब सकते हैं। उधर, कर्मनाश सिंचाई प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता का दावा है कि बरसात में मिट्टी का कार्य नहीं होगा और जलनिकासी का प्रबंध किया जाएगा। लेकिन, किसान कहते हैं कि जब नहर को मिट्टी से पाट दिया गया है और बरसात शुरू हो गई है तो इतनी जल्दी जलनिकासी का प्रबंध कैसे किया जा सकता है।
बरसात में कर्मनाशा से चांद तक नहर में लाइनिंग का कार्य शुरू कराया गया है। कर्मनाश मुख्य नहर में 16 किमी. तक लाइनिंग का कार्य कराना है। इस कार्य पर 44 करोड़ रुपए खर्च किया जाना है। किसान कहते हैं कि अगर यह काम फरवरी-मार्च माह में किया जाता तो बेहतर रहता। लेकिन, विभाग का कहना है कि लाइनिंग का कार्य पूरा कराने में दो साल का समय लग जाएगा। चांद की 90 फीसदी आबादी खेतीबारी पर निर्भर है। इसलिए उक्त समस्या को ले यहां के किसान चिंतित हैं।
इन गांवों की डूबती है फसल
सिहोरिया गांव के कृष्णकांत सिंह, उपेन्द्र कुमार सिंह, मनोहर गोंड, चांद के राजीव कुमार सिंह, रघुवंश सिंह आदि किसानों ने बताया कि पौरा, भलुहारी, कुड्डी, सलौंजा, भेरी, जिगिना, भेवार, सिहोरिया, चांद, पाढ़ी, एकौनी, कोनहरा, अल्लीपुर, परसिया इत्यादि गांव के किसानों की फसल अत्यधिक बरसात होने पर डूब जाती है। ऐसे में सिर्फ कर्मनाशा नहर व गंदा नाला पइन से बाढ़ का पानी निकलता है। बारिश होने पर मिट्टी बह जाएगी। ऐसे में लाइनिंग का कार्य बरसात में शुरू कराना ठीक नहीं है। इस समस्या की जानकारी लेने के लिए तत्कालीन डीएम अरविंद सिंह व राजेश्वर प्रसाद सिंह ने मुआयना किया था।
रूइयां माइनर का भी होगा कार्य
कनीय अभियंता मृत्युंजय प्रसाद ने बताया कि कर्मनाशा मुख्य नहर का पक्कीकरण कर्मनाशा जीटी रोड से चांद तक 16 किमी. की दूरी तक किया जाएगा। नहर को मिट्टी से पाटकर बेड और दोनों बैंक को पक्का किया जाना है। इसे लाइनिंग योजना के नाम से जानते हैं। इसके अलावा 7.1 किमी. की दूरी में रूइया माइनर का भी कार्य होगा। लाइनिग योजना का प्राक्कलन लगभग 44 करोड़ रुपए का है।
बीडीओ ने डीएम को कराया अवगत
बीडीओ रवि रंजन ने इस मुद्दे पर कहा कि मैंने सीओ महेंद्र प्रसाद के साथ कार्य स्थल पर जाकर जायजा लिया है। बरसात में मिट्टी का कार्य चल रहा है। इसकी जानकारी डीएम को देकर कहा गया है कि जलनिकासी की व्यवस्था नहीं की गई तो चांद प्रखंड की खेती को नुकसान होगा।
डीएओ ने बीएओ से मांगी रिपोर्ट
पौरा गांव में आए डीएओ ललीता प्रसाद से मिलकर किसानों ने अपनी समस्या रखी। डीएओ ने इस मामले में बीएओ से रिपोर्ट मांगी है। उनका कहना है कि बीएओ की रिपोर्ट के आधार पर वह किसानों की इस समस्या से डीएम को अवगत कराएंगे, ताकि किसानों की फसल को क्षति न पहुंचे।
कोट
लाइनिंग का कार्य किसानों के हित में है। दो साल में उक्त योजना पूरी हो जाएगी। जहां तक की नहर मिट्टी से पट चुकी है वहां से जलनिकासी के लिए चैनल वगैरह का कार्य चल रहा है। बरसात में मिट्टी का कार्य नहीं होगा। नहर के पानी को आगे ले जाने में काई रूकावट नहीं आएगी।
दिलीप कुमार, ईई, कर्मनाशा सिंचाई प्रमंडल
फोटो- 10 जुलाई भभुआ- 3
कैप्शन- कर्मनाशा मुख्य नहर में नौकटा व भटानी गांव के सामने चल रही लाइनिंग कार्य का जायजा लेते बीडीओ व सीओ।