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अब कैमूर जिले में शुरू होगा जल संरक्षण मिशन

सरकार के निर्देश पर जलशोधक व सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने की दिशा में जिला प्रशासन ने शुरू की पहल, जियोलॉजिस्ट, इंजीनियर, एक्सपर्ट की राय से घरों में कर सकते हैं...

अब कैमूर जिले में शुरू होगा जल संरक्षण मिशन
हिन्दुस्तान टीम,भभुआWed, 03 Jul 2019 07:25 PM
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सरकार के निर्देश पर जलशोधक व सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने की दिशा में जिला प्रशासन ने शुरू की पहल

जियोलॉजिस्ट, इंजीनियर, एक्सपर्ट की राय से घरों में कर सकते हैं स्थापित

आमजनों की मदद से जल संरक्षण मिशन को फतह करने की है योजना

70 लीटर पानी रोजाना चाहिए एक व्यक्ति को

भभुआ। कार्यालय संवाददाता

अब जिला प्रशासन कैमूर में स्वच्छता अभियान की तरह जल संरक्षण मिशन शुरू करेगा। इसको लेकर केंद्र व राज्य सरकार भी गंभीर है। सरकार के प्रधान सचिव दीपक कुमार ने सोमवार को जिला प्रशासन के साथ वीडियोकांफ्रेंसिंग कर जल संचय के लिए जनजागरण अभियान चलाने का निर्देश दिया था। उन्होंने जल संचय की योजना का प्रयोग सरकारी भवनों आंगनबाड़ी केन्द्रों, सामुदायिक भवन, पंचायत सरकार भवन, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, स्कूल के अलावा अन्य सरकारी भवनों में करने को कहा है। इसके बाद आमजनों के बीच जनजागरण अभियान चलाकर उन्हें भी अपने घरों में सोख्ता बनाने के लिए प्रेरित करने के लिए कहा है।

पानी की बर्बादी रोकने के लिए भी अभियान चलेगा। ऐसे लोगों को चिन्हित कर जिला प्रशासन उन्हें समझाने का प्रयास करेगा। नहीं मानने पर नोटीस भेजा जाएगा। सुधार नहीं होने पर उनपर जुर्माना लगाया जाएगा। इसके बाद भी जब वह पानी को बर्बाद करते मिलेंगे तो उनके खिलाफ प्रशासन मुकदमा करेगा। पीएचईडी द्वारा स्थापित टंकी, नल व पाइप से बेवजह बहने वाले पानी को भी रोकने का प्रयास होगा। फटी-टूटी पाइप की मरम्मत की जाएगी। नल में टोटी लगाई जाएगी, ताकि पानी के बेवजह बहाव को रोका जा सके। इसको लेकर जनप्रतिनिधियों के साथ पांच जुलाई को बैठक भी होगी।

जानकार बताते हैं कि कुछ लोग सबमर्सिबल चालू कर छोड़ देते हैं और टंकी भरकर पानी बहते रहता है। नल-जल योजना के पानी से कुछ लोग मवेशी को नहलाने का काम कर रहे हैं। बाल्टी में पानी भरकर स्नान करने के बजाय कुछ लोग सीधे नल चालू कर स्नान करते हैं। ब्रश करते या कपड़ा धोते समय भी नल को खोलकर रखा जाता है। कमरों को धोने के लिए पाइप का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे पानी की बर्बादी ज्यादा होती है।

ऐसे तैयार करें रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए दो तरह के गड्ढे बना सकते हैं। एक का दैनिक इस्तेमाल के लिए पानी इकट्ठा किया जा सकता है और दूसरे का सिंचाई या अन्य काम में उपयोग किया जा सकता है। दैनिक इस्तेमाल के लिए पक्के गड्ढे को सीमेंट व ईंट से बनाया जाता है। इसकी गहराई 7 से 10 फीट व लंबाई एवं चौड़ाई चार फीट होती है। इन गड्ढों को पाइप द्वारा छत की नालियों और टोटियों से जोड़ दिया जाता है, ताकि बारिश का पानी सीधे इन गड्ढों में आ सके, जबकि दूसरे गड्ढे को यूं ही रखा जाता है। इसके पानी से खेतों की सिंचाई की जाती है।

क्या कहते हैं जल विशेषज्ञ

जल विशेषज्ञ डॉ. विनोद मिश्र बताते हैं कि वर्षा की मात्रा कम होना ही जल संकट का कारण नहीं है। बोरवेल प्रौ़द्योगिकी से धरती के गर्भ से अंधाधुन जल खींचा जा रहा है। जितना जल वर्षा से पृथ्वी में समाता है, उससे अधिक हम निकाल रहे हैं। जल संरक्षण, जल का सही ढंग से इस्तेमाल, जल का पुन: इस्तेमाल और भू-जल की रिचार्जिंग पर समुचित ध्यान देने की आवश्यकता है। जल संरक्षण की शिक्षा बचपन से ही बच्चों को स्कूल में दी जानी चाहिए। जल, जमीन और जंगल तीनों एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हैं। इन्हें एक साथ देखने, समझने और प्रबंधन करने की आवश्कयता है।

क्या कहते हैं भूगोल शास्त्री

भूगोल शास्त्री डॉ. अखिलेंद्रनाथ तिवारी का कहना है कि सिवरेज ट्रीटमेंट अथवा स्टोरम वाटर ड्रेनेज सिस्टम लागू कर लोगों को जलजमाव व जल संकट की समस्या से मुक्ति दिलाई जा सकती है। इसके लिए जियोलॉजिस्ट, इंजीनियर, एक्सपर्ट की मदद ली जा सकती है। यह एडवांस टेक्नोलॉजी है। इस सिस्टम से नाले में पानी विपरीत दिशा में नहीं जाता है। जलस्रोत का जीर्णोंद्वार करने, अतिक्रमण हटवाने, पानी स्टोर करने, तालाब, पोखरे, कुएं की खुदाई कराने से भी भू-गर्भ में पानी की कमी कुछ हद तक दूर हो सकती है।

कोट

कैमूर में जल संचय की दिशा में पहल शुरू कर दी गई है। सरकारी भवनों में सोख्ता बनवाया जाएगा। जल संरक्षण के लिए मिशन शुरू किया जाएगा। आमजनों को भी पानी का जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल करना जरूरी है।

डॉ. नवल किशोर चौधरी, डीएम

फोटो- 03 जुलाई भभुआ- 12

कैप्शन- भगवानपुर प्रखंड के भैरोपुर गांव में नल-जल योजना की पाइप से बेकार में बहता पीने का पानी।

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