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अफसरों की करतूत लगा रही खाकी पर बदनुमा दाग

गलत कृत्य करने में सस्पेंड हो चुके हैं कमूर के कई दारोगा,घूस लेने, अवैध वसूली करने, शराब पीने के लगे थे...

अफसरों की करतूत लगा रही खाकी पर बदनुमा दाग
हिन्दुस्तान टीम,भभुआWed, 19 Jun 2019 08:23 PM
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गलत कृत्य करने में सस्पेंड हो चुके हैं कमूर के कई दारोगा

घूस लेने, अवैध वसूली करने, शराब पीने के लगे थे आरोप

04 दारोगा आए हैं कार्रवाई की जद्द में

भभुआ। कार्यालय संवाददाता

वर्दी आमजनों व समाज की सुरक्षा के लिए होती है। पुलिस अफसरों को उसकी आन बरकरार रखनी होती है। लेकिन, कुछ अफसर वर्दी की आड़ में ऐसा काम कर देते हैं कि पूरे महकमे को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है। कैमूर में ऐसी कई वारदात को वर्दीवालों ने अंजाम दिया है, जिससे खाकी पर बदनुमा दाग लगा है। ऐसे पुलिस अफसरों पर घूस लेने, अवैध वसूल करने, शराब पीकर पिटाई करने जैसे आरोप लगे और सस्पेंड हुए।

हत्या, लूट जैसी कई वारदातों का राजफाश करने में कैमूर पुलिस जुटी है और हाल के दिनों में कर भी रही है। लेकिन, उन्हीं के कई साथी गलत कृत्य को न सिर्फ बढ़ावा देने में जुटे हैं बल्कि गिरोह का संरक्षणकर्ता भी बन बैठे हैं। हाल की घटना की चर्चा करें तो कैमूर के मोहनियां, चैनपुर, दुर्गावती थानों में कार्य कर चुके बारुण के थानाध्यक्ष बिरेंद्र पासवान गंभीर आरोप में न सिर्फ सस्पेंड हुआ बल्कि जेल भी गया। वह औरंगाबाद में रहकर कैमूर के इंट्री माफियाओं को संरक्षण देता था। संभवत: उसकी मंशा कम समय में ज्यादा धन कमाने की थी।

पुलिस वाले अक्सर गलत कर बैठते हैं। लेकिन, वर्दी के भय से आमजन उनका विरोध नहीं कर पाते हैं। कार्रवाई होगी या नहीं और नाहक वह निशाना बन जाएगा इसलिए लोग चाहकर भी किसी पुलिस अधिकारी की शिकायत नहीं कर पाते हैं। लेकिन, जिसने हिम्मत दिखाई और अधिकारी ने संज्ञान लिया तो उसके खिलाफ कार्रवाई होती ही है। जब किसी अफसर की करतूत सिर चढ़कर बोलने लगती है उस दशा में भी कार्रवाई होती है। जबकि सरकार का कहना है कि पुलिस आमजनों का मित्र बनकर काम करे और उन्हें अपने विश्वास में ले। लेकिन, कुछ वर्दीधारियों के कृत्य उनपर भरोसा लायक नहीं छोड़ता।

केस एक

बीरेंद्र पासवान मोहनियां थाना में पदस्थातिप था। बाद में औरंगाबाद जिले के बारुण थाने का थानाध्यक्ष बना। रविवार को मो. संजीद अख्तर, परवेज अंसारी एवं वसीम अंसारी को कैमूर पुलिस ने गिरफ्तार किया, जो फर्जी डीटीओ बनकर ट्रकों को जब्त कर अवैध वसूली करते थे। गिरफ्तार उक्त लोगों ने पुलिस को बताया कि बारुण थानाध्यक्ष उनके गिरोह को संरक्षण देता है। उनके द्वारा पकड़ा गया ट्रक भी बारुण थाना में लगवाया है। कैमूर पुलिस ने जहां मंगलवार को गिरफ्तार कर उसे बुधवार को जेल भेज दिया, वहीं औरंगाबाद एसपी ने उसे सस्पेंड किया है।

केस दो

एक दशक पहले दुर्गावती थाना में परशुराम सिंह नामक दारोगा कार्यरत था। उसने एक मुकदमें में अनुसंधान के दौरान राहत देने का प्रलोभन देकर घूस मांगा था। पीड़ित व्यक्ति ने इसकी शिकायत निगरानी से की। प्लान के अनुसार पीड़ित परशुराम को पांच हजार रुपया घूस दे रहा था। इसी दौरान निगरानी की टीम पहुंचे और उसे घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर अपने साथ ले गई। तब पुलिस महकमा में काफी हड़कंप मचा था और घूस लेनेवाले वर्दीधारी सतर्क भी हुए थे। लेकिन, अब भी कुछ अफसर गलत कार्य कर रहे हैं।

केस तीन

रामगढ़ थाने का दारोगा मंटू सिंह नशे में था और बाइक चेक करते समय नवंबर 2018 में रामगढ़ बाजार के अभिमन्यू गुप्ता को पीट दिया। उसने इसकी शिकायत एसपी से की। एसपी ने मोहनियां डीएसपी रघुनाथ सिंह को जांच करने की जिम्मेदारी दी। जांच में शिकायत सच साबित हुई और उसे एसपी ने सस्पेंड कर दिया। यह घटना अभिमन्यू के साथ तब हुई थी जब वह छठ का प्रसाद अपने रिश्तेदार के घर पहुंचाकर लौट रहा था।

केस चार

दुर्गावती थाना के दारोगा उपेंद्र यादव ने दुस्साहस दिखाते हुए ओवरलोडेड बालू लदे ट्रकों से अवैध वसूली करने के लिए यूपी की सीमा में घुस गया। उत्तर प्रदेश की पुलिस ने सिर्फ उपेंद्र बल्कि थाने के ड्राइवर व अन्य जवानों को गिरफ्तार कर लिया। जब इसकी शिकायत डीआईजी के पास पहुंची तो उन्होंने इसकी जांच कराई। जांच में शिकायत की पुष्टि होने के बाद उपेंद्र सहित अन्य पुलिसकर्मी सस्पेंड कर दिए गए।

केस पांच

सरकार ने पूरे सूबे में शराबबंदी लागू की है। लेकिन, पुलिस अफसर खेद दारु पी रहे हैं। कुदरा थाना में पदस्थापित दारोगा नागेंद्र पासवान दारु पीने के ही आरोप में सस्पेंड किया गया। चांद थाने के ड्राइवर को भी शराब कारोबार में संलिप्तता के मामले में पुलिस ने पकड़ा था। जिले के कई चौकीदारों को भी शराब के नशे में पुलिस ने गिरफ्तार किया है। यह सब तो चंद उदाहरण हैं। ऐसे में पब्लिक पुलिस का कैसी मित्र बन सकती है।

इनसेट

एसपी ने तय की है सिपाही तक की जिम्मेदारी

एसपी दिलनवाज अहमद ने किसी भी आपराधिक घटना पर सिपाही से लेकर अधिकारी तक की जिम्मेदारी तय की है। प्रारम्भिक स्तर पर ही अपराध को रोकने की कोशिश की जा रही है। बैठकों में नए टास्क मिल रहे हैं। उद्देश्य अपराध को खत्म करने व अपराधियों को जेल की सलाखों के पीछे भेजने का है। पुलिस व जनता के बीच के संबंध को अच्छा बनाकर उनका विश्वास हासिल करने के लिए कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं।

फोटो- 19 जून भभुआ-1

कैप्शन- इंट्री माफिया को संरक्षण देने के मामले में गिरफ्तार औरंगाबाद के बारुण थाना के थानाध्यक्ष को कोर्ट से जेल ले जाती पुलिस।

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