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शिक्षा के साथ स्वच्छता भी जरूरी : डॉ. धीरेन्द्र उपाध्याय

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शिक्षा के साथ स्वच्छता भी जरूरी : डॉ. धीरेन्द्र उपाध्याय
हिन्दुस्तान टीम,बिहारशरीफSat, 15 Oct 2022 10:10 PM
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शिक्षा के साथ स्वच्छता भी जरूरी : डॉ. धीरेन्द्र उपाध्याय

स्वच्छता की सीख देती है भारतीय संस्कृति :

भविष्य के लिए प्राकृतिक संसाधनों को सहेजने की जरूरत : डॉ. कामना

फोटो :

15राजगीर01-गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज में एक दिवसीय कार्यशाला के दौरान छात्रों के साथ प्रोफेसर व अन्य।

राजगीर, निज संवाददाता।

किताबी ज्ञान के साथ अन्य तरह की गतिविधियों की जानकारी बहुत जरूरी है। शिक्षा के साथ स्वच्छता भी आवश्यक है। इसके लिए छात्रों को विभिन्न तरह की योजनाओं की जानकारी होना चाहिए। स्वच्छता सबसे अहम है। हमें अपने आसपास के इलाके को साफ-सुथरा रखना चाहिए। स्वच्छता में ही ईश्वर का वास होता है। ये बातें गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज के परीक्षा नियंत्रक सह सहायक प्राध्यापक डॉ. धीरेन्द्र उपाध्याय ने शनिवार को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा परिषद द्वारा आयोजित सतत विकास व स्वच्छता पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में कहीं।

डॉ. उपाध्याय ने कहा कि कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अभयानंद सिन्हा की देखरख में कॉलेज में बेहतर पढ़ाई चल रही है। उनके निर्देश पर ही इस तरह का कार्यशाला कर छात्रों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया जा रहा है। इससे छात्रों में अपने भविष्य के लिए सोच जागेगी। प्रकृति की धरोहरों को वे सहेज सकेंगे। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति में ही स्वच्छता जुड़ा है। छात्र स्वच्छता के प्रति जागरूक हों। उन्हें यह आत्मसात्त करने की जरूरत है। जीवन में बदलाव लाएं।

राष्ट्रीय सेवा योजना के इंचार्ज डॉ. कामना ने कहा कि देश की आबादी तेजी से बढ़ रही है। हमें अपने भविष्य के लिए प्रकृति के संसाधनों को बचाना है। समस्याएं आयेंगे पर उन्हें समाधान भी करना होगा। घरों से निकलने वाले कचरा को जहां-तहां न फेंके। डस्टबिन या सही जगह पर ही फेंके। कॉलेज परिसर के आसपास गांवों में लोगों को भी साफ-सफाई के लिए जागरूक करें। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा परिषद के प्रोजेक्ट एसोसिएट प्रेम कुमार ने कहा कि यहां पर छात्रों की एक टीम गठित की जायेगी जो गांवों में जाकर लोगों को जागरूक करेगी। वहीं घर से निकलने वाले कचरे को इधर-उधर नहीं फेंकना चाहिए। सतत विकास करना है। वर्षा के पानी का संचय करें। इससे जलस्तर में सुधार होगा। गंदे पानी को जमा कर उसे दोबारा से फिल्टर कर उसका उपयोग करें। आज से 20 साल पहले पर्यावरण काफी बेहतर था। अगर अब भी हम सचेत नहीं हुए तो आने वाली पीढ़ी इसके लिए दोषी हमें ही देगी। शिक्षा के साथ स्वच्छता जरूरी है। स्वच्छता से बीमारी दूर रहेगी। इससे विकास होगा। इस मौके पर डॉ. कामना, जीवेश कुमार, गौतम कुमार, किरण चंदेल सहित अन्य मौजूद थे।

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