फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने शुरू किया सर्वे
सेटेलाइट के माध्यम से ली गई है फॉरेस्ट व ननफॉरेस्ट वृक्षों की स्थिति, सहायक निदेशक के निर्देश पर वृक्षों का किया जा रहा है...
सेटेलाइट के माध्यम से ली गई है फॉरेस्ट व ननफॉरेस्ट वृक्षों की स्थिति
सहायक निदेशक के निर्देश पर वृक्षों का किया जा रहा है आकलन
ग्राफिक्स
07 प्रतिशत भूमि पर वन विभाग ने रोपे है पौधे
05 प्रतिशत हिस्से में योजनाओं से पौधे लगे हैं
भभुआ। एक प्रतिनिधि
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया देहरादून की टीम शनिवार को जिले के वृक्षों सर्वे करने पहुंची। टीम के सदस्यों ने पेड़ों का सत्यापन व आकलन करने का कार्य शुरू किया। जिले में वनों की स्थिति के आकलन का कार्य फॉरेस्ट ऑफ इंडिया के सहायक निदेशक एसके सिंह के निर्देश पर शुरू किया गया है। उक्त संस्था द्वारा जिले के वृक्षों की स्थिति की जानकारी सेटेलाइट के माध्यम से ली जा चुकी है। सेटेलाइट से लिए गए फोटोग्राफ्स के आधार पर टीम के सदस्य गोपाल व शतिनाथ यहां सर्वे करने आए हैं।
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आकलन करने आए सदस्य जिले के वन सुरक्षित क्षेत्र सहित सभी इलाकों में जाकर पौधों व वृक्षों की स्थिति की जानकारी ले रहे हैं। वह अपनी रिपोर्ट फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया को सौंपेंगे। अधिकारियों ने बताया कि टीम के कार्य में विभाग द्वारा सहयोग किया जा रहा है। फोटोग्राफ्स की पहचान कर उन्हें स्थान की जानकारी दी जा रही है। कुछ कर्मियों को उनके आकलन में सहयोग के लिए लगाया गया है।
वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, जिले के 12 प्रतिशत हिस्से में वृक्ष हैं, जिसमें सात प्रतिशत वन विभाग द्वारा लगया गए हैं और पांच प्रतिशत मनरेगा आदि योजनाओं व किसानों ने पौधे रोपे थे। पर्यावरण को सुरक्षित व संरक्षित रखने के लिए वृक्षों का होना अतिआवश्यक है। इसके लिए पौधरोपण कराकर तीन साल तक उसकी नियमित देखभाल कराई जाती है। पौधो की देखरेख व पटवन के लिए कर्मियों को प्रतिनियुक्त किया जाता है।
कोट
पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने के लिए वृक्षों का होना आवश्यक है। जिले में वृक्षों की स्थिति की जानकारी के लिए फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की टीम कैमूर में आकलन कर रही है। विभाग की ओर से सहयोग किया जा रहा है।
विकास अहलावत, डीएफओ कैमूर