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चतुर्दशी पर संकल्प लेकर बांधे 14 गांठवाले अनंत सूत्र

भगवान अनंत की कथा सुनने के लिए मंदिरों में लगी रही भीड़, संकट व दरिद्रता दूर करने एवं मनोकामनाएं पूरी करता है...

चतुर्दशी पर संकल्प लेकर बांधे 14 गांठवाले अनंत सूत्र
हिन्दुस्तान टीम,भभुआSun, 23 Sep 2018 07:49 PM
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भगवान अनंत की कथा सुनने के लिए मंदिरों में लगी रही भीड़

संकट व दरिद्रता दूर करने एवं मनोकामनाएं पूरी करता है सूत्र

भभुआ। एक प्रतिनिधि

भादो मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को श्रद्धालुओं ने उपवास रख भगवान अनंत की पूजा-अर्चना की। भगवान अनंत की कथा सुनने के लिए शहर के देवी मंदिर, डाकेश्वर मंदिर, महावीर मंदिर, कोटेश्वर महादेव मंदिर, चमनलाल पोखरा स्थित मंदिर के अलावा ग्रामीणों क्षेत्र के देवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई। भक्तों ने प्रात:काल में स्नान कर धूले वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लिया। पूजा स्थल पर कलश की स्थापना की और भगवान विष्णु की तस्वीर सामने रख पूजा की।

पूजा स्थल पर सूत में कुमकुम, केसर और हल्दी लगाकर 14 गांठ के अनंत सूत्र को तैयार किया और इसे भगवान विष्णु को अर्पित किया। भक्तों ने रोली, मौली, धूप, दीप, नेवेद्य, चंदन, पुष्प, ऋतु फल, पंचामृत अर्पण किया। फिर भगवान अनंत की कथा सुनी और भगवान सत्यनारायण पाठ किया। कुछ भक्तों ने भगवान का जप कर हवन भी किया। पूजा के बाद अनंत सूत्र को पुरुषों ने दाएं और महिलाओं ने बाएं हाथ पर बांधा। ब्राह्मण को दान-पुण्य कर प्रसाद ग्रहण किया।

कहते हैं कि 14 गांठें बनाकर जो धागा अपने बाजू पर धारण किया जाता है, इनमें 14 गांठें हरि के जरिए उत्पन्न 14 लोकों तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुव:, स्व:, जन, तप, सत्य, मह की रचना के प्रतीक हैं। मान्यताओं के मुताबिक अगर 14 सालों तक यह व्रत किया जाए तो विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।

इस दिन सभी घरों में मिष्ठान पकवान तैयार होता है। श्रद्धालु इसे ही ग्रहण करते हैं। कुछ लोग 24 घंटों तक नमक से तैयार भोजन ग्रहण नहीं करते हैं। लेकिन, अधिकांश लोग शाम में भोजन ग्रहण कर लेते हैं। इस पर्व को लेकर बच्चों में कुछ ज्यादा ही उत्सुकता देखी गई। वे भी उपवास रख भगवान की पूजा कर रहे थे।

व्रत व सूत्र बांधने के लाभ

कहते हैं कि अनंत चतुर्दशी का व्रत करने व सूत्र बांधने से दरिद्रता दूर होती है। दुर्घटनाओं और स्वास्थ्य समस्याओं की रक्षा होती है। मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ग्रहों की बाधा से मुक्ति मिलती है। यह रक्षा कवच की तरह काम करता है। भगवान श्रीकृष्ण की सलाह से पांडवों ने इसका पालन किया और सभी संकटों से मुक्त हुए थे।

फोटो- 23 सितंबर भभुआ-2

कैप्शन- भभुआ शहर के चमनलाल पोखरा स्थित बड़ी देवी मंदिर में रविवार को भगवान अनंत की पूजा में शामिल श्रद्धालु।

इनसेट

का ढूढे ल, क्षीर समुद्र, ढूंढ का अनंत फल

चांद/चैनपुर। चांद व चैनपुर प्रखंड में हर्षोल्लास के साथ रविवार को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया गया। खीरा, घर में बनी पूड़ी-सेवई, कच्चा सूत से बने अनंत, हल्दी, दूब, धूप, अगरबत्ती से सजे थाल को लेकर व्रती पूजा स्थलों पर दोपहर में पहुंचे और पूजा की। विष्णु-सहस्त्र नाम की पुस्तक पढ़ी। व्रती थाल में अनंत को रखा और दूब-हल्दी के साथ पानी डालकर खीरा पकड़कर सस्वर सामूहिक रूप से ‘का ढूढे ल, क्षीर समुद्र, ढूंढ का अनन्त फल का 5-7 बार कहकर पूजा किए।

आरती-हवन के बाद थाल के पानी को अपने शरीर पर छिड़के और प्रसाद ग्रहण किए। चांद में पं. लल्लू पांडेय, सुदामा तिवारी, नेता सिंह, परमानंद सिंह आदि के घरों में कथा सुनने के लिए भीड़ लगी थी। उधर, चैनपुर के हरसू ब्रह्मधाम, रामजानकी मंदिर, दुर्गा मंदिर, हाटा के हनुमान मंदिर, दुबे के सरैया के ठाकुर गोपाल जी मंदिर, रामलला मंदिर में आस्था के साथ पूजा की गई।

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