बरसात का अहसास करा गया अंतिम सावन
कभी झमाझम तो कभी फुहेरा और फिर कभी रिमिझिम हुई बारिश, भींगकर भी दुकानों से रक्षाबंधन पर्व की खरीदारी करते रहे...
कभी झमाझम तो कभी फुहेरा और फिर कभी रिमिझिम हुई बारिश
भींगकर भी दुकानों से रक्षाबंधन पर्व की खरीदारी करते रहे लोग
भभुआ। कार्यालय संवाददाता
अंतिम सावन बरसात का अहसास करा गया। कभी झमाझम तो कभी फुहेरा और फिर कभी रिमिझिम बारिश होती रही। कभी-कभी तो आसमान से धूप भी निकल आती थी। तब लोगों के देह में चुनचुनाहट उत्पन्न हो जाती थी। कभी ठंडी हवा तो धूप से कभी उमसभरी गर्मी हो रही थी। कई बहने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधने अपने मायके आई हैं। लेकिन, बरसात के बीच बाधित बिजली आपूर्ति की वो भी शिकायत करने से नहीं चुकीं। शनिवार को हर पांच-दस मिनट पर बिजली आती-जाती रही। यह समस्या शुक्रवार की रात से उत्पन्न है।
खैर, धान की फसल को पानी की जरूरत थी। वर्षा का पानी फसल के लिए संजीवनी का काम किया है। लेकिन, इससे राहगीरों को परेशानी भी हुई है। सड़कों पर जमी धूल कीचड़ में तब्दील हो गई। कहीं सड़क पर उभरे गड्ढों में वर्षा का पानी जमा हो गया। जब उधर से कोई वाहन गुजरता और पानी भरे गड्ढों में उसके टायर का दबाव पड़ता तो छींटा से राहगीरों के कपड़े गंदे हो जा रहे थे। साइकिल वाले तो बड़ी मुश्किल से राह तय कर पा रहे थे। शहर की गलियों में भी जहां-तहां पानी जमा हो गया है।
किसानों फगुनी सिंह व राधेश्याम सिंह बताते हैं कि वैसे तो तीन दिनों से बारिश हो रही है। लेकिन, शुक्रवार की रात की बारिश का पानी खेती के लिए काफी उपयोगी साबित हुआ है। सब्जी उत्पादक रघुनी बिंद व कमलेश यादव बताते हैं कि धूप तीखी निकल रही थी। खेत की मिट्टी पूरी तरह सूख गई थी। लेकिन, वर्षा के पानी से सिंचाई की समस्या दूर हो गई। हालांकि खेतों में पानी जमा हो गया है। जिस ढाल खेत में पानी ज्यादा जमा है, उसे निकाला जा रहा है।