मौसम में बदलाव होते ही जिले में बढ़ गई दवाओं की खपत (पेज तीन की लीड खबर)
बाजार में बढ़ी एजेथ्रोमाइसिन, मोनटिना-एल, सेट्रीजिन, लेवोसेट्रीजिन, सिनारेस्ट, डार्ट, ग्रिलिन्टस, टोसेक्स, कोडिस्टार दवाओं की मांग सरकारी अस्पताल के काउंटर व बाजार की दुकानों में लग रही है...

बाजार में बढ़ी एजेथ्रोमाइसिन, मोनटिना-एल, सेट्रीजिन, लेवोसेट्रीजिन, सिनारेस्ट, डार्ट, ग्रिलिन्टस, टोसेक्स, कोडिस्टार दवाओं की मांग
सरकारी अस्पताल के काउंटर व बाजार की दुकानों में लग रही है भीड़
सर्दी, खांसी, बुखार, बदन दर्द, एलर्जी से आमजन हो रहे हैं परेशान
भभुआ, कार्यालय संवाददाता। मौसम में बदलाव होते ही जिले में सर्दी, खांसी, बुखार, बदन दर्द आदि रोग की दवाओं की खपत बढ़ गई है। हालांकि बदलते मौसम और खान-पान एवं रहन-सहन के कारण कोई भी उक्त बीमारियों की चपेट में आ सकता है। हालांकि, खांसी की समस्या जल्द ठीक हो जाती है, लेकिन समय रहते इलाज न करने पर यह गंभीर रूप भी ले सकती है। इसलिए अगर किसी को हल्की-सी खांसी भी है, तो उसे ठीक करना जरूरी है।
चिकित्सकों का मानना है कि बुखार आने पर उसकी अनदेखी करने से बचना चाहिए। अन्यथा वायर फीवर खतरनाक भी बन सकता है और दूसरी बीमारी का रूप ले सकता है। वायरल फीवर के बहाने डेंगू बुखार, कोविड भी हो सकता है। इसलिए बुखार आने पर चिकित्सक से जांच कराएं और उनकी सलाह से अन्य जांच कराकर दवाएं लें। सर्दी, खांसी, बदन, सिर दर्द की शिकायत पर लोग अक्सर दुकान से दवा लेकर खा लेते हैं। ऐसा करने से परहेज करना चाहिए।
चिकित्सकों का मानना है कि प्रदूषण, गैस्ट्रोएसोफैगेल रीफ्लक्स डिजीज, दम घुटने, क्रोनिक ब्रोंकाइिअस, अस्थ्मा, धूम्रपान के कारण भी खांसी होती है। इन दिनों बुखार, ठंड लगना, बदन दर्द, गले में खराश, मतली, उल्टी, सिर दर्द, साइनस में दबाव, नाक बहने जैसी शिकायत बढ़ गई है। हालांकि बदलते मौसम में बीमार होने पर कुछ लोग घरेलू नुस्खे अपनाते हैं। यह तो ठीक है, लेकिन डॉक्टर से जांच कराकर दवा लेना स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।
सरकारी अस्पतालों में 15 फीसदी दवाओं की खपत बढ़ी
सिविल सर्जन डॉ. मीना कुमारी ने बताया कि बदलते मौसम में सर्दी, खांसी, बुखार, बदन दर्द, उल्टी, मतली आदि रोग के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। इसलिए करीब 15 फीसदी दवाओं की खपत बढ़ी है। इन बीमारियों के अलावा अन्य रोग भी दवाएं सभी अस्पतालों में उपलब्ध हैं। अक्टूबर से दिसंबर तक के लिए 311 तरह की दवाओं की मांग की गई थी। लेकिन, 186 तरह की दवाएं आपूर्ति हो सकी हैं। अभी 125 प्रकार की दवाएं नहीं मिली हैं। हर तीन माह पर दवा की मांग की जाती है।
मौसमी रोग की उपलब्ध हैं दवाएं
सिविल सर्जन के अनुसार, बदलते मौसम में होनेवाली बीमारी को ठीक करने के लिए सभी अस्पतालों में बुखार व दर्द के पारासिटामोल सिरप व टॉबलेट, इबुप्रोफेन, एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन टॉबलेट व सिरप, शौच रोकने के लिए एमपी सेलिन कैप्सूल, एमोक्सासिलेन कैप्सूल, एमपी सेलिन पौटैशियम सिरप के अलावा अन्य दवाएं उपलब्ध हैं। अस्पताल प्रबंधन आवश्यकतानुसार दवाओं की मांग करता है, जिसकी आपूर्ति की जा रही है।
बाजार में भी 20 फीसदी दवाओं की खपत में वृद्धि
केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के पूर्व सचिव राकेश श्रीवास्तव बताते हैं कि बदलते मौसम में मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही रोग की दवाओं की खपत भी बढ़ गई है। सर्दी के लिए एंटीबायोटिक एजेथ्रोमाइसिन, एंटी एलर्जिक में सबसे ज्यादा मोनटिना-एल, सेट्रीजिन, लेवोसेट्रीजिन, एंटी कोल्ड की सिनारेस्ट, डार्ट, कफ सिरप में ग्रिलिन्टस, टोसेक्स, कोडिस्टार की मांग में करीब 20 फीसदी की वृद्धि हुई है। हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो मौसमी बीमारी से पीड़ित होने पर दुकान से दवा लेकर खा लेते हैं। ऐसी लापरवाही करने से बचना जरूरी है। चिकित्सक से स्वास्थ्य की जांच कराकर उनकी सलाह पर ही दवाएं लेकर खाएं।
इन कारणों से पीड़ित होते हैं लोग
आईएमए के सचिव डॉ. संतोष कुमार सिंह बताते हैं कि मौसम बदलने पर लापरवाही करने, धूल-मिट्टी, प्रदूषण, श्वसन तंत्र के संक्रमण, टॉन्सिल संक्रमित होने यानी टॉन्सिलाइटिस, धूम्रपान करने, आइसक्रीम या कोल्डड्रिंक का सेवन करने से गले में खराश व दर्द, बुखार आने, सिरदर्द होने, थकान होने, सीने में दर्द होने, सांस लेने में परेशानी होने, नाक बंद होने, उल्टी आने, सीने में जलन होने जैसी शिकायत होती है। इसलिए बदलते मौसम में खान-पान, रहन-सहन में बदलाव करना जरूरी है।
बच्चों को जुकाम होने पर इन घरेलू नुस्खों को आजमाएं
बच्चों की तबीयत खराब होने पर परिजन तुरंत घबराने लगते हैं। उन्हें बिना देर किए डॉक्टर से दिखाना चाहिए। उनकी राय पर बच्चों को समय पर दवा देनी चाहिए। इसके अलावा घरेलू नुस्खे भी अपना सकते हैं। मसलन सर्दी में नमक के पानी के गरारे कराने, भाप देने, गुनगुना पानी से स्नान कराने व पीलाने, गरम सरसो तेल से मालिश करने, शहद पिलाने, अदरक का रस देना चाहिए।
हमेशा सर्दी रहने का क्या कारण है?
आईएमए के अध्यक्ष डॉ. डीके सिंह मंटू बताते हैं कि हमेशा सर्दी रहने का प्रमुख कारण प्रदूषण, धूम्रपान और इंफेक्शन होता है। बच्चों में यह समस्या एलर्जी और बोतल से दूध या पानी पीने के कारण होती है। बोतल को हमेशा गरम पानी से साफ करें। सर्दी-जुकाम कभी भी किसी को भी हो सकता है। आमतौर पर यह कोई गंभीर समस्या नहीं मानी जाती है।
फोटो- 11 नवंबर भभुआ- 1
कैप्शन- सदर अस्पताल के ओपीडी में काउंटर से शुक्रवार को दवा लेने के ते मरीज।
