Annual Makar Sankranti Fair in Akhlaspur A Cultural Extravaganza with Local Products and Entertainment अखलासपुर के प्राचीन मकर संक्रांति मेला की तैयारी शुरू (पेज चार की बॉटम खबर), Bhabua Hindi News - Hindustan
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अखलासपुर के प्राचीन मकर संक्रांति मेला की तैयारी शुरू (पेज चार की बॉटम खबर)

मकर संक्रांति पर भभुआ के अखलासपुर में लगने वाले मेले की तैयारी शुरू हो गई है। इस मेले में भेड़ की लड़ाई, स्थानीय उत्पादों की बिक्री और बच्चों के लिए मनोरंजन सामग्री लगाई जाएगी। लोग यहां विभिन्न प्रकार...

Newswrap हिन्दुस्तान, भभुआFri, 27 Dec 2024 08:29 PM
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अखलासपुर के प्राचीन मकर संक्रांति मेला की तैयारी शुरू (पेज चार की बॉटम खबर)

अखलासपुर, कजरादह, हनुमान घाटी में काफी वर्षों से लगते आ रहा है मेला, भेड़ की लड़ाई देखने के लिए जुटती है काफी भीड़ मेले में पत्थर व लोहा से तैयार बिहार के उत्पाद की खूब होती है बिक्री कैमूर जिले के विभिन्न प्रखंडों में मकर संक्रांति पर लगते आ रहा है मेला भभुआ, कार्यालय संवाददाता। जिले में मकर संक्रांति पर लगनेवाले मेले की तैयारी शुरू कर दी गई है। भभुआ के अखलासपुर के मेला को लेकर यूपी-बिहार के व्यापारी अभी से पहुंचने लगे हैं। यूपी के गोंडा व गाजीपुर जिला के व्यापारी छोटे-बड़े झूला, चरखी, काठ के घोड़ा, नाव, मारुति, मिक्की माउस जैसी मनोरंजन सामग्री मेला परिसर में लगा रहे हैं। जबकि बिहार के रोहतास, कैमूर, औरंगाबाद आदि जिलों के व्यापारी लोहा व पत्थर से तैयार लोकल उत्पाद की दुकानें लगाते हैं। यहां 70 वर्ष से भी ज्यादा साल से मेला लग रहा है। इस मेले में पत्थर से बने सिल-लोढ़ा, जाता, चकरी, ओखली, लोहा से तैयार कृषि यंत्र व लौह शस्त्र हंसिया, खुरपी, कुदाल, टांगी, फरसा, भाला, गड़ासा, गज, टेकानी बेचने के लिए कारोबारी आते हैं। बच्चों के लिए प्लास्टिक, लोहा व लकड़ी से बने बंदूक, गुड्डा-गुड्डी, जेसीबी, गुब्बारा, मकान, ब्रश, बस, कार जैसे खिलौनों की दुकानें सजती हैं। सिंदूर, बिंदी, लिपिस्टक, बाली, माला, हार, रबर, रिबन, क्रीम, पाउडर जैसी शृंगार सामग्री भी महिलाएं खूब खरीदती हैं। किचेन के लिए कलछूल, छोलनी, पहसूल, चाकू, सिकर, छोटे-छोटे बर्तन, मवेशियों के लिए रस्सी, नाथन, जाब, माला, लाठी आदि की भी दुकानें सजाई जाती हैं। मेला परिसर में छोला, भटूरा, समोसा, चाउमिन, बर्गर, चाट, जलेबी, मिठाई, गोलगप्पा, पकौड़ी आदि चीजों की दुकानें खूब लगती हैं। इन दुकानों पर बच्चे अपनी पसंद की चीजें खाने के लिए आते हैं। जबकि बड़े-बुजुर्ग बादाम खरीदकर मेला के भीड़ से किनारे बैठकर खाते हैं। उनके साथ घर के छोटे-छोटे बच्चे भी होते हैं। हालांकि कुछ बच्चे अपने दोस्तों के साथ मेले का आनंद लेने आते हैं और कुछ अपने अभिभावकों के साथ होते हैं। इन जगहों पर लगता है मेला मकर संक्रांति मेला जिले के अखलासपुर, हनुमान घाट, वीर बाबा, कजरादह, सबार, आरडी 184, बेलांव, बड़कागांव, खजूरा, सोहसा, अकोढ़ी, आदि जगहों पर लगता है। मेले में भेड़ की लड़ाई व पहलवानी देखने के लिए काफी लोग आते हैं। भगवानपुर के मेला में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। बिरहा गायक आते हैं। हनुमान घाट में करीब 70 साल से मकर संक्रांति पर्व पर मेला लगते आ रहा है। इस मेला को लेकर खासकर बच्चों का उत्साह देखते बनता है। इन चीजों के खाने का है महत्व मकर संक्रांति पर्व को लेकर बच्चों में खासा उत्साह देखा जाता है। अभिभावक सरोवरों में डुबकी लगाने के बाद पूजा-पाठ कर दान-पुण्य करने में व्यस्त रहते हैं। महिलाएं घरों में पकवान बनाती हैं। खिचड़ी पकाती है। आलू, प्याज, फूलगोभी, पालक आदि के पकौड़े तैयार किए जाते हैं। दिन में दही, गुड़, चूड़ा, ढूंढा, लाई आदि खाकर बच्चे मेले में घूमने जाते हैं। इन चीजों के खाने का महत्व भी रहता है। पतंगबाजी व दान-पुण्य करते हैं मकर संक्रांति का मेला देखकर लौटने के बाद बच्चे पतंगबाजी में व्यस्त हो जाती हैं। सुबह से लोग स्नान-ध्यान व दान-पुण्य में लगे रहते हैं। इस दिन उड़द, चावल, तिल, चूड़ा, गौ, स्वर्ण, ऊनी वस्त्र, कंबल आदि दान करने का बड़ा महत्व माना जाता है। कुछ लोग इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों को विशेष महत्व देते हैं। गंगा स्नान एवं गंगा तट पर दान को अत्यंत शुभ माना गया है। फोटो- 27 दिसंबर भभुआ- 1 कैप्शन- अखलासपुर में मकर संक्रांति पर लगने वाले मेला में बच्चों के मनोरंजन के लिए शुक्रवार को लगाया गया चरखी।

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