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घर लौटे मजदूरों को उनकी दक्षता के अनुरूप मिले कार्य

वैश्विक महामारी कोरोना ने गांव से लेकर शहर तक दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। हर कोई कोरोना संक्रमण से डरे-सहमे हुए हैं। लोगों के अंदर कोरोना का डर इस तरह समा चुका है कि प्रदेश कमाने गए लोगों की घर...

घर लौटे मजदूरों को उनकी दक्षता के अनुरूप मिले कार्य
हिन्दुस्तान टीम,बेगुसरायMon, 11 May 2020 07:24 PM
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वैश्विक महामारी कोरोना ने गांव से लेकर शहर तक दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। हर कोई कोरोना संक्रमण से डरे-सहमे हुए हैं। लोगों के अंदर कोरोना का डर इस तरह समा चुका है कि प्रदेश कमाने गए लोगों की घर वापसी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में घर आए इन प्रवासी मजदूरों के समक्ष रोजी-रोटी की विकट समस्या उत्पन्न हो गई है। दूसरे राज्यों में इनका रोजगार पूरी तरह से छिन चुके हैं। लाकडाउन की अवधि बढ़ने के साथ ही देश में कोरोना संक्रमण बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में प्रवासी मजदूर जो विभिन्न फैक्ट्रियों या संस्थानों में रोजगार से जुड़े हुए थे। वे रातोंरात बेरोगार हो गए हैं। अब इन मजदूरों को जहां एक ओर कोरोना से बचाव के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है वहीं दूसरी ओर उन्हें भूख से भी लड़ना पड़ रहा है। वैश्विक महामारी कोरोना ने दैनिक मजदूरों के काम पर ब्रेक लगा दी है। मजदूरों के बीच रोजगार की भयावह स्थिति उत्पन्न होने लगी है। यही हाल रहा तो मजदूर वर्ग के लोग दाने-दाने को मोहताज हो जाएंगे। कोरोना वायरस के चलते नौबत यह आ गई है कि मजदूर महाजन से कर्ज लेकर अपना गुजर बसर करने को मजबूर हैं। सरकार को चाहिए कि उनकी दक्षता के अनुरूप उन्हें रोजगार दे।मो. तनवीर अहमद, पंसस डंडारी। कोरोना महामारी से बचाव को लेकर सरकार के स्तर पर लगाए गए लॉकडाउन ने गरीबों के घरों में चूल्हे को भी फिलहाल लॉक कर दिया है। रोजगार बंद रहने से मजदूरों के लिए दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल साबित हो रहा है। सरकार के द्वारा प्रयास किया जा रहा है फिर भी शहर और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में मजदूरों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। दक्ष मजदूरों को भी अपना रोजगार बदलने पर मजबूर होना पड़ रहा है। इन्हें रोजगार उपलब्ध कराना सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। रामनंदन पासवान, जिला पार्षद डंडारी। बड़े शहरों में काम कर अपनी जीविका चला रहे मजदूर लाकडाउन में घर आकर पूरी तरह से बेरोजगार हो गए हैं। गांव में रह रहे मजदूर सरकारी योजना में पूर्व से ही रोजगार में लगे हैं। अब प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार को नए सिरे से रोजगार सृजन करना बड़ी चुनौती होगी। इन मजदूरों के पास इतनी जमीन भी नहीं है कि वे अपना जीवकोपार्जन कर सकें। सरकार को लघु एवं मध्यम उद्योग धंधे चलाकर रोजगार का सृजन करना चाहिए।नूतन कुमारी, मुखिया महिपाटोल। सूबे की सरकार के निर्देश पर लॉकडाउन के दौरान बाहर से आ रहे मजदूरों का स्किल सर्वे का काम शुरू कर दिया गया है। शीघ्र स्किल्ड मजदूरों का डाटाबेस तैयार कर लिया जाएगा। उसके बाद उनकी क्षमता के अनुसार राज्य सरकार उन्हें रोजगार उपलब्ध कराएगी। मनरेगा, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना, सात निश्चय योजना में काम देकर एवं वंचितों को राशन कार्ड उपलब्ध कराकर गरीबों की समस्याओं का निराकरण किया जाएगा। कुंदन कुमार, बीडीओ डंडारी।

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