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सरकार की पहल से नौलखा मंदिर की भूमि के अतिक्रमण से मुक्त होने की जगी आस

लीड... शहर के विष्णुपुर स्थित नौलखा मंदिर। बेगूसराय। हमारे प्रतिनिधि शहर स्थित नौलखा मंदिर की भूमि का अवैध...

सरकार की पहल से नौलखा मंदिर की भूमि के अतिक्रमण से मुक्त होने की जगी आस
हिन्दुस्तान टीम,बेगुसरायSun, 28 Nov 2021 07:01 PM
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बेगूसराय। हमारे प्रतिनिधि

शहर स्थित नौलखा मंदिर की भूमि का अवैध तरीके से बड़े पैमाने पर खरीद-बिक्री होती रही है। दबंग इसकी भूमि पर अवैध कब्जा किये हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में बिहार सरकार की नई पहल से धार्मिक स्थलों की जमीन को हड़पने वालों पर नकेल कसने की आस जगी है। सरकार ने विधि विभाग एवं धार्मिक न्यास परिषद से परिषद के तहत आने वाली भूमि को लोक भूमि के तहत लाने, परिषद की भूमि की बिक्री पर रोक लगाने, पूर्व में मठ-मंदिर की बेची गयी भूमि की जमाबंदी रद्द करने इत्यादि के संबंध में विस्तृत प्रस्ताव तैयार करने का अनुरोध किया है। ताकि धार्मिक न्यास परिषद की भूमि को लोक भूमि अतिक्रमण अधिनियम के तहत लाया जा सके और अन्य सभी समस्याओं का विधि सम्मत समाधान किया जाए।

नौलखा मंदिर के अध्यक्ष सह अधिवक्ता अमरेंद्र कुमार अमर ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि उसने मंदिर ,मठ की संपत्ति पर अवैध कब्जे तथा बिक्री के खिलाफ बड़ा कदम उठाया है। संपत्ति का नामांतरण इष्ट देव के नाम पर करने का निर्देश दिया है। पिछले दिनों नौलखा मंदिर की जमीन पर अवैध कब्जे के विरुद्ध धार्मिक न्यास बोर्ड से शिकायत भी की गई थी। अनेक लोग अवैध रूप से नौलखा की शहरी जमीन की खरीद बिक्री में शामिल हैं। कहा कि इसपर अविलंब रोक लगाने की मांग की गई है।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में बिहार सरकार ने जमीन के नामांतरण के संबंध में एक बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इसके बाद मठ मंदिरों की जमीन की अवैध बिक्री तथा उसके कब्जे के लिए अपराधिक षड्यंत्र का दौर रुकेगा। मठ मंदिरों की जमीन का सार्वजनिक उपयोग हो सकेगा। उन्होंने बिहार सरकार से मांग की कि बिहार सरकार मठ मंदिरों की जमीन का इष्ट देव के नाम से नामांतरण कर उसकी जमीन को कब्रिस्तान की तर्ज पर पूर्ण घेराबंदी करने की मांग की। उन्होंने नौलखा मंदिर की जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त करा कर बिहार सरकार के द्वारा उसकी संपूर्ण घेराबंदी की भी मांग की।

बछवाड़ा में धीरे-धीरे लुप्त हो गई मठ व ठाकुरबाड़ियों की जमीन

फतेहा सलेमपुर में सैकड़ों बीघे कबीर मठ की थी जमीन

न्यास परिषद से जुड़ा नारेपुर जट्टा बाबा ठाकुरबाड़ी की भी काफी कम रह गई है जमीन

धार्मिक स्थलों की जमीन को कराया जाएगा अवैध कब्जे से मुक्त

फोटो नंबर-03, कैप्शन- बछवाड़ा प्रखंड मुख्यालय स्थित न्यास परिषद से जुड़ा जट्टाबाबा ठाकुरबाड़ी।

बछवाड़ा। निज संवाददाता

एक जमाना था जब इलाके के मठ व राम जानकी ठाकुरबाड़ियों की अपनी जमींदारी थी। इन धार्मिक स्थलों के अधीन सैकड़ों बीघे जमीन थे। महंथों व मठाधीशों की काफी अच्छी खेतीबाड़ी चलती थी। उस जमाने में हाथी- घोड़े व रथों पर महंथों व मठाधीशों की सवारी निकलती थी। आज उनके ठाट- बाट इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाने के बाद उनसे जुड़े धार्मिक स्थलों की बांकी निशां भी मिटने के कगार पर आ पहुंचा है। इलाके के कई बुजुर्गों ने बताया कि फतेहा कबीर मठ की करीब 200 बीघे से अधिक जमीन थी। आज मठ की पूरी जमीन लुप्त हो चुकी है। बताया गया है कि कागजी हेरा फेरी कर मठ की जमीन को धीरे- धीरे लोगों ने निजी नाम पर रजिस्ट्री करवाकर उस पर काबिज हो गए। धार्मिक न्यास परिषद से जुड़े कई रामजानकी ठाकुरबाड़ियों की जमीन पर भी लोगों ने पहले तो अवैध कब्जा जमा लिया फिर तत्कालीन महंथ से अपने नाम रजिस्ट्री करवा ली। मठ व मंदिरों की बची खुची जमीन का अतिक्रमण कर लिया गया। हालांकि अब बिहार सरकार ने धार्मिक स्थलों की जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त करवाने की तैयारी शुरू कर दी है। सरकार की इस मुहिम से धार्मिक न्यास परिषद के तहत आने वाली सैकड़ों बीघे जमीन बाहर निकल सकती है। अवैध कब्जे से मुक्त होने वाली धार्मिक स्थलों की इस भूमि को राज्य सरकार अब लोक भूमि घोषित करने का विचार किया है। बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने धार्मिक स्थलों की जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त करवाने की दिशा में पहल की है। उन्होंने धार्मिक न्यास परिषद के तहत आने वाली जमीनों को लोक भूमि के रूप में लाने का अनुरोध विधि विभाग व धार्मिक न्यास परिषद से किया है। पूर्व में मठ- मंदिर की बेची गई भूमि की जमाबंदी रद्द करने व वर्तमान में ऐसी भूमि की बिक्री पर रोक लगाने से संबंधित प्रस्ताव तैयार किए जाने का निर्णय लिया गया है। राज्य सरकार के इस फैसले से धार्मिक न्यास परिषद या मठ की जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों में हड़कंप सा मचा है।

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