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प्रवासी मजदूरों को लेकर बरौनी पहुंची ट्रेन, स्टेशन पर हुई जांच

प्रवासी मजदूरों को फरीदाबाद व पानीपत से लेकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन शनिवार को बरौनी रेलवे स्टेशन पहुंची। पानीपत से प्रवासी मज़दूरों को लेकर भागलपुर जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन बरौनी जंक्शन के प्लेटफार्म...

प्रवासी मजदूरों को लेकर बरौनी पहुंची ट्रेन, स्टेशन पर हुई जांच
हिन्दुस्तान टीम,बेगुसरायSat, 16 May 2020 07:20 PM
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प्रवासी मजदूरों को फरीदाबाद व पानीपत से लेकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन शनिवार को बरौनी रेलवे स्टेशन पहुंची। पानीपत से प्रवासी मज़दूरों को लेकर भागलपुर जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन बरौनी जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर-4 पर रुकी। इस ट्रेन से बेगूसराय ज़िला के रहने वाले मज़दूरों को ही बरौनी जंक्शन पर उतारा गया। अन्य ज़िला के सभी मज़दूरों को लेकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन भागलपुर के लिए रवाना हो गई। ट्रेन में सवार प्रवासियों को कड़ी सुरक्षा के बीच चिकित्सकीय परीक्षण किया गया। जांच के बाद नाश्ता व पानी का बोतल देकर मजदूरों को अपने-अपने जिलों के लिए बस से रवाना कर दिए गए। प्रवासी मजदूरों को लेकर आ रही स्पेशल ट्रेन में सवार लोग इधर-उधर नहीं चले जाएं, इसीलिए प्लेटफार्म नंबर चार पर दोनों साइड में पुलिस बल को तैनात कर दिया गया था। जिला प्रशासन व रेल प्रशासन के आलाधिकारी वहां मौजूद रहकर पुलिसकर्मियों को निर्देश दे रहे थे। माइक से बार-बार एनाउंसमेंट किया जा रहा था कि ट्रेन में बैठे लोग बाहर नहीं निकलें। ट्रेन पहुंचने के बाद मजदूरों को एक-एक कर बाहर निकाला गया। जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि प्रवासियों को उनके जिलों में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर में 21 दिनों तक रखा जाएगा।मजदूरों ने कहा कि गरीबी के चलते ही वे अपने घरों से इतनी दूर कमाने गए थे। यह गरीबी आज भी है लेकिन परदेस में जब जान के लाले पड़ गए तो वापस लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की वजह से काम छूटा तो परदेस में वे बिल्कुल अकेले पड़ गए। सरकार-प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली। बचा के रखे रुपए से जब तक काम चल सकता था चलाया लेकिन जब भुखमरी की नौबत आ गई तो वापस लौटने के अलावा कुछ और नहीं सूझा। मजदूरों ने कहा कि अब सब कुछ सामान्य हुए बिना तो वे किसी भी सूरत में नहीं लौटेंगे। फरीदाबाद से लौटे रंजय कुमार ने बताया कि वहां उनका सिलाई का काम था जो लॉकडाउन की वजह से बंद हो गया। जब खाने-पीने की दिक्कत होने लगी तो वे किसी तरह वापस घर लौट आना चाहते थे। अब निकट भविष्य में वापस जाने की हिम्मत नहीं बची है। अब सब कुछ ठीक हो जाएगा तब ही कुछ फैसला ले सकेंगे। लॉकडाउन में कहीं से कोई मदद नहीं मिली। बिना कमाई घर में बैठे-बैठे हालात बद से बदतर होते जा रहे थे। ऐसी ही कहानी अन्य प्रवासियों की भी थी जो लॉकडाउन में अपना वर्षों का जमा-जमाया कारोबार बंद हो जाने का दर्द समेटे बिहार लौटे हैं।

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