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वेद में ज्ञान, कर्म व उपासना की प्रधानता

हत सिमरिया धाम में द्वादश ज्योर्तिलिंग की मां काली के साथ श्रीराम घाट में प्रतिष्ठापन कार्य के दौरान कहीं। स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने कहा कि विश्व के प्राचीनतम ग्रंथ वेद को ज्ञान का भंडार कहा गया...

वेद में ज्ञान, कर्म व उपासना की प्रधानता
हिन्दुस्तान टीम,बेगुसरायMon, 25 Jun 2018 07:52 PM
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भारत एक महान देश है। अनादिकाल से शास्त्र में लौकिक, पारलौकिक, सामाजिक, राष्ट्रीय, पारिवारिक, शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक तथा विश्व ब्रह्मांड की प्रत्येक समस्या पर गंभीर विचार उपलब्ध होता रहा है। ये बातें सोमवार को अखिल भारतीय सर्वमंगला सिद्धाश्रम के स्वामी चिदात्मन ने अम्बा महायज्ञ के तहत सिमरिया धाम में द्वादश ज्योर्तिलिंग की मां काली के साथ श्रीराम घाट में प्रतिष्ठापन कार्य के दौरान कहीं। स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने कहा कि विश्व के प्राचीनतम ग्रंथ वेद को ज्ञान का भंडार कहा गया है। इसमे कर्म, उपासना और ज्ञान की प्रधानता है। सिमरिया में महाकुंभ का आयोजन देश के विकास व कल्याण की कामना का प्रतीक है।

विश्व ब्रह्मांड के कल्याण के लिए श्रीराम घाट में प्रतिष्ठापन कार्य संपन हुआ। मौके पर आचार्य नरेश झा, नारायण झा, रवीन्द्र ब्रह्मचारी, आचार्य वरुण झा, पंडित शंभुनाथ मिश्र, रमेश मिश्र, पंडित दिनेश झा, राज कुमार झा, गोपाल झा, पंकज झा, राम झा, लक्ष्मण झा, पद्मनाभ झा थे। प्रधान व्रती में सत्यानंद, प्रो. इन्दु शेखर मिश्र, प्रो. विजय झा, सुलभा नंद, नागेन्द्रानंद, विभूतिया नंद, उमेशा नंद, योगिराज, सुरेंद्र प्रसाद सिंह, जयमोहन सिंह, रामशंकर झा, सदानंद झा थे।

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