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नावकोठी के किसानों ने दिया आंदोलन का अल्टीमेटम

लीड...ने से किसानों में नाराजगी है। इस बाबत फरियाद के बाद भी संबंधित अधिकारी बेपरवाह बने हुए हैं। इससे नाराज किसानों ने आंदोलन का अल्टीमेटम दिया है। बताया गया है कि प्रखंड क्षेत्र में हजारों एकड़...

नावकोठी के किसानों ने दिया आंदोलन का अल्टीमेटम
हिन्दुस्तान टीम,बेगुसरायWed, 27 Oct 2021 07:41 PM
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नावकोठी। निज संवाददाता

प्रखंड क्षेत्र में कृषि योग्य भूमि जलप्लावित रहने से रबी फसल बुआई पर संकट गहरा गया है। जलनिकासी बाधित किए जाने से किसानों में नाराजगी है। इस बाबत फरियाद के बाद भी संबंधित अधिकारी बेपरवाह बने हुए हैं। इससे नाराज किसानों ने आंदोलन का अल्टीमेटम दिया है।

बताया गया है कि प्रखंड क्षेत्र में हजारों एकड़ कृषि योग्य भूमि जलप्लावित है। जिला प्रशासन द्वारा जलनिकासी की व्यवस्था नहीं किए जाने पर रोष जताते हुए सीपीएम के रवीन्द्र सिंह, सीपीआई अंचल परिषद सदस्य अनुभव कुमार, नईम शाह, रामबदन पासवान आदि ने कहा कि अतिवृष्टि से धान, मक्का, सोयाबीन, गन्ना आदि फसलों को काफी क्षति पहुंची है। किसान इस क्षति से उबर भी नहीं पाए हैं और अब कृषि योग्य भूमि जलप्लावित रहने से रबी फसल की बुआई प्रभावित हो रही है। अक्टूबर समाप्त होने वाला है। अभी तक दलहन, तेलहन, आलू, मक्का, गन्ना आदि की बुआई शुरू भी नहीं हुई है। यह स्थिति बरकरार रहती है तो गेहूं बुआई पर संकट हो जाएगा। विधायक सूर्यकांत पासवान ने भी डीएम से मिलकर जलनिकासी की व्यवस्था करने का अनुरोध किया है। इन नेताओं ने जिला प्रशासन से किसानों के हित में अविलंब कृषि योग्य जलप्लावित भूमि जलनिकासी की गुहार लगाई है। जलनिकासी नहीं होने पर किसानों के साथ आंदोलन करने का अल्टीमेटम दिया है।

खेतों में जलजमाव से रबी फसल की बोआई का संकट

आत्मा अध्यक्ष यशवंत कुमार ने बताया कि चित्रा नक्षत्र में हुई अत्यधिक बारिश ने किसानों की आशाओं पर पानी फेर दिया है। प्रखंड क्षेत्र की विभिन्न पंचायतों में लगभग 9300 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि जलप्लावित रहने से रबी फसल बुआई का 15 नवंबर तक उम्मीद नहीं की जा सकती है। कृषि योग्य भूमि जलप्लावित रहने से तेलहन, दलहन, आलू, शरदकालीन गन्ना, अक्टूबर प्लांट मक्का आदि की बुआई नहीं हो पाई है।

पहसारा पश्चिम पैक्स अध्यक्ष रणवीर कुमार ने बताया कि पहसारा पूर्वी पंचायत के मुसमारा पुलिया सहित अन्य पुल, पुलिया को मछुआरों के द्वारा बंद कर दिए जाने से जलनिकासी का मार्ग अवरुद्ध हो गया है। इससे कृषि योग्य भूमि जलप्लावित है। समय रहते इस अवरोध को नहीं हटाया गया तो रबी फसल बुआई नहीं हो पाएगी। किसानों का कहना है कि न तो तेलहन फसलों को लगा पाये हैं और न ही दलहन की खेती कर सके हैं। खेतों में पहले से ही जलजमाव था। इससे खेतों में काफी नमी थी। खेतों की जुताई प्रारंभ करते ही दो दिनों की लगातार मूसलाधार वर्षा ने खेतों में पहले से ज्यादा जलजमाव की स्थिति पैदा कर दी है। किसानों ने बताया कि अक्टूबर में मक्का व आलू की खेती तो निश्चित रूप से करनी थी। वह भी अब इस समय से नहीं हो पाएगा। ऐसी स्थिति में खेती पर विराम लग गया है। उधर, खरीफ फसलों की हुई भारी क्षति की भरपाई आज तक नहीं हो पायी है। न तो कोई मुआवजा मिल सका और न कोई अनुदान। किसान तो पहले से ही महाजनों व बैंकों के ऋण से दबे हैं। उससे उबर नहीं पाये हैं। अगली खेती की चिंता उन्हें सताने लगी है। इस प्रखंड के दक्षिणी भाग का अधिकांश रकवा बूढ़ी गंडक के किनारे पड़ता है। उन्होंने बीडीओ को आवेदन देकर जलनिकासी की गुहार लगाई है।

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