चिकित्सकों ने कहा-यहां नहीं होगा इलाज, चले जाओं कहीं और
सरकार स्वास्थ्य सेवा बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत है। लेकिन धरातल पर सरकारी कर्मी इसे उतरने नहीं देना चाहते हैं। अस्पताल की चकाचक बिल्डिंग देख गरीब मरीजों को लगता है कि उनका इलाज भी हो जाएगा। लेकिन,...
सरकार स्वास्थ्य सेवा बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत है। लेकिन धरातल पर सरकारी कर्मी इसे उतरने नहीं देना चाहते हैं। अस्पताल की चकाचक बिल्डिंग देख गरीब मरीजों को लगता है कि उनका इलाज भी हो जाएगा। लेकिन, अस्पताल पहुंचने के बाद इलाज के लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ती है। बुधवार को भी कुछ ऐसा ही नजारा सदर अस्पताल में देखने को मिला। वीरपुर निवासी बांकेलाल रजक के पुत्र सुनील रजक का इलाज करने से चिकित्सकों ने मना कर दिया। कहा-दूसरी जगह जाओ यहां कोई उपाय नहीं है। यह सुन सुनील के साथ आई उनकी बहन तेघड़ा निवासी सविता देवी रोने लगी।
वह भाई के लिए इलाज के लिए लोगों से गुहार लगाने लगी। महिला ने बताया कि उसके भाई का दोनों पांव नाकाम हो गया है। वह चलने-फिरने लायक नहीं है। स्ट्रेचर पर भाई को लेटाकर इलाज के लिए दर-दर भटकती रही। सविता देवी ने कहा कि ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक ने इलाज तो दूर बिना देखे ही कहा कि यहां से दूसरी जगह ले जाओ। कहा कि कुछ लोगों ने डीएम से शिकायत करने को कहा। उसने कहा कि लोगों की मदद से डीएम साहब को फोन भी किया। इस दौरान अस्पताल उपाधीक्षक को इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने पहल कर अस्पताल में भर्ती करवाया।
क्या है मामला
वीरपुर निवासी बांके लाल रजक के पुत्र 37 वर्षीय सुनील रजक ने बताया कि वह बंगलौर में मजदूरी करता था। छत पर बांस बांधने के दौरान गिर गया था। इससे उसका एक पांव नाकाम हो गया। किसी तरह वह बेगूसराय आया। लेकिन, धीरे-धीरे दूसरा पांव भी काम करना बंद कर दिया। उसने बताया कि वह चल-फिर भी नहीं सकता है। आर्थिक रूप से काफी कमजोर होने के कारण कहीं और इलाज कराना उसके वश की बात नहीं है। मरीज के परिजनों ने बताया कि मीडियाकर्मी मदद नहीं करते तो उनके भाई को भर्ती शायद नहीं किया जाता ।
कहते हैं अधिकारी
अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. आनंद नारायण शर्मा ने बताया कि उनके संज्ञान में जब यह मामला आया तो उन्होंने तुरंत युवक को भर्ती करवाया। कहा कि बेहतर इलाज की हरसंभव कोशिश की जा रही है।