कल्पवास मेला में संतों को सुविधा उपलब्ध कराने को जुटा प्रशासन
राजकीय कल्पवास मेला में साधु-संतों व श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए युद्धस्तर पर हो रहा कार्य

सिमरिया धाम, एक संवाददाता। सात अक्टूबर से शुरू होकर 17 नवम्बर तक चलने वाले राजकीय कल्पवास मेला सिमरिया धाम की सूरत धीरे-धीरे बदलने लगी है। 41 दिनों तक चलने वाले राजकीय कल्पवास मेला में आने वाले साधु-संतों व कल्पवासियों को सभी सुविधाएं धीरे-धीरे मिलने लगी है। सिमरिया कल्पवास मेला का टेंडर मेला शुरू होने से दो दिनों पूर्व होने तथा विधानसभा चुनाव को लेकर अधिकारियों की व्यस्तता की वजह से मेला के उद्घाटन के दिन मंगलवार तक श्रद्धालुओं के लिए कोई खास सुविधाएं उपलब्ध नहीं थी, लेकिन मंगलवार को ही जिला प्रशासन के द्वारा की गई सिमरिया कल्पवास मेला के उद्घाटन के बाद डीएम तुषार सिंगला के द्वारा मेला से जुड़े संबंधित अधिकारियों को संत-महात्माओं को सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के निर्देश के अगले दिन बुधवार से ही सिमरिया कल्पवास मेला क्षेत्र में खालसा शिविर में विद्युत कनेक्शन, कूड़ा दान, शौचालय, चापाकल तथा चापाकल के समीप गंदा पानी जमा होने के लिए गढ्ढा, सड़क निर्माण, परिक्रमा मार्ग निर्माण युद्धस्तर पर शुरू कर दिया गया है।
वही कंट्रोल रूम, खोया-पाया केंद्र, मेला थाना, तोरण द्वार, अस्पताल, मेला समिति कार्यालय, महिला हेल्पलाइन, विद्युत व अग्नि कार्यालय का निर्माण अंतिम चरण में है। वहीं रीवर फ्रंट, कल्पवास मेला क्षेत्र व सिमरिया धाम बाजार समेत पूरे सिमरिया धाम की सफाई व कचड़ा उठाव का कार्य सैकड़ों सफाई कर्मियों के द्वारा किया जा रहा है। कल्पवास मेला क्षेत्र, रीवर फ्रंट, सिमरिया धाम बाजार समेत नेशनल हाइवे 31 सड़क से सिमरिया धाम जाने वाली सड़क के समीप भी ट्यूब लाइट लगायी जा रही है। वृंदावन से पिछले 40 वर्षों से कल्पवास के लिए सिमरिया आते हैं महंत लाडली दास सिमरिया धाम, एक संवाददाता। राजकीय कल्पवास मेला सिमरिया में कल्पवास करने के लिए पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के वृंदावन से पिछले 40 वर्षों से लगातार आ रहे हैं। आज की तिथि में सिमरिया कल्पवास मेला में सबसे बड़े खालसा महंत लाडली दास का ही है जो मिथिला नित्यानंद नगर खालसा के नाम से प्रसिद्ध है। उक्त खालसा के भक्त पूर्व मुखिया रामानुज सिंह ने बताया कि महंत लाडली दास के नेतृत्व में सुबह में सभी श्रद्धालुओं के साथ भजन-कीर्तन करते हुए रोजाना परिक्रमा होती है। इसके बाद भगवान की पूजा-अर्चना व श्रीमद्भागवत कथा का प्रवचन महंत लाडली दास के द्वारा दिया जाता है।
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