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क्वारंटाइन सेंटर ने रोका कोरोना संक्रमण का कम्युनिटी प्रसार

दूसरे राज्य व जिलों से आ रहे प्रवासी लोगों को क्वारंटाइन सेंटर में रखा जा रहा है। कोरोना संक्रमण के कम्युनिटी प्रसार को रोकन में यह व्यवस्था कारगर साबित हो रही है। जानकारों का कहना है कि यदि यह...

क्वारंटाइन सेंटर ने रोका कोरोना संक्रमण का कम्युनिटी प्रसार
हिन्दुस्तान टीम,बेगुसरायMon, 18 May 2020 07:07 PM
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दूसरे राज्य व जिलों से आ रहे प्रवासी लोगों को क्वारंटाइन सेंटर में रखा जा रहा है। कोरोना संक्रमण के कम्युनिटी प्रसार को रोकन में यह व्यवस्था कारगर साबित हो रही है। जानकारों का कहना है कि यदि यह व्यवस्था नहीं की जाती तो जिले में कोरोना संक्रमण की भयावह तस्वीर होती। जिले में कोरोना संक्रमण का पहला मामला 31 मार्च को बरौनी प्रखंड के नूरपुर में आया था। इसके बाद तेघड़ा अनुमंडल के बछवाड़ा, मंसूरचक व तेघड़ा प्रखंड में एक के बाद एक मामले आने लगे। तेघड़ा अनुमंडल में ज्यादातर मामले जमाती से जुड़े थे। गौरतलब है कि 7 मई तक जिले में कोरोना संक्रमण का मामला 13 था। इनमें से आठ व्यक्ति स्वस्थ होकर घर लौट चुके थे। पांच का इलाज जारी था। मई के प्रथम हफ्ते से स्पेशल ट्रेन से प्रवासी मजदूरों का आगमन जिले में शुरू हो गया। इसके साथ ही, कोरोना संक्रमण के पॉजिटिव मामलों की संख्या अचानक बढ़ गयी। क्वारंटाइन सेंटर में रह रहे प्रवासी मजदूरों की जब संक्रमण की जांच करायी गयी तो एक साथ कई मामले सामने आने लगे। स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दस दिनों में पॉजिटिव मामलों की संख्या 68 हो गयी है। इसके अलावा अन्य दो पॉजिटिव मामला बेगूसराय जिले से जुड़ा है। हालांकि ये लोग दूसरे जिलों में रह रहे हैं। पहले मामले आने के बाद 38 दिनों तक सिर्फ 13 मामले आये। वहीं प्रवासी मजदूरों के आगमन के बाद सिर्फ दस दिनों में 45 पॉजिटिव मामले की वृद्धि हुई। पिछले दस दिनों से सिर्फ क्वारंटाइन सेंटर में रह रहे लोगों की रिपोर्ट ही पॉजिटिव आयी। प्रवासी मजदूरों के सीधे घर जाने से स्थिति हो सकती थी विस्फोटक जानकारों का कहना है कि प्रवासी मजदूरों के घर वापसी के मद्देनजर जिला प्रशासन उसे क्वारंटाइन सेंटर में भर्ती करा रहा है। यदि उसे घर जाने की अनुमति होती तो जिले में कोरोना संक्रमण की विस्फोटक स्थिति हो सकती थी। इसके साथ ही, कम्य़ुनिटी प्रसार का खतरा भी बढ़ सकता था। लोग जरूरत के काम से बाजार में खरीदारी को निकलते हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरोना संक्रमित प्रवासी मजदूरों के संपर्क में आये परिजन यदि घर से बाहर आते और अन्य लोगों के संपर्क में आते तो स्थिति कितनी भयावह होती। गौरतलब है कि दूसरे राज्यों से आने वाले प्रवासी मजदूरों का संबंध रेड जिलों से है। खासकर दिल्ली, गुजरात व मुंबई से लौटने वाले प्रवासी मजदूरों की संख्या अधिक है। जिला प्रशासन की ओर से रेड जोन से ताल्लुक रखने वाले व पचास वर्ष से अधिक उम्र के लोगों का प्राथमिकता के अधार पर सैंपल लेकर जांच करायी जा रही है। संक्रमण की पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद ट्रैवल हिस्ट्री का पता लगाकर संपर्क में आने वाले लोगों के सैंपल की जांच करायी जाती है। कहते हैं अधिकारी वर्तमान में जिले में क्वारंटाइन में रह रहे प्रवासी मजदूरों की संख्या 18 हजार से अधिक है। छात्रों व प्रवासी मजदूरों को दूसरे राज्यों से लेकर स्पेशल ट्रेनों का लगातार आना जारी है। इसके अलावा बस व अन्य माध्यम से भी प्रवासी मजदूर वापस अपने घर लौट रहे हैं। स्पेशल ट्रेनों से लौटने वाले लोगों का पहले थर्मल स्क्रीनिंग की जाती है। उसके बाद निर्धारित बस से संबंधित प्रखंड के क्वारंटाइन सेंटर में भेज दिया जाता है। वहीं, अन्य स्रोत से आने वाले लोगों को भी क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाता है। 14 दिनों की क्वारंटाइन अवधि पूरा करने के बाद सात दिनों के होम क्वारंटाइन की शर्त पर उन्हें घर जाने की अनुमति दी जाती है। क्वारंटाइन की व्यवस्था के कारण ही जिले में कम्युनिटी प्रसार जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है। अरविंद वर्मा, डीएम

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