अनुमंडलीय मुख्यालय के एकमात्र पोखर के सौन्दर्यीकरण की योजना अधर में लटकी है। नगरवासियों का आरोप है कि अधिकारियों द्वारा तकनीकी आधार पर इस संबंध में टालमटोल किया जा रहा है। लेकिन, इसी बीच अतिक्रमण से पोखर का क्षेत्र सिकुड़ता जा रहा है। इस पोखर से नगर पंचायत, सीओ, बीडीओ एव एसडीओ कार्यालय की दूरी 50 से 125 मीटर है। बावजूद पोखर की जमीन पर धड़ल्ले से भवन का निर्माण किया जा रहा है।
बिहार नगरपालिका अधिनियम 2017 के अनुसार जिला परिषद को छोड़कर नगर निकाय क्षेत्र की सरकारी सम्पत्ति पर उस इकाई का स्वामित्व होगा। तेघड़ा नगर पंचायत द्वारा जल जीवन हरियाली मिशन अभियान से इस पोखर का जीर्णोद्धार एवं सौन्दर्यीकरण की योजना है। यह सरकारी पोखर नगर पंचायत के वार्ड 5 सटेशन रोड के बगल में है। इसका दस्तावेजी रकबा 1.4 एकड़ है। लेकिन अतिक्रमण से इससे बहुत कम है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सौन्दर्यीकरण एवं पार्क का निर्माण होने से नगरवासियों के मनोरंजन का महत्वपूर्ण साधन उपलब्धि होता। राज्य के नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद ने भी सभी नगर निकायों से एक-एक पोखर या तालाब की उड़ाही या जीर्णोद्धार के लिए आदेश दिया था। बावजूद तकनीकी आधार पर इस महत्वपूर्ण योजना पर जबरन ग्रहण लगा दिया गया है।
वर्तमान में इस पोखर पर जिला मत्स्य विभाग का स्वामित्व वर्तमान में इस पोखर पर जिला मत्स्य विभाग का स्वामित्व है। विभाग से मत्स्जीवी सहयोग समिति का अनुबंध है। तेघड़ा नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी ने मत्स्य विभाग से पोखर का स्वामित्व नगर पंचायत को सुपुर्द करने का अनुरोध किया। लेकिन विभाग ने अबतक अपनी सहमति नहीं दी है। इससे पार्षदों में असंतोष है।
इस सबंध में पार्षदों ने नगर विकास एवं मत्स्य विभाग के मंत्रियों से मिलकर ज्ञापन भी दिया। लेकिन, कोई नतीजा नहीं निकला। नगर पंचायत के कार्यपालक अधिकारी रमण कुमार ने कहा कि जब तक पोखर का स्वामित्व नहीं मिलेगा उसके जीर्णोद्धार सह सौन्दर्यीकरण का कार्य नहीं किया जा सकता है।