कोरोना लॉकडाउन में विद्यालयों के बन्द रहने से बच्चों के भविष्य को लेकर अभिभावकों में चिंता व्याप्त है। अभिभावकों का कहना है कि घरों पर बैठे-बैठे बच्चों में मनहूसियत तथा चिड़चिड़ापन बढ़ गया है। यह उनके भविष्य के लिए चिंता का विषय है। राज्य एवं केन्द्र सरकार को विद्यालयों में कोरोना लॉकडाउन के दिशानिर्देशों के आलोक में बैठने, खेलकूद तथा अध्यापन के लिए भौतिक संरचना की व्यवस्था करनी चाहिए। यह बात मंगलवार को तेघड़ा अनुमंडल अभिभावक संघ की बैठक में उपस्थित सदस्यों ने कही।
नवल किशोर सिंह ने कहा कि इंटरनेट से अध्यापन की व्यवस्था सभी बच्चों के लिए सम्भव नहीं है। साथ ही, शिक्षकों के आमने-सामने की पढ़ाई का यह विकल्प व्यावहारिक रूप से उपयोगी भी नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में बच्चों के आपसी मिलन जुलन एवं खेलकूद से उनका उत्साहवर्धन होता है। वे ताजगी महसूस करते हैं जबकि वर्तमान में उनमें उदासीनता की स्पष्ट झलक दिखाई पड़ती है।
बैठक में उपस्थित अधिकांश सदस्यों ने स्वीकार किया कि पढाई के नाम पर बच्चों के जीवन से खिलवाड़ करना किसी भी दृष्टि से सही नहीं होगा। लेकिन, यही सोचकर चुपचाप बैठे रहना भी उचित नहीं है। बैठक में प्रस्ताव पारित कर राज्य एवं केन्द्र सरकार से बच्चों की पढ़ाई प्रारम्भ करने पर गम्भीरता से विचार करने की मांग की गई। प्रस्ताव में कहा गया है कि जब शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य है तब बच्चों को भी चक्रानुक्रम में पढाई शुरू की जा सकती है।बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि इस संबंध में जनप्रतिनिधियों से भी सहयोग लेकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की जाए। बैठक में घनश्याम झा, रामबदन महतो, शिवाकान्त सिंह, रामावतार चौधरी, राम परीक्षा एवं शिवकुमार पंडित आदि थे।