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अब खेती करने में और अधिक लागत पूंजी की पड़ेगी जरूरत

डीएपी समेत अन्य फास्फेटिक खादों की कीमत में वृद्धि से किसानों में उबाल फोटो कैप्शन- पर्सनैलिटी फोटो बाइट- प्रहलाद राय, छोटे सिंह, सुनील पासवान, गिरधर...

अब खेती करने में और अधिक लागत पूंजी की पड़ेगी जरूरत
हिन्दुस्तान टीम,बेगुसरायSun, 11 Apr 2021 07:50 PM
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बछवाड़ा। निज संवाददाता

इफको व अन्य उर्वरक कंपनियों की ओर से अचानक डीएपी समेत सभी फास्फेटिक खादों की कीमत में की गई बेतहाशा वृद्धि से किसानों में उबाल है। उर्वरकों की कीमत में 500 से 700 रुपये की बढ़ोतरी किए जाने से संबंधित उर्वरक कंपनियों के फैसले के खिलाफ किसानों ने आंदोलन का मूड बना लिया है।

किसानों ने कहा कि एक तो पहले से डीजल की कीमत में बेतहाशा वृद्धि किए जाने से खेती की लागत पूंजी काफी बढ़ चुकी है। अब इफको ने प्रति 50 किलोग्राम के डीएपी बैग की कीमत में अचानक 700 रुपये की वृद्धि कर खेती की लागत पूंजी करीब डेढ़ गुना बढ़ा दी है। डीएपी उर्वरक के नए बैग पर उर्वरक की बढ़ी हुई कीमत भी प्रिंट करवा दी गई है। पिछले माह तक डीएपी का यह बैग 1200 रुपये में मिल रहा था। अब डीएपी के इतनी ही मात्रा में नए बैग की कीमत 1900 रुपये प्रिंट कराया गया है। हालांकि, अभी बढ़ी हुई कीमत पर डीएपी की बिक्री शुरू नहीं की गई है। प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न कृषि केंद्रों में डीएपी तथा अन्य फास्फेटिक उर्वरकों का स्टॉक अभी नील बताया जा रहा है। फिलवक्त रबी फसल कटनी के समय उर्वरक की मांग भी काफी कम पड़ गई है। किसानों का मानना है कि कृषि केंद्रों में उर्वरक के पुराने स्टॉक को भी आने वाले दिनों में नई दर पर बेचने की तैयारी की जा रही है। किसानों ने बढ़ी हुई उर्वरक की कीमत वापस नहीं लेने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।

इस कोरोना काल में सर्वाधिक खराब हालत किसानों की है। किसानों को कृषि उत्पादों की उचित कीमत नहीं मिल रही है। ऊपर से उन्हें खाद, बीज व आवश्यक चीजों की महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है। इफको सहकारी कंपनी है। इस पर सरकार का नियंत्रण रहता है। अचानक डीएपी व एनपीके उर्वरक की कीमत में की जा रही वृद्धि पर सरकार अविलंब लगाम लगाए।

- गिरिधर गोपाल, बछवाड़ा

डीजल व पेट्रोल की कीमत बढ़ाने के साथ अब उर्वरक की कीमत बढ़ाए जाने से खेती की लागत पूंजी काफी बढ़ जाएगी। वर्मी कंपोस्ट व अन्य जैविक खादों के निर्माण के लिए अनुदान की बात फाइलों में ही सिमट कर रही है। सरकार कृषि यंत्रों पर भी सब्सिडी छीनने की घोषणा कर दी है। अब खाद की कीमत में बढोत्तरी से किसानों को सरकार खेती छोड़ने पर बाध्य कर रही है।

- प्रह्लाद राय, नारेपुर, अयोध्या टोल

उर्वरक की कीमत बढ़ाकर सरकार ने कोरोना संकट के बीच आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसानों के सिर पर महंगाई का एक और बड़ा बोझ डाल दिया है। 50 किलोग्राम के गेहूं के पैकेट की कीमत महज 750 रुपये है, जबकि इतनी ही मात्रा में डीएपी की कीमत 1900 रुपये। यह किसानों के साथ सरासर अन्याय है। उर्वरक की बढ़ी हुई कीमत वापस नहीं हुई तो किसान सड़क पर उतर आंदोलन करने को बाध्य हो जाएंगे।

- छोटे सिंह, किसान चमथा

सरकार किसानों की आमदनी दोगुनी करने की बात करती है और खाद, बीज, जोत आदि की कीमत में बेतहाशा वृद्धि कर कृषि लागत पूंजी लगातार बढ़ा रही है। पिछले साल कोरोना संकट के बीच सब्जियों की खेती में किसानों को भारी नुकसान उठानी पड़ी है। डीजल की कीमत में वृद्धि से ट्रैक्टर के जरिए खेतों का जोत तथा पंपसेट के जरिए पटवन महंगा हो चुका है। गेहूं का दाना 15 रुपये व भूसा भी 12 रुपये किलो बिकता है। यहां अंधेर नगरी जैसी स्थिति बनी हुई है।

- सुनील पासवान, अरबा

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