टिकट आरक्षण कराने नहीं, रद्द कराने पहुंच रहे यात्री
- पैसे रिफंड करना रेलवे के लिए मुसीबत ट्रेन में सफर करने से लोग अब परहेज करने लगे हैं। शुभ लगन व समर सीजन में अक्सर आरक्षित टिकट के लिए होने...

बेगूसराय। नगर संवाददाता
कोरोना का कहर कहें या लोगों में आई जागरुकता का असर, ट्रेन में सफर करने से लोग अब परहेज करने लगे हैं। शुभ लगन व समर सीजन में अक्सर आरक्षित टिकट के लिए होने वाली मारामारी अब नहीं हो रही है। महानगर की ओर जाने वाली ट्रेनों में आरक्षण कराने वाले नहीं पहुंच रहे हैं। पीआरएस काउंटर पर महीनों पहले आरक्षण करा रखे यात्री आरक्षण रद्द कराने पहुंच रहे हैं। रेलवे के लिए यात्रियों को रिफंड के पैसे देना चुनौती बना है। यात्रियों को भी टिकट रिफंड के पैसे वापस लेने के लिए किसी आरक्षण कराने पहुंचने वाले यात्रियों का इंतजार करना पड़ रहा है। जितनी संख्या में टिकट रिफंड कराने यात्री पहुंच रहे हैं, उतनी संख्या में आरक्षण कराने यात्री नहीं पहुंच रहे हैं। सबसे ज्यादा लगन को लेकर समूह में आरक्षण करा रखे यात्रियों को रिफंड कराने में मुसीबत झेलनी पड़ रही है। एक साथ लाख रुपये का टिकट रिफंड करना कर्मियों के लिए परेशानी का सबब हो रहा है। टिकट तो कैंसिल हो रही है, लेकिन रिफंड के लिए यात्रियों को शाम तक इंतजार करना पड़ रहा है। टिकट आरक्षण कार्यालय के कर्मियों ने बताया कि एक शिफ्ट में पांच से सात लोग ही आरक्षण कराने पहुंच रहे हैं। जबकि टिकट रद्द कराने 60 से 70 यात्री पहुंच रहे हैं। महानगर जाने वाली ट्रेन में इक्के-दुक्के यात्री ही वर्तमान में आरक्षण ले रहे हैं। लोकल पटना व अन्य शहर के लिए आरक्षण लेने अब भी यात्री आ रहे हैं। टिकट आरक्षण रद्द कराने वालो को पैसे रिफंड करना वर्त्तमान में परेशानी बनी है।
यात्री घटे तो मात्र एक काउंटर ही खुल रहा
ट्रेनों में सफर करने वाले यात्री घट गए हैं। टिकट आरक्षण कार्यालय का काउंटर भी दो से घटाकर एक कर दिया गया है। पहले की ही तरह दो शिफ्ट में एक-एक काउंटर खुल रहे हैं। पीआरएस के दो कर्मी भी कोरोना संक्रमित हो गए हैं। इससे कर्मियों की संख्या भी घट गई है। स्थानीय रेल अधिकारी ने बताया कि एक काउंटर पर प्रतिदिन एक शिफ्ट में सौ से सवा सौ टिकट कटता था। वर्त्तमान में मात्र 50 से 60 ही टिकट कट रहे हैं। इस कारण एक काउंटर को बंद कर दिया गया है।
