चौथी बार आई बाढ़ से किसानों के समक्ष रबी खेती करने पर संकट
खेतों में फिर जमा हो गया 5 से 8 फीट ऊंचा बाढ़ का पानी... चमथा दियारे के हजारों हेक्टेयर खेतों में 5 से 8 फीट ऊंचा बाढ़ का पानी जमा हो चुका है। अब किसानों के समक्ष आगा

बछवाड़ा, निज संवाददाता। इस साल गंगा बाया नदी में चौथी बार आई उफान से किसानों की परेशानी बढ़ गई है। चमथा दियारे के हजारों हेक्टेयर खेतों में 5 से 8 फीट ऊंचा बाढ़ का पानी जमा हो चुका है। अब किसानों के समक्ष आगामी रबी खेती समय पर शुरू करने पर संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। किसानों ने बताया कि वे हर साल अक्टूबर माह में अपने खेतों में सरसों की बुवाई करते आ रहे थे। इस साल लगातार चौथी बार गंगा बाया नदी में आई उफान से दियारा का इलाका इस सितंबर माह में जलमग्न हो गया है।
गंगा बाया नदी के जलस्तर में अभी वृद्धि भी लगातार जारी ही है। इससे खेतों में जमा पानी और अधिक बढ़ने का अनुमान है। चमथा- एक पंचायत के प्रवीण कुमार सिंह, धीरेंद्र कुमार सिंह उर्फ छोटे सिंह मुकेश सिंह आदि किसानों ने कहा कि गंगा बाया नदी में विगत जुलाई माह में आई पहली बार की उफान में ही चमथा दियारे के हजारों हेक्टेयर खेतों में लगी लोंगिया मिर्च बर्बाद हो गई थी। अब इस सितंबर माह में चौथी बार गंगा बाया नदी के उफना जाने से आगामी रबी खेती करने पर भी संकट मंडराने लगा है। एक सप्ताह पूर्व जब दियारे की बस्तियों से बाढ़ का पानी निकल गया था तब आगामी रबी खेती समय से शुरू करने की आस जगी थी। अब चौथी बार गंगा बाया नदी का पानी उबटकर जब दियारे के हजारों हेक्टेयर खेतों में फैल गया है तो उनकी आस पर पानी फिरने लगा है। किसानों ने कहा कि अभी जिन खेतों की जोताई की जानी थी वहां नाव चल रही है। कुछ दिनों तक अगर यही हालात बनी रह गई तो रबी खेती करना मुश्किल हो जाएगा। इस साल अगले माह तक खेतों के रुख होने की उम्मीद नहीं दिख रही है। गंगा बाया नदी के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि के कारण चमथा दियारे के सभी पांचों पंचायतों की सड़कें एक बार फिर पानी में डूबने लगी है। लोगों को पानी में डूबी सड़कों से होकर आवाजाही करनी पड़ रही है। बड़ी संख्या में लोग पैरों में पकुआ व अन्य चर्म रोगों के शिकार हो रहे हैं। मवेशियों के लिए पशुचारे की घोर किल्लत हो चुकी है। मवेशियों में लंपी रोग व अन्य बीमारियां फैल जाने से पशुपालक भी परेशान हैं। बाढ़ के कारण छह किलोमीटर दूर से पशुचारा लाने को विवश हैं पशुपालक किसान तेघड़ा, निज प्रतिनिधि। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में रह रहे लोगों की समस्याएं कम नहीं हो रही है। तीन माह से कई बार गंगा का बढ़ने से बाढ़ प्रभावित लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। बाढ़ प्रभावित लोगों के घर के चारों ओर पानी लगने से पीने योग्य पानी की कमी, पशुओं को खाने के लिए पशुचारा का अभाव, पानी के कारण आवाजाही के लिए नाव का अभाव सहित कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। प्रखंड क्षेत्र के रातगांव पंचायत के भगवानपुर चक्की, अधारपुर पंचायत के बिनलपुर, बरौनी दो पंचायत के वार्ड 10 और 11 तथा निपनियां मधुरापुर के कई वार्डों के साथ नगर परिषद क्षेत्र के 25 और 26 वार्डों में पिछले तीन माह से गंगा का पानी लगा हुआस है। इसमें हजारों लोगों को पानी भोजन सहित कई अन्य समस्याएं हैं। बाढ़ प्रभावित लोगों का कहना है कि पिछली बार बाढ़ को लेकर सरकारी स्तर पर कई प्रबंध किए गए थे। लेकिन पिछले एक सप्ताह से लगातार पानी में बढ़ोतरी हो रही है। लेकिन अब तक अधिकारियों द्वारा किसी प्रकार की सुविधा मुहैया नहीं कराई गई है। इससे प्रतिदिन कई परेशानियों से गुजरना पड़ता है। बिनलपुर के रामप्रवेश महतो, उदय पासवान, रामस्वार्थ महतो सहित कई लोगों ने बताया कि पशुओं के लिए चारा लाने सुबह पांच बजे ही चार से छह किलोमीटर जाना पड़ता है। घर में पानी के कारण घर का सामान सड़कों पर रखा हुआ है। इससे विस्थापितों की तरह रहना पड़ रहा है। चार दिनों में बाढ़ राहत आपदा की राशि नहीं मिली तो करेंगे आमरण अनशन: जिला पार्षद शाम्हो/सिंघौल, निज संवाददाता। शाम्हो प्रखंड में इस साल आई विनाशकारी बाढ़ ने व्यापक नुकसान पहुंचाया है। एक ओर जहां प्रखंड क्षेत्र की सौ फीसदी खरीफ फसल बाढ़ में डूब गई वहीं जान माल का नुकसान हुआ है। इसके बावजूद बाढ़ राहत आपदा राशि देने में भेदभाव का आरोप स्थानीय जिला पार्षद, प्रखंड प्रमुख व अन्य जनप्रतिनिधियों ने लगाया है। इसको लेकर जिला पार्षद अमित कुमार ने शनिवार को सदर एसडीएम को पत्र लिखकर चार दिनों के अंदर जिन लोगों को अब तक आपदा की राशि नहीं मिली है देने की मांग की है। जिला पार्षद ने स्पष्ट कहा कि प्रशासन की ओर से बाढ़ पीड़ितों के साथ न्याय नहीं किया जा रहा है। राहत राशि देने में भी भेदभाव किया जा रहा है। कहा कि 2025 की बाढ़ ने शाम्हो प्रखंड में अत्यंत भयावह स्थिति उत्पन्न कर दी है। बाढ़ की विभीषिका से सैकड़ों परिवारों ने अपना घर-आवास त्याग दिया, खेत-खलिहान और फसलें नष्ट हो गई तथा पशुधन का भारी नुकसान हुआ। शाम्हो प्रखंड के जनप्रतिनिधियों ने बाढ़ आपदा राहत सूची में बचे सभी पात्र परिवारों को चार दिनों के अंदर राहत राशि का भुगतान सुनिश्चित कराया जाए। यदि निर्धारित अवधि में भुगतान नहीं किया जाता है तो हम सभीजनप्रतिनिधि बाध्य होकर प्रखंड सह अंचल कार्यालय, शाम्हो के समक्ष अनिश्चितकालीन धरना देने को विवश होंगे। इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। एसडीएम को भेजे पत्र पर अकबरपुर बरारी पंचायत के वार्ड सदस्य समता देवी, भानुकुमार, सज्जन कुमार, शंभू सिंह, आरती देवी, धीरज कुमार व उपप्रमुख कुमकुम देवी के भी हस्ताक्षर हैं। प्रखंड प्रमुख ने लिखा डीएम को पत्र बाढ़ प्रभावित शाम्हो प्रखंड के प्रमुख मनोज कुमार ने भी डीएम को पत्र लिखकर जीआर सूची में शामिल बाढ़ प्रभावित परिवार को राहत राशि उपलब्ध कराने की मांग की है। पत्र में कहा कि शाम्हो अकहा कुरहा में सैंकडों बाढ़ प्रभावित परिवार ऐसे हैं जिनका नाम जीआर सूची में रहने के बाबजूद सात हजार रुपये बाढ़ राहत राशि अभी तक नहीं मिला है। उन्होंने डीएम से इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने की मांग करते हुए शेष परिवारों को बाढ़ राहत राशि उपलब्ध कराने को कहा है। पत्र की प्रतिलिपि स्थानीय सांसद, विधायक, विधान पार्षद को भी दी है।
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