चौरों व खेतों में जलजमाव से खेती पर लगा है ग्रहण
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गढ़पुरा। निज संवाददाता
प्रखंड क्षेत्र के चौरों से जल निकासी एक विकट समस्या बनकर खड़ी है। इसके कारण हजारों एकड़ में खेती नहीं हो पा रही है। प्रखंड क्षेत्र में एक दर्जन चौर हैं। इन सभी में हाल में हुई बारिश के कारण पानी लबालब भरा हुआ है। इसके वजह से जहां रबी फसल प्रभावित हो गई है, वहीं आगामी खरीफ फसल की उम्मीद भी नां के बराबर है। पिछले दो वर्षों से हो रही बारिश किसानों के लिए मुश्किलें पैदा कर रही है। इस बार तो बारिश ने हद ही कर दी। बूढ़े-बुजुर्ग भी बताते हैं कि वर्षों बाद ऐसी बारिश देखने को मिली।
चौरों से जलनिकासी के लिए एक दशक पूर्व योजना बनाई गई थी जो खटाई में पड़ी हुई है। इसके अंतर्गत मोरतर गांव के समीप स्थित कपरदह चौर, मालीपुर मूसेपुर गांव के बीच स्थित गारा चौर, कौरैय का सिलठा, सुजानपुर का करूआहा चौर, गढ़पुरा का बगहा, बरहेला चौर होते हुए दुनहीं कारू गम्मैल में जल निकासी का नाला बनाते हुए रजौड़, सकरा चौर होते हुए बलुआहा के पास कावर नहर में गिराने की योजना बनाई गई। इसका सर्वे का कार्य पूरा कर लिया गया, लेकिन वन विभाग द्वारा आपत्ति जताए जाने के कारण मामला खटाई में पड़ गया। वन विभाग का कहना था कि पर्यावरण के दृष्टिकोण से यह सही नहीं है। वन विभाग का तर्क था कि इन सभी चौरों के पानी को रक्सी के समीप बाउंड्री नाला होते हुए कावर झील में पहले गिराया जाए और उसके बाद कावर नहर होकर उसकी निकासी हो। इसके बाद झील के इर्द गिर्द खेती करने वाले किसानों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। किसानों का कहना था कि अगर झील में पानी को गिराया जाएगा तो ऊपरी भाग डूब जाएंगे। बस यहीं पर आकर योजना अटक गई और उसके बाद अब तक यह जल निस्तारण कार्यक्रम पेंडिंग पड़ा हुआ है। बता दें कि 18 किलोमीटर की इस योजना पर तीन करोड़ 65 लाख रुपये खर्च करने का प्राक्कलन तैयार किया गया था। अब स्थिति यह है कि पिछले दो साल से जो बारिश शुरू हुई है उसके कारण निचले भूभाग में खेती नहीं हो पा रही है जिससे किसान परेशान हैं। किसान नेता राम किशोर प्रसाद ने बताया कि चौर में जलजमाव के कारण किसान परेशान हैं उनकी खेती प्रभावित हो रही है। उन्होंने जिला प्रशासन से मांग किया है कि किसानों के हित में जल निस्सरण योजना को लागू किया जाए। इधर चीनी मिल हसनपुर की तरफ से भी प्रयास तेज किए गए हैं। चीनी मिल के कार्यपालक उपाध्यक्ष (गन्ना) शंभू प्रसाद राय ने बताया कि यहां की स्थिति से मुख्यमंत्री को भी अवगत कराया गया है। ने बताया कि निचले भूभाग में जिस तरह से पानी लगा हुआ है उससे लगता है कि किसानों को इस बार भी समय रहते गन्ने की कटाई हो पाना संभव नहीं दिख रहा है चीनी मिल में गन्ने की पेराई 14 दिसंबर से संभावित है। चौरों से जल निकासी को लेकर कई बार यहां के किसान आंदोलन भी कर चुके हैं लेकिन अब तक कोई सार्थक समाधान नहीं निकल पाया है।
मेघौल बहियार के 400 एकड़ भूमि में जलजमाव, धान फसल की नहीं हुई कटनी
खोदावंदपुर। निज संवाददाता
मेघौल गांव के बहियार के लगभग 400 एकड़ भूमि में जलजमाव है। इस बहियार के खेतों में लगी धान की फसल पानी में पूरी तरह डूबी हुई है। इस कारण धान फसल की कटाई नहीं हो रही है। यदि कोई किसान मजदूर से धान की अपनी फसल कटवाना चाहते हैं तो इस फसल की ढुलाई के लिए खेतों पर ट्रैक्टर का पहुंचना सम्भव नहीं है। इससे किसान काफी परेशान हैं। खेतों में जलजमाव के कारण रबी फसल लगाना भी सम्भव नहीं है। मेघौल गांव के किसान व पूर्व मुखिया अनिल प्रसाद सिंह,सुनील कुमार सिंह,हरे कृष्ण प्रसाद सिंह, मोहन प्रसाद सिंह, कन्हैया सिंह समेत कई किसानों ने बताया कि पुनदाहा, नगरी, बरमोत्तर, लडुवातर आदि बहियार के खेतों में धान की लगी फसल डूबी हुई है। चेरियाबरियारपुर प्रखंड स्थित फुदिया नाला से जल निकासी का जो रास्ता है वह बिल्कुल अवरुद्ध है। जिसके कारण इन खेतों में जल जमाव है। किसान अपने खेतों में आलू,मक्का या गेहूं की फसल लगाना चाह रहे हैं। परन्तु खेत का पानी नहीं निकल रहा है। अब रब्बी फसल लगाने का सीजन भी समाप्ति की ओर है। इस परिस्थिति में यहां के किसान काफी परेशान हैं। इन किसानों ने इस बहियार से जल निकासी की स्थायी व्यवस्था करवाने की मांग जिला प्रशासन से किया है ताकि 400 एकड़ भूमि में लगी धान की फसल की कटाई की जा सके। साथ ही इन खेतों को किसान जुतवाकर रब्बी की फसल लगा सकें।