मशरूम की खेती के प्रति जागरूक हो रहीं हैं महिलाएं
नक्सल प्रभावित बेलहर प्रखंड क्षेत्र में अब परंपरागत कृषि के साथ गरीब किसान मशरूम की व्यवसायिक खेती में भी हाथ आजमा रहे हैं। यहां कई गावों में मशरूम की खेती शुरू हो गई है। मशरूम की खेती और...
नक्सल प्रभावित बेलहर प्रखंड क्षेत्र में अब परंपरागत कृषि के साथ गरीब किसान मशरूम की व्यवसायिक खेती में भी हाथ आजमा रहे हैं। यहां कई गावों में मशरूम की खेती शुरू हो गई है।
मशरूम की खेती और मार्केटिंग से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। सबसे बड़ी बात कि यह खेती सिर्फ महिलाएं कर रही हैं। पति सिर्फ मार्केटिंग में सहयोग करते हैं।
कैसे होती है मशरूम की खेती: कृषि समन्वयक बताते हैं कि वेवेस्टिन और फॉर्मलीन नामक दवा मिलाए गए पानी में गेहूं या धान के भूसे को करीब 12 घंटे फुलाया जाता है। फिर छानकर उसमें मशरूम के बीज मिलाकर भूसे को पॉलीथिन के पैकेट में पैक किया जाता है। पॉलीथिन में छिद्र कर दिए जाते हैं। इस तरह 10—12 या अधिक संख्या में पॉलीथिन घर में ठंडे जगह पर रख दिये जाते हैं। पॉलीथिन को सीधे धूप और हवा से बचाना पड़ता है। 20—25 दिन बाद पॉलीथिन के छिद्रों से मशरूम निकलने लगते हैं और पांच—छह दिन में तैयार हो जाते हैं। जिसे तोड़ लिया जाता है। 10 दिन में पुन: दूसरा तैयार को जाता है। इस तरह एक पॉलीथिन से 4—5 बार मशरूम को तोड़ा जाता है। मशरूम की खेती 80 प्रतिशत नमी में होती है।
कैसे होती है मार्केटिंग: कृषि समन्वयक बताते हैं कि मशरूम से सब्जी और आचार बनाए जाते हैं। ताजा नहीं बिकने पर बचे हुए मशरूम का सुखाउता बनाकर भी बेचा जाता है। किसानों के समूह में से एक मॉनिटर इसकी मार्केटिंग की व्यवस्था करता है। तत्काल बेलहर, संग्रामपुर, साहबगंज के बाजार में व्यवसाय शुरू किया जा रहा है। देवघर में भी मार्केटिंग का प्रयास किया जा रहा है।
मशरूम की खेती शुरू करने वाली महिला किसान: गोरगामा गांव की पिंकी देवी, ऊषा देवी, रिंकू देवी, रेणु देवी, हथिया गांव में रिंकू देवी, सविता देवी, अवंतिका देवी, वीणा देवी शामिल हैं। इसके अलावा लोढ़िया, बेलहर, साहबगंज आदि पंचायत में किसानों ने मशरूम की खेती शुरू की है। उम्मीद की जा रही है कि एक साल के अंदर मशरूम की खेती से ढाई हजार किसानों को जोड़ने का लक्ष्य पूरा किया जा सकेगा।
क्या कहते हैं कृषि समन्वयक:प्रखंड के कृषि समन्वयक सुधाकर प्रसाद सिंह कहते हैं कि यहां मशरूम की खेती की अपार संभावना है। कृषि विभाग द्वारा करीब ढाई हजार किसानों को मशरूम की खेती से जोड़ने का लक्ष्य है। अभी दो चार गावों में 50 किसानों द्वारा खेती शुरू की गई है। विभाग द्वारा किसानों को प्रति किट 54 रुपये अनुदान दिया जाता है। मशरूम बाजार में 200—250 प्रति किलो बिकता है।