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तेरह दिवसीय मधुश्रावणी व्रत का हुआ समापन

मैथिल नवविवाहितों द्वारा किया

तेरह दिवसीय मधुश्रावणी व्रत का हुआ समापन
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,बांकाFri, 24 Jul 2020 03:45 AM
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पंजवारा (बांका)। निज प्रतिनिधि

अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए मैथिल नवविवाहितों द्वारा किया जाने वाला मधुश्रावणी व्रत का समापन गुरुवार को हो गया। पर्व के समापन को लेकर पंजवारा ब्राह्मण टोला सहित लौढि़या,लखपुरा गांव में उत्सवी माहौल था। कृतिका, शिप्पू सहित कई अन्य नवविवाहिताएं अपने पति की दीर्घायु की कामना के लिए मधुश्रावणी व्रत कर रही थी। इस दौरान कथा सुनने वाली महिलाओं ने शिव—पार्वती,मां विषहरी, काली, दुर्गा आदि देवी-देवताओं के गाए गीत से वातावरण भक्तिमय हो उठा। पर्व के अंतिम दिन नवविवाहिता के ससुराल पक्ष से आए पूजा के लिए तरह-तरह के पकवानों के साथ खाजा, मिठाई, फल एवं नई दुल्हन के साथ-साथ पूरे परिवार वालों को नए-नए कपड़े लाए गए थे। पूजा के अंतिम दिन पति स्वयं पूजा में उपस्थित थे। पर्व के समापन के उपरांत व्रती को अखंड सुहागवती होने का महिलाओं एवं बुजुर्गों द्वारा आशीर्वाद भी दिया गया। साथ ही भोज का भी आयोजन किया गया। नव विवाहित महिला विवाह के बाद पड़ने वाले पहले सावन माह में मधुश्रावणी व्रत करती है। यह परंपरा मिथिलांचल में बहुतायत रुप में मनाया जाता है। नवविवाहिता अपने पिता के घर तेरह दिनों तक बिना नमक के फलाहार या अरवा भोजन कर पूरी नेम-निष्ठा के साथ किया जाता है। यह पर्व प्रत्येक वर्ष सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि से शुक्ल पक्ष की नाग पंचमी तक चलता है। इस दौरान नवविवाहिता पूरी कच्ची मिट्टी के हाथी पर विराजमान गौरी-महादेव के अलावा नाग-नागिन,विषहरी आदि की प्रतिमा को तेरह दिनों तक कोहवर के पास स्थापित कर पूजन करती हैं। प्रत्येक दिन के पूजन का अलग-अलग विधान है। इस पूजा में दूध और धान के लावा का विशेष महत्व है। कथा समाप्ति के पश्चात सुहागिन महिलाओं को सुहाग कीट बांटे जाते है। परंपरा के अनुसार नित्य पूजा की समाप्ति के बाद भाई बहन का हाथ पकड़कर उठाता है।

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