कटोरिया दरभाषण नदी पर बना जमुआ पुल कभी भी हो सकता है धाराशायी
जमुआ मोड़ के समीप दरभाषण नदी में बना जमुआ पुल
कटोरिया (बांका)। निज प्रतिनिधि
कटोरिया-देवघर मुख्य मार्ग पर कटोरिया के जमुआ मोड़ के समीप दरभाषण नदी में बना जमुआ पुल मरम्मत के अभाव में कभी भी धाराशायी हो सकता है। पुल की जर्जर स्थिति बद से बदतर हो गई है। अगर समय रहते मरम्मत कार्य नहीं कराया गया तो पुल कभी भी ध्वस्त हो जाएगा। और अगर यह स्थिति हुई तो कटोरिया वासियों के लिये देवघर जाने का सीधा रास्ता बंद हो जाएगा। इसके अलावा बांका शहर के लोगों की भी परेशानी बढ़ जाएगी, चूंकि चांदन नदी पर पुल के निर्माण नहीं होने से यह रास्ता बांका शहर वासियों के लिए भी देवघर जाने के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन फिलहाल स्थिति यह है कि जो पुल कभी कटोरिया का शान हुआ करता था, वो आज कभी भी जानलेवा बन सकता है। जगह-जगह से पुल दरक गया है। जिसमें सुधार की जरूरत है। लगातार पुल की हालत खराब होकर, कहीं रेलिंग टूट रही है तो कहीं छज्जे गिर रहे हैं। सड़क तो खराब हो ही रही है सरिये तक झांक रहे हैं। छत से पानी का रिसाव हो रहा है। अधिकारी स्थिति जानते हैं फिर भी गंभीर हालातों को नजरअंदाज कर रहे हैं। जबकि देवघर आने-जाने के लिए एक मात्र पक्की रास्ता के कारण इस पुल पर आवागमन जारी है। हालांकि लॉकडाउन में गाड़ियों के परिचालन में कमी आई है। लेकिन बड़ी मालवाहक गाड़ियों का पुल से होकर गुजरना जारी है। पुल के नीचे लगे कुछ पत्थर भी पानी में बह चुके हैं। लोग इस पुल से गुजर रहे हैं, पर किसी का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है। पुल के दीवारों में पड़ रहे दरार बढ़ने से यह कभी भी धराशायी हो सकता है। हर हमेशा इस पुल पर दुर्घटना की प्रबल संभावना बनी रहती है। पुल की नदी से कम ऊंचाई के कारण अत्यधिक वर्षा होने पर नदी का पानी पुल तक पहुंच जाता है। ऐसे में पुल का कुछ अता पता नहीं चल पाता है।पत्थर बहने से नींव हो चुकी है कमजोरवहीं पुल से पानी बहाव की दिशा में जमीन को मजबूत बनाने के लिए बीते आठ साल पूर्व बने गॉडवाल एवं पुल के बीच गड्डे में भरे गये पत्थर भी बाढ़ के कारण उखड़-उखड़ के बह रहे हैं। दरअसल पुल के तीन पाया बहने के बाद पुल से नीचे पानी बहाव की दिशा (पूरब) में बाढ़ के कारण बड़ा गड्ढा बन गया था, जिसके कारण पुल की नींव नीचे से खोखली हो जा रही थी। इसी को लेकर बीते 2007 एवं 2012 में दो चरणों में पुल के नींव से सटे उत्तर से दक्षिण की ओर गॉड वाल बनाया गया। साथ ही गॉड वाल बनाकर गड्ढा को बड़े-बड़े पत्थरों से भरा गया था। जो प्रतिवर्ष जारी बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त हो चुका है।कोरोना को लेकर श्रावणी मेला का आयोजन नहीं हुआ। अगर आयोजन हुआ होता तो इस पुल कब का जवाब दे चुकी होती। कांवरिया पथ से समान्तर सुल्तानगंज से देवघर जाने के लिये यह एक मात्र रास्ता है। जबकि पैदल कांवरिया भी बाबाधाम जाने के लिए इसी पुल से होकर गुजरते थे। इसके अलावा पैदल कांवरियों के लिए कोई रास्ता नहीं है। इस पुल से होकर श्रावणी मेले में रोजाना हजारों गाड़ियां दौड़ती थी। इस संकीर्ण पुल पर बैरिकेडिंग लगाकर पैदल कांवरियों के जनसैलाब को पार किया जाता था। पूर्व में कई बार पुल के जर्जर हालत के कारण घटनाएं घट चुकी हैं। विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले के दौरान वर्ष 2005 में आई बाढ़ पुल के तीन पिलर को भी अपने साथ बहा ले गई थी। उस समय राज्य में लागू राष्ट्रपति शासन की वजह से क्षेत्र में सेना की तैनाती हुई थी। भारतीय सेना के 175 इंजीनियर रेजिमेंट द्वारा श्रद्धालुओं को देवघर तक पहुंचाने के लिए नदी में बैली पुल का निर्माण कराया गया था। जबकि दूसरी बार वर्ष 2017 में श्रावणी मेले के दौरान तेज बारिश की वजह से पुल से सटे लगे दुकाने भी उजड़ गयी थीजमुआ पुल के निर्माण को 44 साल का लंबा समय बीत चुका है। सन 1976 में इस पुल का निर्माण डोकनियां कंस्ट्रक्शन द्वारा कराया गया था। आज पुल के दक्षिणी छोर पर तीन पीलर क्षतिग्रस्त हो गया है। जबकि सात से अधिक पीलर के छत की छड़ टूटकर अलग हो रही है। लेकिन इस पुल की मरम्मत कार्य की ओर संबंधित विभागीय अधिकारी अनदेखी की चादर ओढ़े हुए हैं। फिलहाल अगर अब भी संबंधित विभाग इस ओर सचेत नहीं हुआ तो जर्जर पुल के कारण कभी भी किसी बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता है।
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