निकरा परियोजना ने कटोरिया के मेढ़ा गांव की बदल दी तस्वीर
निकरा परियोजना की बैठक में बिहार झारखंड स्तर पर मेढ़ा गांव की हुई चर्चानिकरा परियोजना ने कटोरिया के मेढ़ा गांव की बदल दी...
बांका। कार्यालय संवाददाता
मंगलवार को कृषि विज्ञान केन्द्र, बांका में वीडिया कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से निकरा परियोजना से संबंधित बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें बांका के साथ-साथ इस परियोजना से जुड़े बिहार और झारखंड के 13 कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक शामिल हुए। इस बैठक में बांका के कटोरिया प्रखंड के मेढ़ा गांव की बदलती तस्वीर की चर्चा जोरों से हुई। बांका के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डा. मुनेश्वर प्रसाद ने निकरा परियोजना के तहत अंगीकृत कटोरिया के मेढ़ा गांव में वर्ष 2015-16 से 2020-21 तक किये गये कार्यों का प्रस्तुतीकरण दिया। जिसकी सराहना अटारी पटना के निदेशक डा अंजनी कुमार, पूसा कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्ष निदेशक डा. एमएस कुंडू ने किया।
वरीय वैज्ञानिक ने कहा कि मेढ़ा सूखाग्रस्त इलाका है। यहां इस परियोजना के तहत एक चेक डैम का निर्माण एवं एक तालाब का जीर्णाद्धार कराकर जल संरक्षण की दिशा में कार्य किया गया। यहां कृषि यंत्रीकरण का उपयोग कर धान की सीधी बुआई, ड्रम सीडर इत्यादि का उपयोग कर नयी तकनीकी से खेती करने हेतु प्रोत्साहित किया गया, गांव में धान का प्रभेद सहभागी एवं सबौर अर्द्धजल का प्रत्यक्षण कराया गया, जिससे पाया गया कि कम वर्षा में इसकी उपज अन्य प्रभेदों की तुलना में अच्छा रहा। साथ ही वर्षा जल संरक्षण के द्वारा गाय पालन करना एवं डेयरी से उत्सर्जित पानी से हरा चारा उत्पादन तथा किचेन गार्डेन को विकसित किया गया। सूखा क्षेत्र रहने के कारण गर्मी के मौसम में दुधारू पशुओं को चारा की समस्या से निजात दिलाने के लिए यूरिया उपचारित भूसा एवं पलास के पत्तों का साईलेज बनवाया गया। बहुवार्षिक हरा चारा नेपियर के उत्पादन को बढ़ावा दिया गया तथा दुधारू पशुओं में बांझपन को दूर करने के लिए पशु चॉकलेट का प्रत्यक्षण किया गया। यहाँ सामुदायिक पशु स्वास्थ्य केन्द्र बनाया गया, जिसके तह्त ग्रामीण लोगों को प्राथमिक उपचार एवं टीकाकरण करने का प्रषिक्षण देकर ग्रामीण लोगों को प्राथमिक उपचार की दिषा में आत्मनिर्भर बनाया गया। गांव के लोगों द्वारा ही बकरियों का पीपीआर वैक्सीन का टीकाकरण किया गया, जिससे बकरियों की मृत्युदर में कमी आयी। मौके पर केन्द्र के पशु वैज्ञानिक डा. धर्मेन्द्र कुमार, सस्य वैज्ञानिक डा रघुबर साहू एवं मृदा वैज्ञानिक संजय कुमार मंडल उपस्थित थे।