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भीषण गर्मी में दम तोड़ रहा जिले का मछली उत्पादन

अगले पांच साल के दरम्यान बांका जिला मछली उत्पादन के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर हो जाएगा। साथ ही मछली उत्पादन कर सीमावर्ती राज्य झारखंड एवं बांका से सटे आधा दर्जन जिलों में भेजा...

भीषण गर्मी में दम तोड़ रहा जिले का मछली उत्पादन
हिन्दुस्तान टीम,बांकाTue, 21 May 2019 12:56 AM
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अगले पांच साल के दरम्यान बांका जिला मछली उत्पादन के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर हो जाएगा। साथ ही मछली उत्पादन कर सीमावर्ती राज्य झारखंड एवं बांका से सटे आधा दर्जन जिलों में भेजा जाएगा। इससे एक ओर जहां मत्स्यपालक आर्थिक रूप से सबल होंगे। वहीं दूसरी ओर बांका मत्स्य उत्पादन का हब बन जाएगा। यह दावा जिला प्रशासन का था, पर इस भीषण गर्मी व चिलचिलाती धूप ने प्रशासन के इस दावे को पूरी तरह से नाकामयाब बनाया दिया है। कारण यह है कि जिलेभर के अधिकांश तालाब, नहर व डैम पूरी तरह से पानी के अभाव में सूखने के कगार पर पहुंच चुके हैं। नतीजा यह है कि बांका के कुछ डैमों में जो मछली है भी, वह पानी के अभाव में दम तोड़ रही है। पिछले कुछ दिनों की गर्मी को देखते हुए एक ओर जहां आमलोग बेहाल हैं वहीं दूसरी ओर मछुआरों के लिए संकट आन पड़ी है। मछुआरों का कहना है कि भीषण गर्मी व चिलचिलाती धूप होने की वजह से उनके नहर सूखने लगे हैं। स्थिति यह है कि अधिकांश नदी व तालाब सूखने की वजह से उनकी ओर से पाली जा रही मछली की जान खतरे में आ गई है। दो टन मछली निर्यात करने का था लक्ष्य: जिला प्रशासन व मत्स्य विभाग की ओर से तैयार किए गए मास्टर प्लान के अनुसार यह लक्ष्य रखा था कि बांका जिले से कम से कम दो टन मछली निर्यात की जाएगी। दरअसल, विभाग ने जिलेभर के सक्रिय तीन हजार मछुआरे को देखते हुए निर्णय लिया था। इसमें सर्वाधिक मछुआरा जिले के रजौन थाना क्षेत्र में हैं। इस गांव में आधे दर्जन गांव मछुआरों की है जो पुश्तैनी धंधा को आज भी जिंदा रखे हुए हैं। मत्स्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बांका जिले में 23 सौ से भी अधिक तालाब हैं। इसमें 816 सरकारी एवं 15 सौ से अधिक तालाबें निजी हैं। इसके अलावा आछ से अधिक छोटे-बड़े डैम हैं। जहां मत्स्य पालन हो रहा है। सरकार के निर्देश के आलोक में और भी तालाब का निर्माण होना है। इसके लिए सरकार से अनुदान की राशि भी लोगों को उपलब्ध करायी जा रही है। विभाग जिले के बेलहर, कटोरिया, फुल्लीडुमर, रजौन, बौंसी, बाराहाट व धोरैया क्षेत्रों में मत्स्यपालक मछली उत्पादन पर अधिक जोर दे रहे हैं।

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