44 साल के इतिहास में पहली बार किसी पार्षद को किया गया अयोग्य
1976 में बना था बांका नगर पालिका
1976 में बना था बांका नगर पालिका
बांका। कार्यालय संवाददाता
बांका नगर परिषद के वार्ड संख्या 18 के पार्षद सह उपसभापति अनिल सिंह की सदस्यता निर्वाचन आयोग द्वारा रद्द किया जाना बांका के लिए इतिहास बना गया। नगर पालिका गठन के बाद 44 साल के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब किसी पार्षद की सदस्यता रद्द की गई है। इधर मंगलवार को भी दिनभर बांका में यह चर्चा का विषय बना रहा। बांका को नगर पालिका का दर्जा वर्ष 1976 में दिया गया। इसके बाद वर्ष 2002 में बांका को नगर पंचायत बनाया गया। वर्ष 2017 में पुन: बांका को नगर परिषद का दर्जा प्राप्त हुआ। इस दौरान हर पांच साल पर वार्ड पार्षदों का चुनाव कराया जाता रहा। वर्ष 2018 में नगर परिषद का चुनाव सबसे चर्चित रहा। चुनाव में पार्षद जीतने के बाद अनिल सिंह ने अपने पुत्र रौनक सिंह को सभापति एवं स्वंय उपसभापति निर्वाचित हुए। इधर राज्य निर्वाचन आयोग ने उपसभापति समेत उनके सभापति पुत्र रौनक सिंह एवं वार्ड संख्या 5 के पार्षद उनकी पत्नी माधुरी सिंह को फर्जी कार्य को अंजाम देने का आरोप लगाया है। बांका नगर परिषद के उपसभापति अनिल सिंह, उनके पुत्र सभापति रौनक सिंह व पत्नी वार्ड पार्षद माधुरी सिंह के खिलाफ वार्ड पार्षद संतोष कुमार सिंह ने याचिका दायर की थी। जहां न्यायालय के आदेश पर स्पष्ट हुआ कि वर्तमान उपसभापति द्वारा 2007 में चुनावी मैदान में आने के पूर्व नामांकन में अपनी योग्यता एमबीबीएस (पाटलीपुत्र मेडिकल कॉलेज धनबाद) को प्रदर्शित किया। जबकि 2018 के चुनाव में निर्वाचन आयोग को नामांकन में मैट्रिक उत्तीर्ण होने का शपथ पत्र समर्पित किया था। निर्वाचन आयोग ने अपने फैसले में कहा है कि इससे साफतौर पर जाहिर होता है कि वर्तमान उपसभापति अनिल कुमार सिंह निर्वाचन आयोग को फर्जी जानकारी दी। वहीं बताया गया कि होल्डिंग टैक्स बगैर पूर्ण ही एनओसी प्राप्त करते हुए अपने पद का दुरूपयोग किया। साथ ही अपने बेटे सह वर्तमान सभापति रौनक सिंह व पत्नी सह वार्ड पार्षद माधुरी सिंह का नामांकन दाखिल कराया। राज्य निर्वाचन आयोग ने उपसभापति अनिल कुमार सिंह की सदस्यता रद्द करते हुए सभापति रौनक कुमार सिंह एवं वार्ड पार्षद माधुरी सिंह पर डीएम को कार्रवाई करने के आदेश दिये हैं।