Critical Condition of Railway Bridge Over Chandan River in Banka Raises Safety Concerns बांका रेलवे पुल का अस्तित्व खतरे में, कभी भी हो सकता है ध्वस्त, Banka Hindi News - Hindustan
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बांका रेलवे पुल का अस्तित्व खतरे में, कभी भी हो सकता है ध्वस्त

बोले बांकाबोले बांका प्रस्तुति-राजदीप सिंह करीब 20 फ़ीट हवा में झूल रहा है चांदन नदी पर बने रेलवे ब्रिज़ का बेसमेंट बालू के अवैध उत्खनन से

Newswrap हिन्दुस्तान, बांकाMon, 15 Sep 2025 04:36 AM
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बांका रेलवे पुल का अस्तित्व खतरे में, कभी भी हो सकता है ध्वस्त

बांका, नगर प्रतिनिधि। बांका भागलपुर रेलखंडपर बांका जिला के लाइफ लाइन कहे जाने वाले चांदन नदी पर बने रेलवे ब्रिज की स्थिति बेहद ही नाजुक बनी हुई है। इस ब्रिज से होकर सामान्य दिनों में करीब आधे दर्जन से अधिक ट्रेनों का परिचालन होता है। जबकि सावन मास में अथवा भागलपुर-जमालपुर रेलखंड पर बाढ़ की स्थिति में यह संख्या एक दर्जन तक पहुँच जाता है। इस बांका-भागलपुर रेलखंड पर दौड़ते आधे दर्जन ट्रेनों में हज़ारों यात्री प्रतिदिन सफर करते हैं। तकरीबन 20 वर्ष से भी अधिक पुराने व आधे किलोमीटर से भी अधिक लंबा यह रेलवे ब्रिज आज अपनी दुर्दशा पर केवल लाचार होकर आंसू बहा रहा है।

बीते एक दशक में जिस प्रकार से बालू माफियाओं ने चांदन नदी से अवैध बालू उठाव का कार्य किया है उससे यह प्रतीत होता है कि बालू माफियाओं को जिला के भोली भाली जानता से कोई मतलब नहीं है। अगर भविष्य में किसी भी प्रकार की कोई भी दुर्घटना होती है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? यह केवल बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह बन कर ही रह जाएगा। प्रस्तुत तस्वीर पुल की भयावहता को दर्शाता है। पुल के करीब आधे दर्जन से भी अधिक पिलर का बेसमेंट अपने निर्धारित जगह से तकरीबन 20 फीट ऊपर हवा में झूल रहा है। जबकि बेसमेंट के नीचे के पीलर किसी कंकाल की भांति नदी पर खड़ा है। प्रतिदिन आधे दर्जन रेलवे के लोको पायलट भी हजारों लोगों की जान को हथेली पर रखकर ही इस पुल को पार करते हैं। ट्रेन के धीमी गति पर चलने से ही पुल मानो थर्रा उठता है। जिससे वह दिन दूर नहीं जब सैंकड़ो जिलेवासी एक साथ काल के गाल में समा जाएं। अगर बात शासन व प्रशासन की करें तो ना तो कोई सत्ताधारी नेता इस पर चर्चा करते दिखते हैं और ना ही किसी विपक्ष के नेता ही इस गंभीर मुद्दा पर सवाल उठाते पाये गए हैं। जबकि प्रशासनिक स्तर पर सम्बंधित विभाग के पदाधिकारियों ने भी इस मुद्दे पर अपने आँखों पर काली पट्टी ही बांध रखा है। चांदन नदी से बालू का इस प्रकार से दोहन होना बालू माफियाओं के बढ़े मनोबल को दर्शाता है। जिन्हें ना तो किसी नियम कानून से और ना ही जिलेवासियों की जान से कोई मतलब है। स्थानीय बालू माफियाओं के द्वारा केवल अवैध उत्खनन कर पुल को ही कमज़ोर कर दिया गया है। बालू माफियाओं ने इस कदर पुल के नीचे से बालू उठाया है कि, पुल का बेसमेंट ही करीब 20 फ़ीट हवा में रोज़ झूल रहा है। जिससे पुल के पिलरों की हालत भी जर्जर होते जा रही है। ब्रिज़ की मौजूदा स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन व रेलवे विभाग कोई ठोस कदम नहीं उठाती है तो निश्चित तौर पर जिलेवासी बड़े हादसे का शिकार हो सकते हैं। अगर पुल की संरचना को देखा जाय तो पीलर ध्वस्त होने से बांका को रेलमार्ग भागलपुर व दुमका मार्ग से पूरी तरह कट जाएगा। क्या कहते हैं जिम्मेवार बांका रेलवे पुल की हालत की जांच के लिए वरीय अधिकारियों से बात की जाएगी। अगर पुल की हालत गंभीर है तो इसपर रेल प्रशासन अपनी आरे से कार्रवाई करेगी। रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाना कानूनी जुर्म है। रेल प्रशासन यात्रियों की सुविधा व सुरक्षा का हर वक्त ख्याल रखती है। रसराज मांझी, पीआरओ, मालदा डिविजन

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