जिले में बनेंगे 21 थ्रेसिंग फ्लोर, अनाज तैयार करने व सुखाने में होगी आसानी
पेज तीन की लीडपेज तीन की लीड हिन्दुस्तान एक्सक्लूसिव फुल्लीडुमर में एक और अन्य 10 प्रखंडों में बनेंगे 2-2 थ्रेसिंग फ्लोर 1 लाख 26 हजार की

बांका। निज प्रतिनिधि जिले में बाढ एवं बरसात में अनाज तैयार करने एवं उसे सुखाने में किसानों को आसानी होगी। इससे धान, गेहूं व मक्का सहित अन्य फसल बर्बाद होने से भी बचाये जा सकेंगे। इसके लिए बिहार सरकार की ओर से बडी पहल की गई है। इसके तहत किसानों को उनकी उपज तैयार करने एवं सुखाने के लिए स्वच्छ और पक्का स्थान उपलब्ध कराई जाएगी। सूबे के किसानों के लिए राज्य सरकार ने थ्रेसिंग फ्लोर (खलिहान) के निर्माण की योजना शुरू की है। इस योजना से पक्का थ्रेसिंग फ्लोर के निर्माण पर किसानों को सब्सिडी मुहैया कराई जाएगी। पक्का थ्रेसिंग फ्लोर का निर्माण होने से किसानों को फसलों की उपज सुखाने और उसे तैयार करने में स्वच्छ और पक्की जगह मिलेगी।
ऐसा होने से फसल की गुणवत्ता बेहतर होगी और किसानों को बाजार मूल्य अधिक मिलेंगे। इसके साथ ही फसल सुखाने की प्रक्रिया में होने वाला नुकसान भी कम होगा और किसानों को उपज का सही दाम मिल सकेगा। थ्रेसिंग फ्लोर योजना के पहले फेज में जिले में 21 थ्रेसिंग फ्लोर का निर्माण कराया जाएगा। इसमें फुल्लीडुमर प्रखंड में एक और अन्य 10 प्रखंडों में दो-दो थ्रेसिंग फ्लोर बनेंगे। इस योजना का लाभ लेने के लिए क्षेत्र के 287 किसानों ने डीबीटी के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन किया है। जिसके बाद स्वीकृत आवेदनों को पटना निदेशालय स्तर से ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से 21 किसानों का चयन कर लिया गया है। जिसे थ्रेसिंग फ्लोर के निर्माण के बाद उसकी जांच की प्रक्रिया पूरी होने पर अनुदान की राशि का भुगतान किया जाएगा। यहां एक थ्रेसिंग फ्लार का निर्माण 1 लाख 26 हजार 200 रूपये की लागत से किया जाएगा। जिस पर संबंधित किसानों को 50 हजार रूपये का अनुदान मिलेगा। 600 वर्ग फीट का होगा थ्रेसिंग फ्लोर जिले में 26 लाख 50 हजार 200 की राशि से बनने वाले 21 थ्रेसिंग फ्लोर का निर्माण सरकार के मानक के मुताबिक किया जाएगा। यहां 600 वर्ग फीट के दायरे में थ्रेसिंग फ्लोर बनाए जाएंगे। जिसकी उंचाई एक फीट होगी। इसके लिए किसानों के पास अपनी जमीन होनी जरूरी है। जिन किसानों के पास अपनी जमीन है उसे ही थ्रेसिंग फ्लोर निर्माण योजना का लाभ दिया गया है। जिले में बडे पैमाने पर होती है धान, गेहूं व मक्का की खेती जिले में बडे पैमाने पर धान, गेहूं व मक्का की खेती होती है। इसमें यहां खरीफ मौसम में 1 लाख 14 हजार हेक्टेयर भूमि में धान की खेती होती है। जबकि रबी मौसम में 38 हजार हेक्टेयर भूमि में गेहूं की खेती होती है। इसके अलावे यहां मक्का एवं दलहन व तेलहन की भी खेती होती है। जिससे किसान अब अपने खेतों में ही खलिहान बनाकर अनाज तैयार करने एवं उसे सुखाने का काम करते हैं। लेकिन कच्ची खलिहान में किसानों के अनाज बर्बाद भी हो रहे हैं। जिससे किसानों की आमदनी में कमी हो रही है। जबकि अब पक्का थ्रेसिंग फ्लोर की सुविधा मिलने से किसानों की ये परेशानियां दूर हो जाएगी। कोट... जिले में 21 पक्का थ्रेसिंग फ्लोर का निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए 287 किसानों ने ऑनलाइन आवेदन किया था। इनमें 21 किसानों का चयन राज्य मुख्यालय स्तर से ऑनलाइन लॉट्री के माध्यम से की गई है। यहां एक थ्रेसिंग फ्लोर का निर्माण 1 लाख 26 हजार 200 की राशि से किया जाएगा। जिस पर संबंधित किसानों को 50 हजार का अनुदान दिया जाएगा। थ्रेसिंग फ्लोर बनने से किसानों को अनाज तैयार करने एवं उसे सुखाने में आसानी होगी और इसके साथ अनाज की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। जिससे उन्हें अपनी उपज के अधिक दाम मिल सकेंगे। त्रिपुरारी शर्मा, डीएओ, बांका।
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